नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इज़रायल पर हमास के 7 अक्टूबर के हमले की आलोचना के साथ-साथ इस युद्ध के कारण नागरिकों की लगातार बढ़ती मौतों की भी निंदा की.
हालांकि, उन्होंने पहले भी मध्य पूर्व युद्ध पर बयान जारी किए हैं, लेकिन यह पहली बार है कि उन्होंने किसी सार्वजनिक मंच पर व्यक्तिगत रूप से इस संघर्ष के बारे में टिप्पणी की है.
दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट (वीओजीएसएस) के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए – जिसकी मेजबानी भारत कर रहा है – प्रधानमंत्री ने नेताओं से ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक स्वर में बोलने का आग्रह किया.
मोदी ने वर्चुअल शिखर सम्मेलन में कहा, “हम सभी पश्चिम एशिया क्षेत्र की घटनाओं से उभरती नई चुनौतियों को देख रहे हैं. भारत ने 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए आतंकी हमले की निंदा की है. हमने बातचीत और कूटनीति के साथ-साथ संयमित प्रतिक्रिया देने का आग्रह किया. हम इजरायल और हमास के बीच संघर्ष में नागरिकों की मौत की भी कड़ी निंदा करते हैं.”
जबकि मोदी के पहले के जारी बयानों में हमास के हमले की निंदा की गई थी और इजरायल द्वारा अपनी रक्षा किए जाने के अधिकार का समर्थन किया गया था, लेकिन उनकी नवीनतम टिप्पणियों ने भारत की उस स्थिति को दोहराया है कि आतंकवादी समूह हमास फिलिस्तीनी लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.
संघर्ष के कारण नागरिकों की मौत पर चिंता व्यक्त करते हुए, मोदी ने फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास के साथ अपनी बातचीत और गाजा के लोगों को भारत की मानवीय सहायता के बारे में भी बात की.
उन्होंने कहा, “यह वह समय है जब ग्लोबल साउथ के देशों को व्यापक वैश्विक भलाई के लिए एकजुट होना चाहिए.”
पिछले महीने इजरायल और हमास के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद से भारत अब तक 6.5 टन मेडिकल सहायता और 32 टन आपदा राहत सामग्री भेज चुका है.
संबंधित अधिकारियों द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, 7 अक्टूबर को इज़रायल के दक्षिणी समुदायों पर हमास के हमले में 1,200 से अधिक लोग मारे गए, जबकि इज़रायल की जवाबी हवाई बमबारी और गाजा क्षेत्र में जमीनी घुसपैठ में 11,000 से अधिक लोग मारे गए हैं.
शिखर सम्मेलन में, मोदी ने DAKSHIN या डेवलपमेंट एंड नॉलेज शेयरिंग इनीशिएटिव का उद्घाटन किया – एक ‘ग्लोबल साउथ’ सेंटर ऑफ एक्सिलेंस है जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं को विश्व के मुद्दों पर आवाज बुलंद करने में सक्षम बनाएगा.
मोदी ने कहा, ”भौगोलिक रूप से, ग्लोबल साउथ हमेशा अस्तित्व में रहा है, लेकिन इसे पहली बार आवाज़ मिल रही है और यह सभी के मिले-जुले प्रयासों के कारण है. हम 100 से अधिक देश हैं लेकिन हमारी प्राथमिकताएं समान हैं.”
उन्होंने 5 ‘सी’ के बारे में भी बात की, जिसके प्रति प्रतिबद्धता इन देशों के विकास को शक्ति प्रदान करेगी. प्रधानमंत्री उन्हें “कन्सल्टेशन, को-ऑपरेशन, कम्युनिकेशन, क्रिएटिविटी और कपैसिटी बिल्डिंग” कहते हैं.
शिखर सम्मेलन के अग्रणी नेताओं के सत्र का विषय ‘‘Together, for Everyone’s Growth, with Everyone’s Trust’ है, जबकि समापन सत्र का विषय ‘ग्लोबल साउथ: टुगेदर फॉर वन फ्यूचर’ है.
इन दो सत्रों के अलावा, विदेश नीति (‘भारत और वैश्विक दक्षिण: एक बेहतर भविष्य के लिए एक साथ उभरना’), वित्त (‘जन-केंद्रित विकास का वित्तपोषण’), स्वास्थ्य (‘एक स्वास्थ्य के लिए ग्लोबल साउथ से समाधान’) जैसे आठ व अन्य विषयों पर मंत्रि-स्तरीय सत्र होंगे.
कुछ अन्य सत्रों में ‘मानव संसाधनों को भविष्य के लिए तैयार करना’ विषय पर शिक्षा मंत्रियों की बैठक शामिल है, जबकि पर्यावरण मंत्री ‘जलवायु लचीलेपन और जलवायु वित्त के लिए सतत समाधान’ पर चर्चा करेंगे.
ऊर्जा मंत्रियों के सत्र को ‘सतत विकास के लिए किफायती और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन’ कहा जाता है; और वाणिज्य या व्यापार मंत्रियों का शीर्षक ‘ग्लोबल साउथ एंड रेजिलिएंट सप्लाई चेन’ है.
भारत अगले महीने 12-14 दिसंबर को आर्टिफिशियल ग्लोबल पार्टनरशिप शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए भी तैयार है, जिसमें जिम्मेदार एआई, डेटा गवर्नेंस, काम और नवाचार का भविष्य और व्यावसायीकरण सहित एआई के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
आगामी शिखर सम्मेलन पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत का मानना है कि नई तकनीक को ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ के बीच अंतर को चौड़ा नहीं करना चाहिए. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समय में यह जरूरी है कि टेक्नॉलजी का इस्तेमाल जिम्मेदारी से किया जाए.’
भारत ने इस साल की शुरुआत में 12-13 जनवरी को पहले वर्चुअल VOGSS की मेजबानी की, जहां 125 देशों ने शिक्षा, विदेश नीति और तमाम अन्य विषयों पर केंद्रित 10 सत्रों में भाग लिया. शिखर सम्मेलन ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक मंच पर अपने मुद्दों को उजागर करने के लिए एक साथ आने की अनुमति दी.
मोदी ने नई दिल्ली जी20 शिखर सम्मेलन के कई महत्वपूर्ण परिणामों पर जोर दिया, जिससे ‘ग्लोबल साउथ’ को लाभ हुआ, जिसमें अफ्रीकी संघ को अंतर्सरकारी मंच में शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय भी शामिल है.
की गई कुछ अन्य पहलों में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए ‘जी20 एक्शन प्लान’ और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार करना, अधिक समावेशी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधि बनना शामिल है.
(संपादन: शिव पाण्डेय)
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