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Tuesday, 17 December, 2024
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श्रीलंका के राष्ट्रपति ने आर्थिक संकट से निपटने के लिए 17 मंत्रियों की नई कैबिनेट बनाई

प्रशासन के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नए मंत्रियों की नियुक्ति की गई है. उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई गई. यह तीसरा कैबिनेट फेरबदल है.

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कोलंबो: श्रीलंका में राष्ट्रपित गोटाबाया राजपक्षे ने सोमवार को देश आर्थिक संकट से लड़ने के लिए 17 मंत्रियों को कैबिनेट बनाई है. वहीं देश में आर्थिक और राजनीतिक संकट के बाद सरकार विरोधी विरोध प्रदर्शन जारी हैं।

प्रशासन के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नए मंत्रियों की नियुक्ति की गई है. उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई गई. राष्ट्रपति राजपक्षे द्वारा किया गया यह तीसरा कैबिनेट फेरबदल है.

कोलंबो पेज की रिपोर्ट की मुताबिक नए मंत्रिमंडल में आठ पूर्व मंत्री शामिल हैं, लेकिन इसमें कई नए चेहरे होंगे.

3 अप्रैल को, प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर 26 मंत्रियों के पूरे मंत्रिमंडल ने द्वीप के इतिहास में सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच अपने-अपने विभागों से इस्तीफा दे दिया.

अगले दिन, राष्ट्रपति राजपक्षे ने संसद और देश के अन्य कार्यों की वैधता और स्थिरता बनाए रखने के लिए चार मंत्रियों को नियुक्त किया था.

स्वतंत्रता के बाद से यह द्वीप राष्ट्र अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जिसमें भोजन और ईंधन की कमी, बढ़ती कीमतों और बिजली कटौती ने बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार के हालत से निपटने को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था एक तेज गिरावट में है, जिससे पर्यटन क्षेत्र लड़खड़ा गया है.

श्रीलंका को विदेशी मुद्रा की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है, जिससे खाद्य और ईंधन आयात करने की उसकी क्षमता प्रभावित हुई है. आवश्यक वस्तुओं की कमी ने श्रीलंका को मित्र देशों से सहायता लेने के लिए मजबूर किया है.

आर्थिक स्थिति को लेकर लोग प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांगों के साथ भारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

इससे पहले, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्र के नाम एक विशेष संबोधन में लोगों से धैर्य रखने और सड़कों पर उतरना बंद करने का अनुरोध किया था ताकि सरकार स्थिति को हल कर सके.

लोगों के विरोध से मंत्रिमंडल ने दिया था इस्तीफा

इस महीने की शुरुआत में देशभर में हजारों लोग आपातकाल और कर्फ्यू की अवहेलना करते हुए सरकार की निंदा करने के लिये सड़कों पर उतर आए थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद राष्ट्रपति को विपक्षी सदस्यों को साथ लेते हुए समावेशी कैबिनेट के गठन का रास्ता साफ करने को मजबूर होना पड़ा था. हालांकि विपक्ष ने पेशकश को ठुकरा दिया था.

महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को 17 सदस्यीय मंत्रिमंडल के साथ शपथ ली. इससे पहले तीन मंत्रियों को नियुक्त किया गया था.

नये मंत्रिमंडल में परिवार की ओर से पूर्व सदस्यों चामल राजपक्षे और महिंदा के बेटे नामल राजपक्षे को जगह नहीं दी गई है. ये दोनों कैबिनेट मंत्री थे जबकि शशिंद्र राजपक्षे राज्यमंत्री थे.

श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद, अब तक के सबसे बदतर आर्थिक हालात से गुजर रहा है. आर्थिक संकट के चलते देश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है.

एएनआई और भाषा के इनपुट्स के साथ

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