नई दिल्ली: पाकिस्तानियों को अब तीन बातों का पूरा यकीन है — उनका संविधान अप्रासंगिक हो चुका है, संसद सिर्फ ‘रबर स्टैम्प’ बन गई है और सेना ही असली सत्ता है. नाराज नागरिक अब ताने मारते हुए सलाह दे रहे हैं और किसी तानाशाह की सूची से तुलना कर रहे हैं.
वरिष्ठ वकील अब्दुल मोइज़ जाफ़ेरी ने कहा, “इस संशोधन को उत्तर कोरिया भेज देना चाहिए ताकि किम जोंग उन इसे अपने पोतों को लोरी की तरह पढ़ें.”
रविवार को सत्ताधारी गठबंधन ने संविधान में फिर बदलाव करने के लिए एक विधेयक पेश किया, जिसे विशेषज्ञ ‘हाइब्रिड सरकार-प्लस व्यवस्था के तहत लोकतांत्रिक उलटफेर’ बता रहे हैं.
बदलावों में संघीय संविधान अदालत का गठन शामिल है, जो सुप्रीम कोर्ट से ऊपर होगी और सुप्रीम कोर्ट के जजों को इस नई अदालत में भेजा जाएगा. जो जज मना करेंगे, उन्हें सेवानिवृत्त होना पड़ेगा.
सबसे विवादित हिस्सा सेना प्रमुख फ़ील्ड मार्शल असीम मुनीर को दिए गए व्यापक अधिकार हैं. अनुच्छेद 243 में संशोधन कर यह कहा जा रहा है कि आधुनिक युद्ध की मांग है कि सेना प्रमुख को संवैधानिक मान्यता और अतिरिक्त शक्तियां दी जाएं.
संशोधन के तहत शीर्ष सैन्य नेतृत्व को स्थायी, संवैधानिक सुरक्षा मिलेगी और उन्हें हटाया नहीं जा सकेगा. तीनों सेनाओं के बीच बारी-बारी से मिलने वाली संयुक्त चीफ़्स ऑफ़ स्टाफ़ कमेटी खत्म कर दी जाएगी. इसकी जगह ‘चीफ़ ऑफ़ डिफेंस फ़ोर्सेज’ का पद बनाया जाएगा, जिसे सेना प्रमुख संभालेंगे.
फ़ील्ड मार्शल, मार्शल ऑफ़ द एयर फ़ोर्स और एडमिरल ऑफ़ द फ़्लीट को आजीवन दर्जा और राष्ट्रपति-स्तरीय छूट मिलेगी. उन्हें केवल महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकेगा.
असल में, यह संशोधन जवाबदेही खत्म कर लोगों की सत्ता को सेना की सत्ता में बदल रहा है.
‘मुनीर मानसिक रूप से अस्थिर’
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने मुनीर को “मानसिक रूप से अस्थिर” कहा.
उन्होंने एक्स पर लिखा, “इस समय हमारे देश में संविधान या कानून का कोई राज नहीं है. यहां ‘असीम लॉ’ का शासन है. असीम मुनीर इतिहास का सबसे क्रूर तानाशाह है और मानसिक रूप से अस्थिर है.”
डॉन के एक लेख में अमेरिका और ब्रिटेन में पूर्व राजदूत मलीहा लोधी ने लिखा कि यह संशोधन न्यायपालिका को कमजोर करके लोकतंत्र पर एक नया प्रहार करता है.
उन्होंने कहा कि हर लोकतांत्रिक संकेतक गिर रहा है — संसद रबर स्टैम्प है, सभा की स्वतंत्रता सीमित है, विपक्ष दबा है, मीडिया नियंत्रित है, न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है और नागरिक-सैन्य संतुलन सेना के पक्ष में झुका है.
इन बड़े बदलावों के बीच पाकिस्तान में लोग हास्य का सहारा ले रहे हैं.
एक यूज़र ने लिखा, “2035: असीम मुनीर ने नया पद बनाया — चीफ़ेस्ट चीफ़ ऑफ़ ऑल नेशनल स्ट्रैटेजिक सिक्योरिटी एंड आर्म्ड फ़ोर्सेज… और खुद को नियुक्त कर लिया.”
एक अन्य ने लिखा, “आ रहा है 28वां संशोधन: कोई भी क़ब्र में फ़ील्ड मार्शल से सवाल नहीं करेगा.”
पत्रकार वक़ास ने तंज किया, “मेरा पसंदीदा हिस्सा यह है कि 27वें संशोधन में फ़ील्ड मार्शल को हटाने की प्रक्रिया तय की गई है. शायद किसी दिन काम आए.”
लेखक नदीम फ़ारूक़ पराचा ने लिखा, “न्यायिक पॉपुलिज़्म का अंत हो गया.”
निराशा भी साफ थी. एक यूज़र ने लिखा, “अगर आपके पास विदेश जाने का थोड़ा भी मौका है, निकल जाएं. इस देश का भविष्य बहुत अंधकारमय है.”
सबसे ज्यादा मोहभंग फ़ख़र रहमान का था. उन्होंने लिखा, “यह इम्युनिटी कानून कुरान और सुन्नत के खिलाफ है. किसी को भी छूट नहीं दी जा सकती. जवाबदेही एक दिव्य कानून है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
