रियाद: सऊदी अरब ने पाकिस्तान से कह दिया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच हुई द्विपक्षीय बातचीत में शामिल एक शीर्ष भारतीय अधिकारी ने दिप्रिंट को यह जानकारी दी है.
अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि पाकिस्तान की जम्मू कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद-370 और 35A को लेकर बातचीत हुई. पाकिस्तान इसे लेकर चाहता है कि विश्व के देश इस कार्रवाई पर भारत के खिलाफ कोई कदम उठाए.
अधिकारी ने बताया, ‘प्रधानमंत्री और सऊदी के नेताओं के बीच हुई बातचीत में पाकिस्तान पर भी चर्चा हुई. सऊदी ने पाकिस्तान को बता दिया कि कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है जिस पर वो कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा. पाकिस्तान सऊदी के पास कई बार आया लेकिन उसे कोई समर्थन नहीं मिला.’
मंगलवार को मोदी रियाद की यात्रा पर थे. जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने के बाद और इसी साल मई में दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका यह पहला दौरा था. उन्होंने सऊदी के किंग सलमान बिन अब्दुल्लाजीज और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की.
इसी महीने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की रियाद यात्रा के दौरान उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर सऊदी का समर्थन मांगा था. लेकिन सऊदी नेताओं की तरफ से उन्हें ऐसा कोई आश्वासन नहीं मिला था.
भारतीय स्थिति की बड़ी राजनीतिक समझ
सऊदी ने भारत को स्पष्ट कर दिया है कि अनुच्छेद 370 को लेकर उसका इस्लामाबाद को समर्थन केवल एक ‘संकेत’ था.
अधिकारी ने बताया कि अब भारतीय स्थिति की बड़ी राजनीतिक समझ हो चुकी है. सऊदी ने पाकिस्तान को कह दिया है कि भारत कश्मीर में जो भी कर रहा है वो उसका आंतरिक मसला है.
भारत और सऊदी अरब ने ‘स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल’ लांच किया है जो राजनीति , संस्कृति से लेकर सभी बैठकों को शामिल करेगा.
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दोनों तरफ से साझा बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि दोनों देश किसी भी तरह के आंतरिक हस्तक्षेप को खारिज करते हैं. इसमें पाकिस्तान की तरफ से जम्मू-कश्मीर पर कार्रवाई के लिए कहे जाने को लेकर संकेत था.
इस स्टेटमेंट में नाम लिए बगैर अमेरिका पर भी निशाना साधा गया था. जारी किए गए स्टेटमेंट में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को किसी भी देश की संप्रभुता पर रहे खतरे को लेकर अपने दायित्वों को निभाना चाहिए.
यह हाल में हुए यूएस कांग्रेस के बाद हुआ है जब जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार और असम में एनआरसी को लेकर सवाल खड़े किए गए थे. यह बात भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर हो रही चर्चा के दौरान हुई थी.
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