नई दिल्ली: पहली बार पाकिस्तान सरकार ने सेवारत सेना अधिकारी मेजर जनरल नूर वली खान को गृह एवं नारकोटिक्स कंट्रोल मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के उच्च पद पर नियुक्त किया है. यह पद परंपरागत रूप से वरिष्ठ नौकरशाहों के लिए आरक्षित रहा है.
यह फैसला सोमवार को एस्टैब्लिशमेंट डिवीजन द्वारा जारी अधिसूचना के जरिए औपचारिक किया गया.
इंटीरियर मिनिस्ट्री में सेवारत मेजर जनरल की नियुक्ति सरकार के उस फैसले से जुड़ी है जिसके तहत नई अर्द्धसैनिक फोर्स, फेडरल कॉन्स्टैबुलरी का गठन किया जा रहा है. इस फोर्स को आतंकी विरोधी अभियानों की जिम्मेदारी दी जाएगी. जुलाई में गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा था कि सरकार मंत्रालय के सिविल आर्म्ड फोर्सेज विंग का नेतृत्व करने के लिए किसी सेवारत या सेवानिवृत्त दो-स्टार जनरल की नियुक्ति पर विचार कर रही है.
नकवी ने कहा कि इस कदम का मकसद फ्रंटियर कॉर्प्स, रेंजर्स, कोस्ट गार्ड, गिलगित-बाल्टिस्तान (जीबी) स्काउट्स और नई फेडरल कॉन्स्टैबुलरी जैसी सिविल आर्म्ड फोर्सेज और सेना के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करना है, ताकि आतंकवाद-रोधी अभियानों को अधिक प्रभावी बनाया जा सके.
मंत्रालय इन बलों के साथ-साथ एंटी-नारकोटिक्स फोर्स के अभियानों की भी देखरेख करता है. ये सभी एजेंसियां इस समय खास तौर पर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में अहम काउंटर-इंसर्जेंसी और एंटी-ड्रग्स अभियानों में लगी हुई हैं.
नकवी ने यह भी कहा कि बढ़ती सुरक्षा ज़रूरतों को देखते हुए फ्रंटियर कॉन्स्टैबुलरी को राष्ट्रीय स्तर की फेडरल कॉन्स्टैबुलरी में बदलना आवश्यक है. उन्होंने वर्तमान कर्मचारियों को आश्वस्त किया कि उनकी भूमिकाओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.
खान की नियुक्ति तीन साल के लिए प्रतिनियुक्ति (सेकंडमेंट) पर की गई है. सेकंडमेंट का मतलब अस्थायी जिम्मेदारी होती है, स्थायी तबादला नहीं.
ISI में भी दे चुके हैं सेवाएं
मेजर जनरल नूर वली खान, जिन्होंने पहले खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में फ्रंटियर कॉर्प्स के इंस्पेक्टर जनरल के रूप में काम किया है, 16वीं इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली है और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) में मिलिट्री रिसर्च सेंटर (MRC) के डायरेक्टर जनरल के तौर पर अहम पद पर रह चुके हैं, अब गृह मंत्रालय के तहत सभी अर्धसैनिक बलों का प्रशासनिक नियंत्रण संभालेंगे.
उनकी नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब देश में उग्रवाद तेजी से बढ़ रहा है. ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 के मुताबिक, 2024 में पाकिस्तान उग्रवादी हिंसा से प्रभावित दूसरा सबसे बड़ा देश रहा, जहां आतंकी घटनाओं में मौतें 45% बढ़कर एक साल में 1,081 तक पहुंच गईं.
नागरिक संस्थाओं में सेना की भूमिका
विशेषज्ञ इस नियुक्ति को पाकिस्तान के नागरिक संस्थानों में सेना की बढ़ती मौजूदगी के बड़े ट्रेंड का हिस्सा मानते हैं.
हाल के वर्षों में सेना ने कई नागरिक क्षेत्रों में जिम्मेदारियां संभाली हैं. सबसे उल्लेखनीय है एक कार्यरत अधिकारी को नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (NADRA) का प्रमुख बनाया जाना और स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल (SIFC) में सेना की बढ़ती हिस्सेदारी, जिसे आर्थिक सुधार और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए बनाया गया है.
वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने दिप्रिंट को बताया, “कई कार्यरत जनरल्स को NADRA, PIA (पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस), WAPDA (वॉटर एंड पावर डेवलपमेंट अथॉरिटी), CPEC (चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) अथॉरिटी, SUPARCO (स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च कमीशन), सिविल एविएशन अथॉरिटी (CAA), एयरपोर्ट्स सिक्योरिटी फोर्स (ASF), ANF (एंटी नारकोटिक्स फोर्स) और कई अन्य नागरिक संस्थानों में नियुक्त किया गया है. यह ट्रेंड इमरान खान की सरकार के दौरान 2019 में शुरू हुआ था.”
SIFC, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बनाई गई है, पर सेना के आर्थिक नीतिनिर्धारण में बढ़ते दखल को लेकर चिंता जताई जा रही है. इसमें 36 कार्यरत सैन्य अधिकारी सदस्य हैं, जिन्हें पाकिस्तान के रक्षा बजट से वेतन मिलता है.
2024 में, संघीय कैबिनेट ने एक कार्यरत अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर अफसर को NADRA का स्थायी चेयरमैन तीन साल की अवधि के लिए नियुक्त करने को मंजूरी दी. इसी के साथ NADRA के नियमों में बदलाव कर एक नया प्रावधान — रूल 7A — जोड़ा गया, जिससे ग्रेड 21 या उससे ऊपर के कार्यरत अधिकारियों को ‘राष्ट्रीय हित’ में चेयरमैन बनाया जा सके.
हालांकि, इसके बाद लाहौर हाई कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया था.
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