नई दिल्ली: टेरर फंडिंग मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को दिल्ली की विशेष अदालत ने दो दो मामलों में उम्र कैद की सजा और 10 लाख जुर्माना की सजा सुनाई है.
यासीन मलिक को सजा सुनाए जाने को लेकर पाकिस्तान में इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने यासीन के समर्थन में ट्वीट करते हुए लिखा कि उसे भारत की सरकार शारीरिक रूप से जो जेल में रख सकती है लेकिन उसकी कश्मीर की आजादी को लेकर चल रही लड़ाई को नहीं रोक सकेंगे.
शाहबाज ने ट्वीट किया, ‘आज भारतीय लोकतंत्र और उसकी न्याय प्रणाली के लिए एक काला दिन है. भारत यासीन मलिक को शारीरिक रूप से कैद कर सकता है लेकिन वह कभी भी उस स्वतंत्रता के विचार को कैद नहीं कर सकता जिसका वह प्रतीक है. बहादुर स्वतंत्रता सेनानी के लिए आजीवन कारावास कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार को नई गति प्रदान करेगा.
Today is a black day for Indian democracy & its justice system. India can imprison Yasin Malik physically but it can never imprison idea of freedom he symbolises. Life imprisonment for valiant freedom fighter will provide fresh impetus to Kashmiris' right to self-determination.
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) May 25, 2022
एनआईए ने आतंकवाद फंडिंग के मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मृत्युदंड दिए जाने का अनुरोध किया था. मलिक ने अवैध गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत लगाए गए आरोपों समेत उस पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था.
हुर्रियत और प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता मलिक को 2017 के एक मामले में गुरुवार को दोषी करार दिया गया.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इससे पहले यासीन के समर्थन में एक और ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने दुनिया को जम्मू और कश्मीर में सियासी कैदियों के साथ भारत सरकार के रवैये पर ध्यान देने की गुहार भी लगाई थी. उन्होंने लिखा था कि कश्मीरी नेता यासीन मलिक को फर्जी आतंकवाद के आरोपों में दोषी ठहराना भारत के मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना करने वाली आवाजों को चुप कराने की कोशिश है. मोदी सरकार को इसके लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए.
World should take note of Indian govt's mistreatment of political prisoners in IIOJK. Conviction of prominent Kashmiri leader Yasin Malik on fake terrorism charges is futile effort 2 silence voices critical of India's blatant human rights abuses. Modi regime must b held 2 account
— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) May 23, 2022
सिर्फ पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री भी यासीन मलिक के दोषी ठहराए जाने पर अभी तक भारत की तारीफ के कसीदे पढ़ने वाले इमरान खान ने मोदी सरकार को फासीवादी सियासत बताया है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने यासीन मलिक को सजा दिए जाने का विरोध करते हुए लिखा, ‘मैं कश्मीरी नेता यासीन मलिक के खिलाफ मोदी सरकार की उस फासीवादी रणनीति की कड़ी निंदा करता हूं, जिसके तहत उन्हें अवैध कारावास से लेकर फर्जी आरोपों में सजा दी जा रही है.
खान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस मामले में दखल देने की बात कही है और कहा है कि मोदी शासन के राजकीय आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
Strongly condemn the continuing fascist tactics of Modi govt against Kashmiri leader Yasin Malik from his illegal imprisonment to his conviction on fake charges. International community must act against the Hindutva fascist Modi regime's state terrorism in IIOJK.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) May 24, 2022
वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने यासीन के समर्थन में ट्वीट करते हुए कहा, ‘हुर्रियत के नेता यासीन मलिक को साल 2017 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा दर्ज एक मनगढ़ंत मामले में आज दोषी करार दिया गया. ‘
उन्होंने कहा, ‘यासीन मलिक को एकतरफा मामले में मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों की संहिता का उल्लंघन करते हुए न केवल काल्पनिक आरोपों के तहत दोषी करार दिया गया है, बल्कि पाकिस्तान के बारे में भी निराधार आरोप लगाए गए हैं.’
बिलावल भुट्टो जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट को पत्र लिखकर भारत से यह अपील करने का अनुरोध किया है कि वह कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सभी आरोपों से बरी करे और जेल से उसकी तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे ताकि वह अपने परिवार से मिल सके.
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We demand acquittal of #YasinMalik. The fabricated charges against him must be dropped. He must be released forthwith & allowed to reunite with his family.
India must also release all political prisoners and stop egregious human rights violations in the IIOJK. https://t.co/DnphmypKE7— BilawalBhuttoZardari (@BBhuttoZardari) May 24, 2022
क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने ट्वीट किया, ‘यासीन मलिक के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप कश्मीर की आजादी के संघर्ष को रोक नहीं पाएंगे’.
‘भारत अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए कोशिश कर रहा है. उसे नाकामी ही हाथ लगेगी. यासीन मलिक पर मनमाने आरोप लगाए जाने से कश्मीर की आजादी के संघर्ष पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘ मैं संयुक्त राष्ट्र से दरख्वास्त करता हूं कि कश्मीरी नेताओं के खिलाफ चल रहे गैरकानूनी ट्रायल्स में दखल दें.’
India's continued attempts to silence critical voices against its blatant human right abuses are futile. Fabricated charges against #YasinMalik will not put a hold to #Kashmir's struggle to freedom. Urging the #UN to take notice of unfair & illegal trails against Kashmir leaders. pic.twitter.com/EEJV5jyzmN
— Shahid Afridi (@SAfridiOfficial) May 25, 2022
पत्रकार हामिद मीर बोले, ‘@UN यासीन मलिक और अन्य कश्मीरी नेताओं के खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों पर संज्ञान लेने के लिए.’
It’s time for @UN to take notice of fabricated charges against #YasinMalik and other Kashmiri leaders https://t.co/zdtOYkHtba
— Hamid Mir (@HamidMirPAK) May 25, 2022
बुधवार को पाकिस्तान ने भारत के प्रभारी उच्चायुक्त (चार्ज डि अफेयर) को विदेश मंत्रालय में तलब कर एक आपत्ति पत्र सौंपा, जिसमें मलिक के खिलाफ लगाए गए ‘मनगढ़ंत आरोपों’ को लेकर पाकिस्तान की ओर से कड़ी निंदा की गई है.