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Tuesday, 3 December, 2024
होमविदेश‘कहानी अभी पूरी तरह से नहीं लिखी गई है’, पन्नुन मामले पर बोले अमेरिकी NSA जेक सुलिवन

‘कहानी अभी पूरी तरह से नहीं लिखी गई है’, पन्नुन मामले पर बोले अमेरिकी NSA जेक सुलिवन

शनिवार को 2024 एस्पेन सिक्योरिटी फोरम में बोलते हुए, अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने यह भी कहा कि चीन के लिए ‘जूनियर पार्टनर’ के रूप में रूस ‘आगे चलकर भारत के लिए विश्वसनीय मित्र नहीं होगा’.

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नई दिल्ली: सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नून के खिलाफ कथित हत्या की साजिश को लेकर नई दिल्ली और वाशिंगटन डीसी के बीच चल रही बातचीत के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने शनिवार को कहा कि “कहानी अभी पूरी तरह से लिखी जानी बाकी है”.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के बाद, बाइडेन के शीर्ष सुरक्षा सहयोगी ने यह भी चेतावनी दी कि चीन के साथ बढ़ती निकटता के कारण, मॉस्को आगे चलकर नई दिल्ली का “विश्वसनीय मित्र” नहीं रहेगा.

पन्नून मामले के बारे में भारत से अमेरिका को संतोषजनक स्पष्टीकरण मिला है या नहीं, इस पर सुलिवन ने कहा कि बातचीत “रचनात्मक” रही है और यह एक “संवेदनशील” मामला बना हुआ है.

उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि उस बातचीत की प्रकृति के बारे में सार्वजनिक रूप से बात करने का कोई खास महत्व है. यह संवेदनशील है और हम इस पर काम कर रहे हैं. मेरे विचार से कहानी अभी पूरी तरह से नहीं लिखी गई है.” आगे उन्होंने कहा, “हमें इस पर काम करते रहना चाहिए, लेकिन इस मुद्दे पर भारत के साथ हमारी रचनात्मक बातचीत हुई है. हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम इस पर कहां खड़े हैं और हम क्या देखना चाहते हैं. यह सम्मानजनक और प्रभावी रहा है क्योंकि यह बंद दरवाजों के पीछे हो रहा है.”

इससे पहले, जून में, सुलिवन के साथ दिल्ली आए उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल ने कहा था कि अमेरिका पन्नुन मामले में भारत से जवाबदेही चाहता है और पिछले नवंबर में नई दिल्ली द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति पर “लगातार अपडेट मांगा है”.

शनिवार को कोलोराडो में 2024 एस्पेन सिक्योरिटी फोरम में बोलते हुए सुलिवन से मोदी की हाल की रूस यात्रा के बारे में पूछा गया. उन्होंने कहा, “मुझे उस यात्रा से कोई ठोस सबूत नहीं मिला कि भारत वास्तव में [रूस के साथ अपने सैन्य संबंधों] को गहरा कर रहा है.”

इस महीने की शुरुआत में, मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए रूस को चुना. इस यात्रा को “समय की कसौटी पर खरे उतरे दोस्त” के साथ संबंधों को गहरा करने के प्रयास के रूप में देखा गया. इसने यूक्रेन युद्ध के बीच मास्को और पश्चिम के बीच भारत के संतुलन साधने को कसौटी पर डाल दिया है. मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऊर्जा और रक्षा से परे व्यापार और आर्थिक संबंधों को व्यापक बनाने के प्रयास में नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए.

सुलिवन ने कोलोराडो में एक श्रोता से कहा, “भारत का रूस के साथ ऐतिहासिक रिश्ता है जिसे वे खत्म नहीं करने जा रहे हैं. हम भारत के साथ उस रिश्ते की बारीकियों और प्रकृति के बारे में गहन बातचीत जारी रखना चाहते हैं और यह भी कि क्या यह रिश्ता आगे बढ़ेगा, खासकर इसलिए क्योंकि रूस चीन के करीब आ रहा है.”

उन्होंने कहा, “चीन के जूनियर पार्टनर के तौर पर, रूस जरूरी नहीं कि भविष्य में किसी आकस्मिक स्थिति या संकट में भारत के लिए एक महान और विश्वसनीय दोस्त साबित हो.”

मोदी और पुतिन के बीच गले मिलने के बारे में पूछे जाने पर सुलिवन ने कहा कि यह अच्छा नहीं लग रहा था.

उन्होंने कहा, “मोदी का विश्व नेताओं का अभिवादन करने का एक खास तरीका है. मैंने इसे बहुत करीब से देखा है. हम कभी नहीं चाहते कि जिन देशों की हम परवाह करते हैं, जो हमारे साझेदार और मित्र हैं, वे मॉस्को में आकर पुतिन को गले लगाएं. बेशक, हम ऐसा नहीं चाहते.”

9 जुलाई को, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने गले लगाने पर मोदी की आलोचना की. यूक्रेनी नेता ने इसे “निराशाजनक और शांति प्रयासों के लिए विनाशकारी झटका” कहा. मोदी और पुतिन का गले मिलना उस दिन हुआ जब कीव में बच्चों के अस्पताल पर मिसाइल हमला हुआ था.

त्रासदी के तुरंत बाद, मोदी ने पुतिन के साथ अपनी बातचीत में “निर्दोष लोगों” के नुकसान के लिए खेद व्यक्त किया और इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष का समाधान केवल बातचीत और कूटनीति के माध्यम से ही पाया जा सकता है, न कि युद्ध के मैदान में.

पिछले हफ़्ते भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सुलिवन को फ़ोन किया और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के बारे में बात की. यह मोदी की रूस यात्रा के सुर्खियों में आने के कुछ दिनों बाद हुआ. दोनों एनएसए की आखिरी मुलाक़ात जून में दिल्ली में क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसीईटी) की पहल की वार्षिक बैठक के दौरान हुई थी. भारत और अमेरिका के बीच संबंधों पर बोलते हुए सुलिवन ने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की भू-राजनीति में दोनों देशों के बीच अवसर हैं, जहां चीन का उदय हो रहा है.

सुलिवन ने कोलोराडो में दर्शकों से कहा, “हम प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र और व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शासन कला और भू-राजनीति में [भारत के साथ] बहुत बड़ा अवसर देखते हैं.”

उन्होंने कहा, “हम समान और दो संप्रभु देशों के रूप में उस रिश्ते को गहरा करना चाहते हैं, जिनके अन्य देशों के साथ भी संबंध हैं.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

 

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