नई दिल्ली: यूनाइटेड किंगडम में सलमान रुश्दी के उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज को लेकर विरोध प्रदर्शन के करीब 35 सालों बाद, जब दुनियाभर में इसे लेकर हिंसा की लहर फैल गई थी, एक बार फिर ब्रिटेन में कुछ इसी तरह का तूफान मचा हुआ है. इस बार, ब्रिटिश फिल्म दि लेडी ऑफ हेवन को लेकर विवाद भड़का है जिसे आलोचकों ने ‘ईशनिंदा’ वाली और ‘नस्लवादी’ फिल्म बताया है.
3 जून को यूके के सिनेमाघरों में रिलीज फिल्म की कहानी पैगंबर मुहम्मद की बेटी फातिमा अल-जहरा को ‘आतंकवाद की पहली शिकार’ बताने का प्रयास करती है. हालांकि, विरोध प्रदर्शनों ने कई सिनेमाघरों को फिल्म की स्क्रीनिंग रद्द करने पर मजबूर कर दिया है.
फिल्म के कार्यकारी निर्माता मलिक श्लिबक ने स्काई न्यूज को बताया कि लोग फिल्म की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन विरोध ने ‘सीमाओं को पार कर लिया है.’
इस हफ्ते के शुरू में ब्रिटिश सिनेमा कंपनी सिनेवर्ल्ड—जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सिनेमा चेन है—ने विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर ब्रैडफोर्ड, लीड्स, शेफील्ड, बोल्टन, ब्लैकबर्न और बर्मिंघम सहित कई शहरों में फिल्म की स्क्रीनिंग रद्द कर दी थी.
माना जाता है कि सिनेवर्ल्ड ने यूके में फिल्म की स्क्रीनिंग रद्द करने का फैसला एक ऑनलाइन याचिका के मद्देनजर लिया था.
याचिका में कहा गया है, ‘फिल्म सीधे तौर पर पैगंबर मुहम्मद का अनादर करती है, जिनके चरित्र को इसमें दिखाया गया है, ये बेहद आहत करने वाला है. यह एक घोर नस्लवादी फिल्म भी है जिसमें सभी मुख्य नकारात्मक पात्रों को अश्वेत अभिनेताओं ने निभाया है. यह नहीं ये हमारे पैगंबर मुहम्मद के साथियों को भी बुरे तरीके से चित्रित करती है.’
वू जैसी अन्य सिनेमा चेन ने कथित तौर पर फिल्म को केवल लंदन के चुनिंदा स्थानों पर प्रदर्शित करने का फैसला किया है.
स्ट्रैटफोर्ड के एक मॉल स्थित एक वू थिएटर के बाहर विरोध प्रदर्शन के वीडियो सोशल मीडिया पर भी सर्कुलेट किए जा रहे हैं, जहां दि लेडी ऑफ हेवन की स्क्रीनिंग की जा रही थी. गुरुवार को शूट किए गए वीडियो में प्रदर्शनकारियों को चिल्लाते दिखाया गया है ‘इसे हटाओ! इसे हटाओ! यह एक नस्लवादी फिल्म है!’
विरोध के इन दृश्यों ने कुछ सोशल मीडिया यूजर्स को जनवरी 1988 की उस घटना की याद दिला दी, जब प्रदर्शनकारी सलमान रुश्दी की पुस्तक दि सैटेनिक वर्सेज की प्रति जलाने के लिए ब्रिटेन के ब्रैडफोर्ड में जुटे थे. उस विरोध ने एक बड़ा विवाद खड़ा किया और अंततः ईरान के अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी की हत्या के लिए फतवा जारी कर दिया था.
छह साल बाद इस्तांबुल में भीड़ ने एक होटल को आग लगा दी जिसके बारे में उनका मानना था कि वह रुश्दी के उपन्यास के तुर्की अनुवादक की मेजबानी कर रहा था. हालांकि, अनुवादक वहां से बच निकलने में सफल रहे हैं लेकिन आग ने 35 लोगों की जान ले ली.
दि लेडी ऑफ हेवन को लेकर भड़के विरोध पर प्रतिक्रिया करते हुए हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य क्लेयर फॉक्स जैसे कई ब्रिटिश राजनेताओं ने प्रदर्शन को ‘कैंसिल कल्चर’ का नतीजा करार दिया.
ये विरोध प्रदर्शन ऐसे समय पर भड़के हैं जब इधर भारत को एक राजनयिक संकट का सामना करना पड़ रहा है जिसने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मुहम्मद पर की गई टिप्पणी के लिए निलंबित करने पर मजबूर कर दिया. नूपुर शर्मा की टिप्पणी को खाड़ी में भारत के सहयोगियों ने ‘ईशनिंदा’ करार दिया है.
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क्यों लेडी ऑफ हेवन का विरोध कर रहे हैं मुसलमान
एली किंग के निर्देशन वाली और शिया धर्मगुरु शेख यासर अल-हबीब द्वारा लिखित द लेडी ऑफ हेवन एक ऐसी इराकी बच्चे की कहानी दर्शाती है जो युद्ध के बीच अपनी मां को खो देता है. फिल्म दिखाती है कि लेडी फातिमा से प्रेरित ये बच्चा जीवन के महत्वपूर्ण सबक जैसे शक्ति और धैर्य आदि कैसे सीखता है.
एक अनुमान के मुताबिक, फिल्म को बनाने में 15 मिलियन डॉलर का खर्च आया और इसे अमेरिका और कनाडा में भी दिखाया जा चुका है.
पिछले महीने रिलीज फिल्म में पैगंबर मुहम्मद और लेडी फातिमा को सीजीआई (कंप्यूटर जेनरेटेड इमेज) के रूप में चित्रित किया गया है. इससे मुसलमानों में रोष पैदा हो गया, जिन्होंने इसका विरोध किया क्योंकि इस्लाम किसी भी प्रकार की कला में पैगंबर मुहम्मद के चित्रण के खिलाफ है.
क़ुरान के सूरा 42 में आयत 11 कहती है—‘(वह)’ आकाश और पृथ्वी का निर्माता है. उसने तुमको तुमसे ही बनाया है और बनाए हैं तुम्हारे लिए जोड़े और पशुओं के लिए जोड़े. वह तुम्हे इसी तरह बढ़ा रहा है. उसके समान कोई नहीं है, और वही सबकुछ देखने-सुनने वाला है.’
वाक्यांश ‘उसके समान कुछ भी नहीं है’ का व्यापक अर्थ यही है कि अल्लाह, पैगंबर मुहम्मद या इस्लाम के किसी अन्य दूत को किसी भी तरह या कला के रूप में चित्रित नहीं किया जाना चाहिए.
इस बीच, बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दि लेडी ऑफ हेवन का विरोध इस आधार पर किया जा रहा है कि फिल्म प्रारंभिक सुन्नी इस्लाम की प्रमुख हस्तियों और आधुनिक इराक में इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के बीच तुलना करती है.
यूके के सिनेमाघरों से फिल्म को हटाने के लिए Change.org की तरफ से जारी याचिका पर 1.28 लाख से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि इसने दुनियाभर के मुसलमानों को ‘बुरी तरह आहत’ कर दिया है और इस्लाम के बारे में इसमें गलत जानकारी दी गई है.
इस बीच, 4,000 से अधिक लोगों ने Change.org पर एक काउंटर-पिटीशन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें लोगों से ‘यूके के सिनेमाघरों में लेडी ऑफ द हेवन का समर्थन करने’ को कहा गया है.
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