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Monday, 4 November, 2024
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वाशिंगटन में किसानों के समर्थन में उतरे प्रदर्शनकारियों ने तोड़ी महात्मा गांधी की मूर्ति, नजर आया खालिस्तानी झंडा

भारत में नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में सिख-अमेरिकी युवाओं ने प्रदर्शन किया और इस दौरान खालिस्तानी अलगाववादियों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा को तोड़ दिया.

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 नई दिल्ली/ वाशिंगटन: भारत में किसान आंदोलन का आज 18वां दिन है वहीं इस आंदोलन की गूंज विदेशों में भी सुनाई देने लगी है. कृषि कानूनों के विरोध में कनाडा के बाद अब प्रदर्शन का दौर अन्य देशों में भी देखने को मिल रहा है. अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने भारतीय दूतावास के पास महात्मा गांधी की मूर्ति को रंग से पोत दिया और उसमें तोड़फोड़ की. घटनास्थल पर खालिस्तान के झंडे भी देखे गए.

भारत में नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में सिख-अमेरिकी युवाओं ने प्रदर्शन किया और इस दौरान खालिस्तानी अलगाववादियों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा में कालिख पोती और बाद में उसे तोड़ भी दिया.


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खालिस्तानी समर्थकों ने तोड़ी गांधी की मूर्ति

ग्रेटर वाशिंगटन डीसी, मैरीलैंड और वर्जीनिया के अलावा न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी, पेंसिल्वेनिया, इंडियाना, ओहायो और नॉर्थ कैरोलाइना जैसे राज्यों से आए सैंकड़ों सिखों ने वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास तक कार रैली निकाली. इसी दौरान भारत विरोधी पोस्टरों और बैनरों के साथ खालिस्तानी झंडे लिए कुछ सिख वहां आएं. कई बैनरों पर ‘खालिस्तान गणराज्य’ लिखा हुआ था. इनमें से कुछ खालिस्तानी सिख कृपाण हाथ में थामे महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने आए और उस पर एक पोस्टर चिपका दिया. इस समूह ने भारत विरोधी और खालिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए.

भारतीय दूतावास ने एक बयान जारी कर ‘प्रदर्शनकारियों के रूप में गुंडागर्दी करने वाले लोगों के इस दुष्ट कृत्य’ की निंदा की.

दूतावास ने कहा कि उसने अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष इस संबंध में कड़ा विरोध दर्ज कराया है और अपराधियों के खिलाफ जांच एवं कानून के तहत कार्रवाई के लिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सामने भी यह मामला उठाया है.

जब शनिवार दोपहर को यह सब हुआ, उस समय वाशिंगटन डीसी पुलिस और सीक्रेट सर्विस के कर्मी बड़ी संख्या में वहां मौजूद थे.

डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट स्टीफन बीगन ने इस घटना के लिए माफी भी मांगी है. बीगन ने ही पिछले महीने भारतीय तरणजीत सिंह संधू के साथ इस मूर्ति का अनावरण किया था.

बता दें कि भारत में पिछले कुछ दिनों से इस कानून के विरोध में लगातार किसानों का विरोध प्रदर्शन चल रहा है. केंद्र और किसान संगठनों के बीच अभी तक पांच दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन किसान कृषि कानून की वापसी पर अड़े हैं जबकि सरकार का कहना है कि वह कुछ संशोधनों के साथ इसे फिर से पास कर सकती है.

किसानों के इस आंदोलन को लेकर खुफिया एजेंसी लगातार रिपोर्ट दे रही हैं. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस आंदोलन को खालिस्तानी भी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं पिछले दिनों गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं के पोस्टर के साथ आंदोलनकारियों की फोटो वायरल होने के बाद किसान नेताओं ने कहा था कि आंदोलन का दुर्पयोग न किया जाए.

वैसे भारत में चल रहे किसानों की आंदोलन रह रह कर विदेशों में सुनाई देती रही है. पिछले दिनों ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग के बाहर तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किया गया. स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कई लोगों को अरेस्ट भी किया था.

स्कॉटलैंड यार्ड ने भारतीय उच्चायोग के बाहर ब्रिटेन के अलग-अलग हिस्सों से प्रदर्शनकारियों के जमा होने से पहले चेतावनी दी थी. मध्य लंदन में हुए इस प्रदर्शन के दौरान ‘हम पंजाब के किसानों के साथ खड़े हैं’ के नारे लगाए थे.

प्रदर्शन में मुख्य रूप से ब्रिटिश सिख शामिल थे जो तख्तियां पकड़े हुए थे. भारतीय उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने कहा था कि इस प्रदर्शन की अगुवाई भारत विरोधी अलगाववादी कर रहे थे जिन्होंने भारत में किसानों के प्रदर्शन का समर्थन करने के नाम पर भारत विरोधी अपना एजेंडा चलाया. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन भारत का आंतरिक मामला है और भारत सरकार प्रदर्शनकारियों से बात कर रही है.


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