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Monday, 6 May, 2024
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यूक्रेन युद्ध से कम हो सकती है रूस में बरसों पुरानी व्लादिमीर पुतिन की लोकप्रियता

सोवियत संघ के पतन के बाद 1990 के दशक में रूस के आर्थिक पतन के बाद, पुतिन ने आर्थिक सुधार और स्थिरता पर जोर दिया जिसके बाद उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई.

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डबलिन : 2000 में सत्ता में आने के बाद से, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी जनता के बीच स्वीकार्यता का जो स्तर बनाए रखा है, उससे अधिकांश विश्व नेताओं को ईर्ष्या होगी. एक स्वतंत्र सर्वेक्षणकर्ता के अनुसार, यूक्रेन पर हाल के आक्रमण से पहले, पुतिन की लोकप्रियता की रेटिंग 71% थी. व्यापक धारणा के विपरीत, शोध में पाया गया है कि यह समर्थन केवल एक कल्पना या उन्हें मिले वोटों पर आधारित नहीं है.

यूक्रेन पर रूस के मौजूदा हमले के बीच, वर्षों से पुतिन की सार्वजनिक छवि पर एक नज़र हमें यह समझने में मदद कर सकती है कि रूसी इस हिंसक युद्ध पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे – और इस नेता की लोकप्रियता पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है.

अपने शोध में, मैं यह पता लगाता हूं कि पुतिन सहित सत्तावादी नेताओं के प्रति सार्वजनिक स्वीकृति क्या है. मैंने और अन्य विद्वानों ने पाया कि आर्थिक प्रदर्शन पिछले 20 वर्षों में पुतिन के लिए रूसियों के निरंतर अंतर्निहित समर्थन का आधार है.

सोवियत संघ के पतन के बाद 1990 के दशक में रूस के आर्थिक पतन के बाद, पुतिन ने आर्थिक सुधार और स्थिरता पर जोर दिया.

आज, वित्तीय मजबूती और मुद्रास्फीति दर जैसे व्यावहारिक कारक आम तौर पर कई रूसियों की अपनी सरकार के प्रति धारणाओं पर हावी हैं. देशभक्ति के जोश के समय में भी यही स्थिति है, जैसे कि रूस द्वारा क्रीमिया पर 2014 के कब्जे के बाद पुतिन की लोकप्रियता में भारी उछाल आया.

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पश्चिमी दुनिया के अधिकांश देशों ने अब रूस पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, एक पूर्ण सुरक्षित और स्थिर आय की इन बुनियादी मांगों के युद्ध-समर्थक भावना की किसी भी लहर से कम होने की संभावना नहीं है.

यह कहा जाना चाहिए कि पुतिन इसलिए भी लोकप्रिय हैं कि वे कौन हैं और किसका प्रतिनिधित्व करते हैं – दृढ़ नेतृत्व. उनकी व्यक्तिगत अपील – एक विशिष्ट पुरुषत्व और आम आदमी का व्यवहार – और रूस को वैश्विक मामलों के मुख्य मंच पर वापस लाने में उनकी भूमिका केवल उनके आकर्षण को बढ़ाती है.


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अपनी बात कहने का हक

हालांकि, न तो आजीविका और आर्थिक कारक और न ही भू-राजनीतिक पुनरुत्थान पुतिन और उनके शासन के समर्थन के पीछे की पूरी कहानी बताते हैं. रूसी जनता अपनी राजनीतिक व्यवस्था में अपनी बात कहने के हक को महत्व देती है.

सह-लेखकों ओरा जॉन रॉयटर और क्विंटिन बेज़र के साथ चल रहे शोध में, हम दिखाते हैं कि पुतिन के प्रति रूसियों की स्वीकृति कम हो जाती है जब उनके शहर के मेयर के लिए मतदान करने की उनकी क्षमता शासन द्वारा छीन ली जाती है. यह कभी-कभी पूर्ण उदार लोकतंत्र के लिए उनकी चाहत की वजह से भी कम हो सकता है, लेकिन जनमत के आंकड़ों से पता चलता है कि रूसी चाहते हैं कि उनके राजनीतिक नेता उनके प्रति जवाबदेह हों.

यह महसूस करना कि कोई नहीं सुन रहा है, व्यवस्था और पुतिन के प्रति निराशा पैदा कर सकता है. रूस की विशाल और जटिल शासन प्रणाली के संचालन में लोकतांत्रिक कलेवर की यह मांग पुतिन और उनकी सरकार के बारे में रूसियों की धारणाओं को आकार देने वाला एक शक्तिशाली कारक है.

हाल के वर्षों में, रूस सत्तावादी शासन के एक और अधिक दमनकारी स्वरूप में उतर गया है. विपक्ष, स्वतंत्र मीडिया और खुले असंतोष को दबाया गया है. इस प्रवृत्ति से रूसी जनता के उस वर्ग में विरोध और बढ़ेगा जो चाहते हैं कि उनकी आवाज सुनी जाए. अब, पश्चिम के साथ बढ़ते आर्थिक और कूटनीतिक युद्ध से शासन की अलगाववादी, अलोकतांत्रिक प्रवृत्तियों को बल मिलेगा और अधिकारियों से सार्वजनिक अलगाव और बढ़ता जाएगा.

देश में कुछ लोगों ने यूक्रेन पर अपने देश के युद्ध की पूर्ण, विनाशकारी प्रकृति को समझना शुरू कर दिया है. देश भर में युद्ध विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने वाले हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह पुतिन के लिए बुरी खबर हो सकती है, जिनका रूस के भीतर समर्थन राजनीतिक उदासीनता पर निर्भर करता है.

2003-19 की सैकड़ों-हजारों रूसी जनमत सर्वेक्षण प्रतिक्रियाओं की जांच करते हुए, मैंने पाया है कि केवल सार्वजनिक विरोध के संपर्क में आने से पुतिन और उनके शासन की स्वीकृति कम हो जाती है. आम जनता के सदस्य इन विरोधों से शासन के कुकर्मों के बारे में जान पाते हैं, और पता चलता है कि उनके समाज में पहले की तुलना में अधिक असंतोष हैं. अन्य चल रहे शोधों में, मेरे सह-लेखकों और मैंने पाया है कि जब रूसियों को पता चलता है कि पुतिन की स्वीकृति का स्तर उतना ऊंचा नहीं है जितना उन्होंने सोचा था, तो उनके प्रति उनका अपना समर्थन काफी हद तक कम हो जाता है.

जनता की ताकत

कुल मिलाकर इस शोध से पता चलता है कि पुतिन की लोकप्रियता काफी हद तक वास्तविक – न कि निर्मित या काल्पनिक – नींव पर टिकी हुई है. यूक्रेन पर उनके इस सोचे समझे आक्रमण से ये नींव बुरी तरह हिल जाएगी. यदि रूस में युद्ध-विरोधी भावना बढ़ती रहती है, और जनता क्रूर दमन के विरोध में असंतोष व्यक्त करने के लिए आवश्यक साहस जुटा पाती है, तो हम देखेंगे कि पुतिन की लोकप्रियता कुछ घटने लगी है.

रूसी जनमत पर शोध से पता चलता है कि यूक्रेन पर हमले के परिणामस्वरूप रूस की अर्थव्यवस्था को विनाशकारी नुकसान होगा, पुतिन को बहुत नुकसान होने की संभावना है. विरोध की बढ़ती भावना और उनके प्रति रूसियों की भावनाओं का कम होना, उनके प्रति अस्वीकृति को बढ़ा सकता है.

द कन्वरसेशन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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