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Tuesday, 2 July, 2024
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नौकरी के कारण रूस में फंसे दो कश्मीरी युवक, परिजनों की गुहार — उन्हें घर वापस ला दो

आज़ाद यूसुफ कुमार और जहूर अहमद शेख के परिवारों की ओर से जम्मू-कश्मीर छात्र संघ ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी से संसद के चालू सत्र में इस मुद्दे को उठाने का अनुरोध किया है.

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नई दिल्ली: रूस में फंसे कई भारतीय नागरिकों में से दो कश्मीरी युवकों के परिवारों ने नरेंद्र मोदी सरकार से उनकी शीघ्र वापसी की सुविधा देने का अनुरोध किया है.

दिप्रिंट से बात करते हुए उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि अभी तक इन युवकों की दुर्दशा को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

जम्मू-कश्मीर छात्र संघ ने परिवारों की ओर से विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखकर उनसे संसद के चालू सत्र में इस मुद्दे को उठाने का अनुरोध किया है.

कश्मीर के पुलवामा जिले से आने वाले 29-वर्षीय आज़ाद यूसुफ कुमार के भाई ने दिप्रिंट को बताया कि आज़ाद को दुबई के एक सलाहकार ने धोखा दिया था, जिसने “बाबा व्लॉग्स” नामक एक यूट्यूब चैनल के माध्यम से नौकरी का वादा किया था. उसके बाद से चैनल को बंद कर दिया गया है.

उनके भाई ने बताया कि आज़ाद मुंबई से शारजाह गए और फिर मॉस्को गए, जहां उन्हें रूसी भाषा में लिखे दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया.

आज़ाद के भाई सज्जाद अहमद कुमार ने कहा, “उसके बाद उन्हें रूसी सेना को सौंप दिया गया. आज़ाद को फरवरी की शुरुआत में पैर में गोली लगी थी और उनका इलाज किया गया था. वह एक बहुत ही खतरनाक देश में फंस गए हैं. वहां ड्रोन से युद्ध चल रहा है. भारत सरकार को उनकी वापसी में अब और देरी नहीं करनी चाहिए.”

विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, धोखाधड़ी की योजनाओं के तहत भर्ती किए गए चार भारतीय नागरिक अब तक रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए हैं.

MEA ने कहा है कि वह यूक्रेन में लड़ाई में फंसे भारतीयों की जल्द रिहाई के लिए “रूस पर दबाव बना रहा है”. भारत ने रूसी सेना द्वारा भारतीय नागरिकों की किसी भी तरह की भर्ती पर रोक लगाने की भी मांग की है.

पिछले महीने विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक सख्त बयान में कहा गया था, “ऐसी गतिविधियां हमारी साझेदारी के अनुरूप नहीं होंगी.”

सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के लोगों ने भी नौकरी के घोटाले में फंसकर रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी जान गंवाई है.

नेपाली टाइम्स के अनुसार, अब तक कम से कम 25 नेपाली रूसी सेना के लिए लड़ते हुए मारे गए हैं, जिससे भारतीय नागरिकों के परिजनों में डर पैदा हो गया है, जिन्हें अभी तक अपने परिवार के सदस्यों के बारे में स्पष्टता नहीं मिल पाई है.


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‘छह महीने से कोई संपर्क नहीं’

कश्मीर के कुपवाड़ा निवासी 35-वर्षीय ज़हूर अहमद शेख भी उत्तर प्रदेश और हैदराबाद के अपने साथियों के साथ पिछले दिसंबर में रूस की यात्रा करने के बाद लापता हो गए थे.

उनके परिवार के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “वह कृषि विज्ञान में बीएससी की डिग्री के साथ एक प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं. उन्हें इस (धोखाधड़ीपूर्ण भर्ती) योजना में फंसाया गया और रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया.”

परिवार के सदस्य ने कहा, “पिछले छह महीनों से हम उनसे संपर्क नहीं कर पाए हैं. उनका व्हाट्सएप और फोन संपर्क क्षेत्र में नहीं है. मॉस्को में भारतीय दूतावास भी हमें उनके ठिकाने के बारे में स्पष्ट जवाब नहीं दे रहा है.”

पिछले हफ्ते रूस में फंसे भारतीयों के परिवार के सदस्यों ने नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में विदेश मंत्रालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया और सूत्रों ने कहा कि उन्होंने अतिरिक्त सचिव (यूरेशिया) चरणजीत सिंह के साथ एक संक्षिप्त बैठक की.

राजनयिक सूत्रों ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि रूसी और भारतीय विदेश मंत्रालय भारतीय नागरिकों को वापस लाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए नियमित रूप से संपर्क में हैं और 45-50 दिनों में एक कार्ययोजना तैयार हो जाएगी.

सूत्रों ने यह भी कहा कि इस मुद्दे का संभावित मानव तस्करी से संबंध हो सकता है और इसलिए, यह पहचानना अपने आप में एक काम होगा कि कौन से भारतीय नागरिक रूसी सेना में हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आने वाले दिनों में रूस का दौरा करेंगे, जो उनके तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद उनकी पहली आधिकारिक राजकीय यात्रा होगी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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