scorecardresearch
Monday, 18 November, 2024
होमविदेशपाकिस्तानी ब्लॉगर की हत्या की कोशिश में ब्रिटिश नागरिक पर चला केस, ISI का हाथ होने का शक

पाकिस्तानी ब्लॉगर की हत्या की कोशिश में ब्रिटिश नागरिक पर चला केस, ISI का हाथ होने का शक

मुहम्मद गोहिर खान को 2021 में रॉटरडम में पाकिस्तानी ब्लॉगर अहमद वकास गोराया को मारने की कोशिश का दोषी पाया गया था. लेकिन जांच की कई कड़ियों में दिखी अस्पष्टता के मद्देनजर तमाम लोगों को इसके पीछे आईएसआई का हाथ होने का संदेह है.

Text Size:

नई दिल्ली: 2021 की गर्मियां खत्म होने में कुछ दिन बचे थे जब मुहम्मद गोहिर खान रॉटरडम के बदसूरत से इलाके मैथेनेसेरवेग में एक छोटे से अपार्टमेंट ब्लॉक में छिपा बैठा था और 9.99 पाउंड की अपनी चाकू को सबकी नजरों से छिपाकर रखने की जुगत भिड़ा रहा था. चाकू खरीदने के पीछे उसका इरादा दरअसल आइसलैंड ग्रॉसरी में प्रति घंटे 11 पाउंड कमाने वाले डिलीवरी ड्राइवर की जगह अच्छी-खासी रकम पाने वाला एक हत्यारा बनने का था.

छह बच्चों के पिता ने जून मध्य में लंदन से अपनी उड़ान पकड़ने से ठीक पहले पत्नी को टेक्स्ट मैसेज भेजा था, ‘कुछ काम के सिलसिले में मैं रॉटरडम जा रहा हूं. आई लव यू.’

पिछले हफ्ते, लंदन की ख्यात केंद्रीय क्रिमिनल कोर्ट ओल्ड बेली में एक हफ्ते चले मुकदमे के बाद गोहिर को पाकिस्तानी ब्लॉगर और असंतुष्ट लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ता अहमद वकास गोराया की हत्या के प्रयास का दोषी पाया गया. गोराया पर 2017 में ईशनिंदा का आरोप लगा था और उन्हें पहले कैद में रखा गया और प्रताड़ित किया गया, फिर उसी साल नीदरलैंड में निर्वासित होने के लिए मजबूर कर दिया गया.

हालांकि, कहानी में एक ट्विस्ट भी है और सवाल उठ रहा है कि दो महाद्वीपों की खुफिया सेवाओं को असंतुष्ट ब्लॉगर की हत्या की साजिश के बारे में पता कैसे चला. संभावित हत्यारे के रॉटरडम आने से करीब चार महीने पहले नीदरलैंड के खुफिया विभाग ने गोराया को सुरक्षा के लिहाज से हिरासत में ले लिया था, और उन्हे उनकी पत्नी और दो बच्चों के साथ एक सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया था.

इस बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया है कि फरवरी 2021 में डच अधिकारियों को वास्तव में कैसे पता चला कि गोराया की जान खतरे में है और यही नहीं संभावित अपराधियों के बारे में भी कुछ नहीं बताया गया है. जांच से जुड़े दो सूत्रों के मुताबिक, अभी तक ब्रिटेन की तरफ से पाकिस्तान से लाहौर निवासी को उस व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए औपचारिक अनुरोध भी नहीं किया है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि उसने गोराया और अन्य असंतुष्टों की हत्या के लिए गोहिर को 100,000 पाउंड देने की पेशकश की थी.

इन्हीं वजहों से कई लोगों को संदेह है कि गोराया की हत्या की साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का हाथ हो सकता है. खुद गोराया को भी इसमें कोई शक नहीं है.

निर्वासित विद्वान और दिप्रिंट की स्तंभकार आयशा सिद्दीका कहती हैं, ‘गोहिर मामले में अदालती कार्यवाही सिर्फ एक अध्याय का अंत है, न कि पूरी किताब का.’ ब्रिटिश अधिकारियों ने 2018 में आयशा की जिंदगी खतरे में होने को लेकर भी चेतावनी दी थी.
उन्होंने कहा, ‘ब्रिटिश सरकार को गोहिर खान के छिपे आकाओं का पता लगाने के लिए इस्लामाबाद से जवाब मांगकर गोराया जैसे असंतुष्टों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.’

वित्तीय स्थिति बिगड़ी, पाकिस्तानी नागरिक से नजदीकी बढ़ी

यह मामला काफी हद तक उन व्हाट्सएप संदेशों पर टिका हुआ था जो गोहिर और एक पाकिस्तान नागरिक ने एक-दूसरे को भेजे थे. पाकिस्तानी नागरिक की पहचान लाहौर निवासी 49 वर्षीय मुदस्सिर कमर के रूप में हुई, जिसने कथित तौर पर गोहिर को 5,000 पाउंड का अग्रिम भुगतान किया और उसे एक के बाद एक पाकिस्तानी असंतुष्टों की हत्या के लिए हजारों पाउंड देने का वादा भी किया.

सूत्रों ने बताया कि हालांकि, ब्रिटिश अधिकारियों ने यह कहते हुए कि मामले की जांच जारी है, कमर को एक संदिग्ध के रूप में नामित करने से इनकार कर दिया, और उसकी गिरफ्तारी के लिए पाकिस्तान से कोई औपचारिक अनुरोध भी नहीं किया.

यद्यपि गोहिर ने मुकदमे के दौरान दावा किया कि वह ‘मुड्ज़’ को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहा था, और एक बिगड़े कारोबारी रिश्ते का बदला लेने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उनके बीच संदेशों से घनिष्ठ मित्रता के संकेत मिलते हैं. दोनों ने एक-दूसरे को मौलवियों के बारे में चुटकुले शेयर किए, धार्मिक मसलों पर चर्चा की और एक बार तो गोहिर ने शिकायती लहजे में यह भी कहा कि वह रॉटरडम में हलाल मीट न मिलने से आजिज आ गया है.

जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दोनों की पहली मुलाकात तब हुई थी जब गोहिर, जो अब 32 वर्ष का है, शादी के जरिये ब्रिटेन की नागरिकता हासिल करने से पहले लाहौर में शरीफ एजुकेशनल कॉम्प्लेक्स में छात्र था. इनके बीच परस्पर संबंधों को लेकर कोई सटीक जानकारी तो उपलब्ध नहीं है लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि कमर ने गोहिर के स्वामित्व वाले कार्गो व्यवसाय के कराची कार्यालय में कुछ समय काम किया था.

2019 में परिवार के स्वामित्व वाला हज-यात्रा व्यवसाय ध्वस्त होने के बाद गोहिर की आर्थिक स्थिति बिगड़ती चली गई और उस पर 204,000 पाउंड से अधिक का कर्ज हो गया. पिछले साल, एक कोर्ट ने गोहिर को दिवालिया घोषित कर दिया था क्योंकि उसके पास निवेशकों के 153,000 पाउंड के भुगतान का कोई साधन नहीं था. गोहिर पर ब्रिटेन सरकार का भी 45,000 पाउंड का कर्ज था, जो उसे कोविड राहत पैकेज के हिस्से के तौर पर मिला था.

‘शार्क नहीं टूना मछली’

अभियोजकों का कहना है कि दोनों लोगों के बीच इस साजिश पर चर्चा 2020 की शरद ऋतु में शुरू हुई थी, कमर ने इसी दौरान अपने दोस्त से कहा था कि इसमें केवल ‘किसी टूना’ को शामिल करना है न कि किसी ‘शार्क’ को.

अग्रिम राशि मिलने पर गोहिर रॉटरडम रवाना हो गया और कोविड संबंधी पाबंदियों से बचने के लिए उसने एक दोस्त के नकली निमंत्रण पत्र का इस्तेमाल करने की कोशिश की. लेकिन आव्रजन अधिकारियों ने उसे लौटा दिया. बाद में वह सड़क मार्ग के रास्ते फ्रांस होते हुए नीदरलैंड पहुंचा और अग्रिम राशि का एक बड़ा हिस्सा उसने होटल, किराये पर कार लेने और खाने-पीने पर खर्च कर दिया.

अजीब बात यह है कि संभावित हत्यारा शायद गलत जगह पर दांव लगा रहा था, उसकी नजरें उस फ्लैट से कुछ दूरी पर स्थित एक ब्लॉक पर टिकी थीं जिसमें कभी गोराया रहते थे. ब्लॉगर का पता लगाने के कई असफल प्रयासों—जिसमें एक स्थानीय कैफे और पाकिस्तानी स्वामित्व वाले व्यापार केंद्र में उसकी तस्वीरें दिखाना शामिल था—के बाद निराश होकर गोहिर ने पड़ोस के एक वीडियो को सर्विलांस फुटेज के साथ मिलान के लिए भेज दिया, जो पहले कमर के आकाओं को भेजा गया था. हालांकि, कुछ दिनों के बाद हार मानकर उसने ब्रिटेन लौटने का फैसला किया.


यह भी पढ़ें : ‘जिंदा शहीद’ बताई जाने वाली पाकिस्तानी-अमेरिकी जिहादी आफिया सिद्दीकी जिसके लिए अब तक 57 लोग मारे गए


क्या ब्रिटिश खुफिया एजेंसी गोहिर का पीछे कर रही थीं?

हालांकि, जिन परिस्थितियों में गोहिर की गिरफ्तारी हुई, उससे तमाम सवाल खड़े होते हैं. 21 जून 2021 को रॉटरडम में आव्रजन अधिकारियों की तरफ से सवाल उठाए जाने के बाद अभियोजकों ने कहा कि नीदरलैंड के अधिकारियों ने स्कॉटलैंड यार्ड के आतंकवाद-रोधी अधिकारियों से आगे की जांच के लिए कहा है. अभियोजकों ने आगे बताया कि गोहिर ने रॉटरडम से लौटने के बाद अपना सैमसंग गैलेक्सी सेलफोन स्कॉटलैंड यार्ड को सौंप दिया था, हालांकि उसने इसे अनलॉक करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला कोड बताने से इनकार कर दिया.

अभियोजकों ने बताया कि फोरेंसिक विशेषज्ञ अगले दिन फोन को डिक्रिप्ट करने और व्हाट्सएप मैसेज फिर हासिल करने में सक्षम रहे, जिससे गोहिर और कमर के बीच हत्या की साजिश को लेकर बातचीत का खुलासा हुआ. इसके बाद गोहिर को 23 जून को गिरफ्तार कर लिया गया.
हालांकि, मुकदमे के दौरान पुलिस ने इस बारे में कोई सबूत नहीं पेश किया कि रॉटरडम में गोहिर ने ऐसा क्या कहा जिसकी वजह से आव्रजन अधिकारियों ने उसे संभावित आतंकवादी घटना का संदिग्ध माना, और अगर नीदरलैंड पुलिस उसे खतरा मान रही थी तो उसने उससे पूछताछ क्यों नहीं की.

खुफिया जानकारी में इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं बताए जाने कि गोराया को सुरक्षा के लिहाज से हिरासत में क्यों लिया गया और साथ ही कमर के आकाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से ऐसी अटकलों को बल मिला है कि ब्रिटिश खुफिया एजेंसी को हत्या के प्रयास के पीछे आईएसआई निदेशालय की भूमिका के बारे में जो कुछ भी पता है, वह उसका खुलासा करने की इच्छुक नहीं है.

गोराया ने कहा, ‘मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि मेरी हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देने की कोशिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का हाथ है. मेरी हत्या का आदेश किसने दिया और क्यों दिया, इसका पूरा सच अभी सामने नहीं आया है.’

पिछले साल हमला हुआ, धमकी भी दी गई

जांचकर्ताओं ने उस व्यक्ति का भी पता नहीं लगाया है जिसने मैथेनेसेरवेग की रेकी कर वीडियो बनाया था, जिस जगह के बारे में बताया जाता है कि गोराया और उनका परिवार कभी-कभी एक दोस्त से मिलने जाता था. हालांकि मुकदमे के दौरान यह बात सामने आई कि उस सड़क पर कम से कम तीन सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं.

सूत्रों ने बताया कि जिस खुफिया जानकारी के आधार पर डच अधिकारियों ने गोराया और उसके परिवार को वहां से हटाया वह रॉटरडम बंदरगाह में सीमा पार नशीले पदार्थों का सिंडिकेट चलाने वालों को निशाना बनाकर चलाए गए निगरानी अभियान के कारण सामने आई थी.
एक सूत्र ने कहा कि गोराया परिवार को सुरक्षित जगह पर ले जाए जाने के बाद हत्या की साजिश से जुड़े कम से कम एक व्यक्ति ने नीदरलैंड का दौरा किया और उनका पता लगाने की कोशिश की.

पिछले साल, गोराया ने डच पुलिस को बताया था कि उस पर एक व्यक्ति ने हमला किया था, जो जातीय पश्तून लग रहा था. उसने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी, और यह दावा भी किया था कि वह जानता है कि उनका परिवार कहां रहता है. लेकिन उस दौरान किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी.
2018 में आईएसआई द्वारा अवैध रूप से गिरफ्तार की गईं और अब लंदन में रह रहीं पत्रकार गुल बुखारी ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि गोराया की हत्या की कोशिश करने वाले को दोषी पाया गया है.’

उन्होंने कहा, ‘उनकी और अन्य पाकिस्तानी असंतुष्टों की हत्या की कोशिश करने वाले अन्य कई लोग अभी भी फरार हैं, लेकिन सबसे अहम बात यह है कि ब्रिटेन जैसे महत्वपूर्ण देश ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर वे ऐसी गतिविधियां चलाते हैं तो नतीजे भुगतने होंगे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments