नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड जे. ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर वी. पुतिन के बीच शुक्रवार को हुई शिखर वार्ता यूक्रेन युद्ध को खत्म करने पर किसी समझौते तक नहीं पहुंच सकी. हालांकि, बैठक के बाद ट्रंप ने दोनों के बीच कुछ समझौतों का जिक्र किया, लेकिन कोई विवरण नहीं दिया.
भारत के लिए, ट्रंप-पुतिन शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन देशों पर लगाए गए टैरिफ को लेकर नरमी दिखाने का संकेत दिया है, जो रूसी तेल खरीदते हैं. 6 अगस्त को, ट्रंप ने नई दिल्ली पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, जिससे इसकी कुल दर 50 प्रतिशत हो गई.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने पिछले कुछ दिनों से शिखर सम्मेलन से बड़े नतीजों की उम्मीद बेहद कम कर दी थी. हालांकि, मूल चर्चाओं पर स्पष्टता न होने के बावजूद, रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अलास्का के जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन में ट्रंप ने रेड-कार्पेट वेलकम दिया. रूसी राष्ट्रपति यहां तक कि ट्रंप के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति की लिमोज़िन, जिसे ‘बीस्ट’ कहा जाता है, में भी सवार हुए.
लगभग तीन घंटे लंबी बैठक के बाद ट्रंप ने कहा, “मेरा मानना है कि हमारी बहुत ही उत्पादक बैठक हुई. कई बिंदुओं पर हम सहमत हुए, ज्यादातर पर, मैं कहूंगा. कुछ बड़े मुद्दे हैं जिन पर अभी सहमति नहीं बनी है, लेकिन हम कुछ प्रगति कर पाए हैं.”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने जोड़ा कि वे नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) के नेताओं और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की को फोन कर चर्चाओं की जानकारी देंगे. ट्रंप ने जोड़ा, “उन्हें शिखर सम्मेलन के नतीजों से सहमत होना पड़ेगा.”
पुतिन ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच एक “समझ” बनी है और उन्होंने ट्रंप को अपना “पड़ोसी” कहा. रूसी राष्ट्रपति ने अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ सद्भावना बढ़ाने के लिए ट्रंप के इस दावे से सहमति जताई कि अगर वे 2022 में सत्ता में होते तो यूक्रेन युद्ध शायद शुरू ही नहीं होता.
पुतिन ने कहा, “यूक्रेन की स्थिति हमारी सुरक्षा के बुनियादी खतरों से जुड़ी है. इसके अलावा, हमने हमेशा यूक्रेनी राष्ट्र को भाईचारा मानने वाला राष्ट्र माना है… इसलिए देश ईमानदारी से इसे (युद्ध) खत्म करने में रुचि रखता है। साथ ही, हमें यकीन है कि समझौते को स्थायी और दीर्घकालिक बनाने के लिए हमें उस संघर्ष की सभी प्राथमिक जड़ों और कारणों को खत्म करना होगा.”
रूसी राष्ट्रपति का लंबे समय से मानना है कि जब तक “मूल कारणों” का समाधान नहीं होगा, शांति नहीं आ सकती. इस बात को उन्होंने ट्रंप से मुलाकात के बाद दोहराया. पुतिन ने स्वीकार किया कि चार साल से उनके और किसी अमेरिकी नेता के बीच कोई शिखर सम्मेलन नहीं हुआ—इससे अलास्का शिखर सम्मेलन को उन्होंने एक कूटनीतिक जीत बताया.
फरवरी 2022 में यूक्रेन के साथ खुले युद्ध के मौजूदा चरण की शुरुआत से ही पुतिन का जी7 सदस्य देशों द्वारा बहिष्कार किया गया है. पश्चिमी ताकतों ने पुतिन को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने पर ध्यान केंद्रित किया है. रूसी राष्ट्रपति पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है और समझौते के पक्षकार देशों में उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. अमेरिका और भारत इसमें शामिल नहीं हैं.
अलास्का समिट में यूक्रेन की कोई भागीदारी नहीं थी. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने समिट से पहले लगभग 30 अंतरराष्ट्रीय नेताओं से बात की थी, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे. इसका मकसद किसी ऐसे संभावित समझौते को रोकना था जिसमें ज़मीन की अदला-बदली हो सकती थी.
रूसी राष्ट्रपति की ट्रंप को मनाने की कोशिशें समिट के बाद सफल होती दिखीं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने फॉक्स न्यूज़ से कहा कि उन्हें अगले कुछ हफ्तों तक जवाबी टैरिफ लगाने के बारे में “सोचना नहीं पड़ेगा.”
ट्रंप ने कहा, “अब, मुझे शायद दो या तीन हफ्तों में इसके बारे में सोचना पड़े, लेकिन अभी हमें इसके बारे में नहीं सोचना है. मुझे लगता है, बैठक अच्छी रही.”
6 अगस्त को ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त दंडात्मक टैरिफ लगाए क्योंकि नई दिल्ली रूसी तेल खरीदता रहा. पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि भारत पर लगाए गए यही अतिरिक्त शुल्क पुतिन को अलास्का समिट में लाए.
यह समिट ट्रंप का प्रयास था उस गतिरोध को तोड़ने का, जिसने रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने की उनकी कोशिशों को रोके रखा था. चुनाव प्रचार के दौरान पिछले साल ट्रंप ने वादा किया था कि अगर वे व्हाइट हाउस में होते तो 24 घंटे में युद्ध खत्म कर देते.
लेकिन सत्ता में आठ महीने पूरे होने के बाद भी वे मॉस्को और कीव दोनों को बातचीत की मेज पर लाने और ऐसा समझौता कराने में नाकाम रहे हैं, जो दोनों पक्षों के लिए काम करे. पुतिन ने प्रेस से बयान में कोई वादा नहीं किया, जबकि ट्रंप अब भी साफ नहीं कर पाए हैं कि दोनों नेताओं के बीच क्या सहमति बनी.
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