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Sunday, 22 December, 2024
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एनर्जी, बुनियादी ढांचे, संचार- श्रीलंका की मदद करने और संबंधों को मजबूत बनाने के लिए भारत की बड़ी योजनाएं

इस महीने की शुरुआत में डिप्टी एनएसए की अध्यक्षता में विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों की बैठक के दौरान भारत और श्रीलंका के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई.

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नई दिल्ली: श्रीलंका में संकट के बदतर होने से पहले ही नई दिल्ली ने कोलंबो के साथ अपने सहायता प्रयासों में तेजी लाने, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और दोनों पड़ोसियों के बीच पारंपरिक संबंधों को मजबूत करने के अवसर का इस्तेमाल करने के लिए एक व्यापक योजना बना ली है.

इस द्वीप राष्ट्र में शनिवार को उस समय उबाल आ गया जब गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने आलीशान राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया, जिस कारण राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को कथित तौर पर देश छोड़कर भागना पड़ा. इसके बाद उन्होंने कोलंबो में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में आग भी लगा दी.

विक्रमसिंघे ने इस साल मई में महिंदा राजपक्षे के पद छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उन्होंने शनिवार को एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने पार्टी नेताओं के पद छोड़ने और सर्वदलीय सरकार के लिए रास्ता बनाने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है. घंटों बाद, श्रीलंका की संसद के अध्यक्ष ने घोषणा की कि गोटाबाया भी 13 जून को इस्तीफा दे देंगे.

श्रीलंका में ताजा घटनाक्रम के बारे में एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के बाहर संवाददाताओं से कहा कि भारत ‘श्रीलंका का बड़ा समर्थक’ रहा है और मदद करने की कोशिश कर रहा है. जयशंकर ने कहा, ‘वे अभी अपनी समस्याओं से निपटने में लगे हैं, इसलिए हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि वे क्या करते हैं.’ उन्होंने कहा कि श्रीलंका में अशांति के चलते अभी कोई ‘शरणार्थी संकट’ नहीं है.

इसके जानकार शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि एक जुलाई को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) विक्रम मिश्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी बैठक के दौरान कोलंबो के साथ भारत के ‘आर्थिक संबंधों’ को बढ़ाने के लिए ‘अवसरों’ पर विचार करने की योजना पर चर्चा की गई थी.

अधिकारियों ने कहा कि श्रीलंका में भारत की प्राथमिकता वाली परियोजनाओं, व्यापार और कनेक्टिविटी के कार्यान्वयन पर चर्चा के अलावा, श्रीलंका में लेनदेन के लिए भारतीय रुपये का इस्तेमाल करने के प्रस्ताव में तेजी लाने की जरूरत पर भी बैठक में विचार-विमर्श किया गया था.

अधिकारियों में से एक ने कहा कि भारत एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर काम कर रहा है, जो ‘अधिक दीर्घकालिक’ है और इसका उद्देश्य ‘व्यापार और निवेश संबंधों को गहरा करना’ है इसमें श्रीलंका के पूर्वोत्तर तट पर त्रिंकोमाली बंदरगाह का विकास, बिजली परियोजनाएं, भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाली उड़ानों की संख्या को बढ़ाना, मत्स्य पालन बंदरगाहों का विकास और नौका सेवाओं को फिर से शुरू करना शामिल है.

श्रीलंका मौजूदा समय में अपने सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक का सामना कर रहा है. इसके विदेशी भंडार में कमी के कारण ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के आयात को प्रतिबंधित कर दिया गया है. इस कारण देश में इनकी भारी कमी हो गई है.

नई दिल्ली ने इस साल जनवरी से पहले ही ऋण, क्रेडिट लाइन और क्रेडिट स्वैप में $ 3 बिलियन से ज्यादा की सहायता करते हुए श्रीलंका की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया था. इसके अलावा भारत ने संकट के समय में द्वीप राष्ट्र को जरूरी चिकित्सा आपूर्ति, खाद्य पदार्थ, खाद्यान्न और पेट्रोलियम उत्पाद भी वितरित किए हैं.

श्रीलंका में फिर से अपनी उपस्थिति बढ़ाने की भारत की उत्सुकता द्वीप राष्ट्र में चीन के बढ़ते प्रभाव की पृष्ठभूमि में आती है. बीजिंग कोलंबो के लेनदारों में तीसरे नंबर पर आता है और इसके बकाया ऋण के 10 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हिस्से के लिए जिम्मेदार है. चीन ने श्रीलंका में रणनीतिक बंदरगाहों के विकास सहित बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया है.

बीजिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत श्रीलंका ने अपने बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए चीन से बड़े पैमाने पर उधार लिया था.

इस द्वीप राष्ट्र में चीनी की बढ़ती उपस्थिति ने भारतीय संस्थानों के बीच चिंता बढ़ा दी थी.


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भारत का फोकस ‘ प्राथमिकता वाली परियोजनाओं’ पर

सरकारी अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि इस महीने की शुरुआत में डिप्टी एनएसए की अध्यक्षता में हुई अंतर-मंत्रालयी बैठक के दौरान ‘ प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट’ – श्रीलंका के साथ भारत के व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ाने के प्रस्तावों- पर चर्चा की गई थी.

इसमें द्वीप राष्ट्र में पेट्रोलियम खुदरा क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ाना, त्रिंकोमाली बंदरगाह के विकास के लिए एक एकीकृत प्रस्ताव तैयार करना, एक ऊर्जा केंद्र की योजना, कोच्चि के लिए उप-समुद्री संपर्क की स्थापना और एक ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह का विकास शामिल है.

दिप्रिंट के पास मीटिंग के मिनट्स की एक प्रति है. इसके अनुसार, एक हवाई अड्डे का विकास, एक रिफाइनरी की स्थापना, एक भारी उद्योग क्षेत्र के रूप में 2,400 एकड़ भूमि का विकास और तेल टैंकों का नवीनीकरण भी प्रस्ताव का हिस्सा थे.

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय और विदेश मंत्रालय सहित संबंधित मंत्रालयों को इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार करने और इसे जल्द ही श्रीलंका के साथ साझा करने का निर्देश दिया गया है.

डिप्टी एनएसए मिस्री की अध्यक्षता में 1 जुलाई को हुई बैठक में कैबिनेट सचिवालय और वित्त, वाणिज्य, विदेश, मत्स्य पालन, बिजली, नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.

अधिकारी ने कहा कि एक प्रमुख क्षेत्र जहां भारत अपनी उपस्थिति बढ़ाने का इच्छुक है, वह है पेट्रोलियम रिटेल का ‘आर्थिक रूप से रणनीतिक’ क्षेत्र. बैठक में इंडियन ऑयल की सहायक कंपनी लंका इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (एलआईओसी) के लिए अतिरिक्त शेड – फ्यूल स्टेशन/आउटलेट- के अधिग्रहण के लिए फास्ट-ट्रैकिंग मंजूरी पर भी चर्चा की गई.

योजना की जानकारी रखने वाले सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत अपनी उपस्थिति बढ़ाने और श्रीलंका के बिजली क्षेत्र में निवेश करने पर भी विचार कर रहा है. इसमें पावर ग्रिड कनेक्टिविटी परियोजना के लिए एक संयुक्त उद्यम के गठन को अंतिम रूप देना और पूर्वी त्रिंकोमाली के समपुर में सौर ऊर्जा संयंत्र में तेजी लाना शामिल है.

भारत के राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) ने मार्च 2022 में सीलोन बिजली बोर्ड (सीईबी) के साथ संयुक्त रूप से समपुर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. एक बार पूरा हो जाने के बाद इसमें 100 मेगावाट (मेगावाट) बिजली पैदा करने की क्षमता होगी.

बुनियादी ढांचे से संबंधित मंत्रालयों में से किसी एक में कार्यरत एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि भारत भी श्रीलंका से हवाई संपर्क को मजबूत करने पर विचार कर रहा है. अधिकारी ने बताया, ‘ भारत देश को श्रीलंका के उत्तरी प्रांत से जोड़ने वाली उड़ानों की संख्या बढ़ाने की ओर देख रहा है’

इसके अलावा, कांकेसंथुरई से कराईकल और तलाईमन्नार से रामेश्वरम तक नौका सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए ‘पर्याप्त उपायों और सुविधाओं’ की जरूरतों पर भी बैठक के दौरान चर्चा की गई. पहले उद्धृत अधिकारी ने कहा, इसमें उपयुक्त ऑपरेटरों की पहचान और सुरक्षा मंजूरी शामिल होगी.

भारत के लिए एक अन्य प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट में जाफना में स्थित प्वाइंट पेड्रो मत्स्य पालन बंदरगाह का विकास/ अपग्रेडेशन शामिल है. इस प्रोजेक्ट से उत्तरी प्रांत में मत्स्य उत्पादन में बढ़ोतरी होगी.

दिप्रिंट के पास मीटिंग की मिनट्स की जो प्रति है, उसके अनुसार, मत्स्य विभाग (मत्स्य पालन मंत्रालय के तहत) को इस बंदरगाह के संयुक्त प्रबंधन के प्रस्ताव की जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है.

बैठक में मौजूद अधिकारियों का विचार था कि भारत इस संदर्भ में श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा जब्त की गई भारतीय मछुआरों की नौकाओं के मसले को भी उठा सकता है और बाद में उनकी रिहाई स्थानीय अधिकारियों को संयुक्त प्रबंधन प्रस्ताव पर सहमत होने के लिए राजी करने में भूमिका निभा सकती है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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