तिब्बत का यह कदम, कदमों की एक श्रृंखला का हिस्सा है क्योंकि भारत ने दलाई लामा के बाद की दुनिया से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है।
नई दिल्लीः पिछले हफ्ते दिप्रिंट ने बताया था कि कर्मापा लामा, ओगेन त्रिनले दोर्जे, भारत सरकार के साथ अपनी वापसी की शर्तो पर बातचीत कर रहे हैं क्योंकि नई दिल्ली दलाई लामा के बाद के बाद युग की तैयारी में है। पता चला है कि, इस संकटकालीन स्थिति को हल करने के लिए अन्य कदमों के अलावा, तिब्बत की निर्वासित सरकार ने चुपचाप अपने ‘निर्वाचित प्रधानमंत्री’ लोबसंग सांगये का पद बदलकर केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) का ‘अध्यक्ष’ कर दिया है।
चीनी आलोचना, कि यह सिर्फ आध्यात्मिक संगठन ही नहीं बल्कि एक राजनीतिक संगठन भी था, से बचने के लिए तिब्बत सरकार ने यह निर्णय दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के कुछ दिनों बाद 4 अप्रैल 2017 को लिया था।
सांगये ने तिब्बती से अंग्रेजी में होने वाले अनुवाद (व्याख्या) में अंतर की बात कहते हुए अपने पद में बदलाव के बारे में जारी अटकलों को खारिज कर दिया।
सांगये ने इस अंतर पर सफाई देते हुए कहा कि “जब 2012 में दलाई लामा ने अपनी अस्थायी जिम्मेदारियों को त्याग दिया था और मैं तिब्बत की निर्वासित सरकार (तिब्बती सरकार-इन-एक्साइल) के प्रमुख के रूप में चुना गया था तब मेरा पद ‘कलोन त्रिपा’ से बदलकर ‘सिक्योंग’ हो गया था।”
उन्होंने कहा कि ‘सिक्योंग’ शब्द केन्द्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के अध्यक्ष के हमेशा करीब ही था, भले ही मीडिया ने उन्हें लगातार निर्वासित प्रधानमंत्री (प्रधानमंत्री-इन-एक्साइल) के रूप में संबोधित किया है।
सांगेय ने दिप्रिंट को यह भी बताया कि कर्मापा लामा अमेरिकी नागरिकता नहीं ले रहे हैं, और वह दलाई लामा द्वारा बुलाई गई कॉन्फ्रेंस में तिब्बती वंश के सभी प्रमुखों के साथ भाग लेंने भारत वापस आ रहे हैं।
दिल्ली कर्मापा लामा का अमेरिका से भारत लौटने की उत्सुकतापूर्वक उम्मीद कर रही है, वह एक साल से अमेरिका में ही रह रहे थे।
सांगेय ने कहा “उनको आना चाहिए। उन्हें बैठक के लिए आना होगा, तो इसलिए वह भारत वापस आएंगे। यह सभा हर तीन साल बाद आयोजित की जाती है, और उनका सभा में आना अनिवार्य है। उन्हें अमेरिकी नागरिकता की पेशकश नहीं की गई है। यह इतना आसान नहीं… और वह इसे ग्रहण नहीं करेंगे।”
सांगेय ने दलाई लामा के खराब स्वास्थ्य की अफवाहों को नकारते हुए उन्हे “बकवास” बताया और कहा कि “वह हाल ही में लद्दाख में थे। वह एकदम स्वस्थ हैं।
83 बर्षीय दलाई लामा के स्वास्थ्य से जुड़ी बढ़ती अफवाहों के बीच, सांगेय ने इस सप्ताह की शुरूआत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। उन्होंने दिप्रिंट से इस बैठक को “औपचारिक मुलाकात” के रूप में वर्णित किया।
हालांकि आधिकारिक सीटीए बेवसाइट के मुताबिक, आरएसएस प्रमुख ने भारत और तिब्बत को एक “परिवार” बताया और “तिब्बत के मुद्दे को उठाने के लिए अपने समर्थन का आश्वासन दिया।”
सांगेय ने हाल ही में हुए कार्यक्रम में दलाई लामा के द्वारा नेहरू को “खुदगर्ज” कहने की बात को भी नकार दिया। उन्होंने कहा “दलाई लामा को गलत समझा गया… वह पंडित नेहरू के बहुत बड़े प्रशंसक हैं।“ उन्होंने यह भी बताया कि “यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जो भारत का सबसे बड़ा प्रशंसक है, तो वह दलाई लामा हैं।”
Read in English: Tibetan government quietly changed its PM’s designation. India won’t be unhappy about it