मैड्रिड (स्पेन): स्पेन की मध्यमार्गीय-दक्षिणपंथी पॉपुलर पार्टी (पीपी) ने मतगणना के लगभग पूरे होते-होते जीत दर्ज कर ली है, लेकिन पार्टी के बहुमत नहीं मिला है. स्पैनिश भाषा के दैनिक अखबार एल पेस ने यह खबर दी है.
स्पेन का सबसे अनिश्चित राष्ट्रीय चुनाव, जो कि पहली बार गर्मियों के मध्य में हुआ, उसमें मध्यमार्गीय-दक्षिणपंथी पीपी ने चुनाव जीता, जबकि सत्ताधारी सोशलिस्ट पार्टी (पीएसओई) सर्वेक्षणों की भविष्यवाणी से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है. जीत के बावजूद दक्षिणपंथी ब्लॉक स्पष्ट बहुमत से थोड़ा पीछे रह गया, जो कि इसके सरकार बनाने में काफी मुश्किल पैदा करेगा.
एल पेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पीपी और धुर दक्षिणपंथी वोक्स के पास अभी कुल मिलाकर 169 सीटें हैं, जबकि पीएसओई और सुमार (15 छोटे वामपंथी दलों का एक समूह) ने मिलकर 153 सीट जीता है. पीपी कांग्रेस ऑफ डेप्युटीज़ (176 सीट के पूर्ण बहुमत) की 350 में से 136 सीटों के साथ आगे है, इसके बाद 122 सीट के साथ पीएसओई है. वोक्स ने 33 सीटें पाई हैं और सुमार 31. बाकी सीटें छोटी क्षेत्रीय पार्टियों ने हासिल की हैं, जिनमें कैटेलोनिया और बास्क कंट्री की हैं.
इस बीच, प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने लगभग 99 प्रतिशत वोटों की गिनती के साथ वामपंथियों की जीत का दावा किया है, बावजूद इसके नतीजे हंग संसद की ओर इशारा कर रहे हैं और पॉपुलर पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं.
सांचेज ने समर्थकों से कहा, “हमने ज्यादा वोट हासिल किए हैं, चार साल पहले की तुलना में ज्यादा सीटें पाई हैं और वोट शेयर का प्रतिशत ज्यादा है.”
इंटीरियर मिनिस्ट्री के मुताबिक, 2019 में 70.33 प्रतिशत की तुलना में मतदान 4 पॉइंट ज्यादा है.
स्पेनवासियों ने रविवार को मतदान किया. उच्च सदन की 265 सीटों में से 208 सीटों के साथ, संसद के निचले सदन की सभी 350 सीटों पर चुनाव होगा. उच्च सदन के विपरीत, जहां मतदाता अधिकतम तीन क्षेत्रीय सीनेटरों का चयन कर सकते हैं, निचले सदन के मतदाताओं को एक उम्मीदवार के बजाय एक पार्टी का चयन करना होगा.
विजेता पार्टी के पास अपनी सरकार गठित करने के लिए तीन हफ्ते का समय होगा, और किंग फेलिप VI एक उम्मीदवार को नामित करने के लिए पार्टी नेताओं से मुलाकात करेंगे.
जबकि दक्षिणपंथी पीपी के नेता अल्बर्टो नुनेज़ फीजू को चुनावों में भारी समर्थन मिल रहा है. एक संभावित पीपी-वोक्स सरकार स्वीडन, फ़िनलैंड और इटली में हालिया ट्रेंड को जारी रखते हुए, यूरोपीय संघ के किसी अन्य सदस्य के लिए एक महत्वपूर्ण दक्षिणपंथी बदलाव का प्रतिनिधित्व करेगी.
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, जर्मनी और फ्रांस जैसे देश यूरोपीय संघ की आव्रजन और जलवायु नीतियों पर बदलाव के संभावित प्रभाव को लेकर चिंतित हैं.
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