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Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंसइमरान सरकार को पाक सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका, जनरल बाजवा के कार्यकाल विस्तार पर रोक

इमरान सरकार को पाक सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका, जनरल बाजवा के कार्यकाल विस्तार पर रोक

इमरान खान सरकार और न्यायपालिका के वाकयुद्ध के बीच न्यायपालिका ने पाकिस्तान सरकार द्वारा सेना प्रमुख के कार्यकाल को तीन साल के विस्तार के फैसले को रद्द कर दिया है.

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नई दिल्ली: पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा ने मंगलवार को सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा को तीन साल का कार्यकाल देने वाली पाकिस्तान सरकार की अगस्त अधिसूचना को निलंबित कर दिया, बाजवा 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राजद्रोह के मामले में पूर्व सेना प्रमुख और तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ के खिलाफ अपेक्षित फैसले से दो दिन पहले आया है.

तीन सदस्यीय पीठ जिसमें मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति मजहर आलम और न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह शामिल थे, वे न्यायिक फाउंडेशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. जिसने अदालत से बाजवा के कार्यकाल के विस्तार को अवैध घोषित करने के आग्रह को चुनौती दी थी.

बाजवा का सेवा विस्तार बुधवार तक निरस्त रहेगा, जब तक सुनवाई नहीं हो जाती है

अदालत ने रक्षा मंत्रालय, संघीय सरकार, जनरल बाजवा को नोटिस जारी किया और कल तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी है. पाकिस्तान में तानाशाहों का इतिहास है और वहां सैन्य सब कुछ नियंत्रित करता है.

न्यूजवीक पाकिस्तान ने बताया कि जस्टिस खोसा ने सुनवाई के दौरान कहा कि केवल पाकिस्तान के राष्ट्रपति ही सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ा सकते हैं.

बता दें, प्रधान मंत्री इमरान खान ने 19 अगस्त को जनरल बाजवा के कार्यकाल में तीन साल के लिए विस्तार को मंजूरी दी थी.


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द डॉन ने बताया कि जस्टिस खोसा ने कहा कि 25 में से केवल 11 कैबिनेट सदस्यों ने विस्तार को मंजूरी दी है.

न्यायमूर्ति खोसा ने कहा, ‘मंत्रिमंडल के 14 सदस्यों ने अनुपलब्धता के कारण कोई राय नहीं दी. क्या सरकार ने समझौते के रूप में अपनी चुप्पी साध ली है?’

अटॉर्नी जनरल ने शीर्ष अदालत को बताया, ‘जिन्होंने ‘हां’ नहीं कहा, उन्होंने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.’

इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘क्या कैबिनेट सदस्यों को सोचने का समय नहीं देना चाहता है? मंत्रिमंडल के 14 सदस्यों ने अभी भी सेना प्रमुख के विस्तार के लिए ‘हां’ नहीं कहा है.

पाकिस्तान की न्यायपालिका और सरकार के बीच बढ़ती लड़ाई

शीर्ष न्यायाधीश ने पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत सार्वजनिक हित में याचिका दायर की. मामले को स्वतः संज्ञान में परिवर्तित कर दिया गया.

न्यायपालिका और इमरान खान सरकार के बीच बढ़ी हुई खींचतान के बीच यह फैसला आया.

प्रधान न्यायाधीश ने पिछले सप्ताह पीएम खान को अदालतों के खिलाफ अपनी भड़काऊ टिप्पणियों पर फटकार लगाया और कहा अपने बयानों को लेकर सावधानी बरतें और सुप्रीम कोर्ट पर ताना न मारें. जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को चिकित्सा उपचार के लिए विदेश जाने के लिए अनुमति देने के बाद सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेद बढ़ गया था.

डॉन न्यूज के हवाले से कहा गया था कि क्या आपको याद नहीं है कि हमने प्रधानमंत्री (नवाज़ शरीफ़) अपराधी और दूसरे प्रधानमंत्री (यूसुफ रज़ा गिलानी) को अयोग्य ठहराया?

मुख्य न्यायाधीश ने यह भी उल्लेख किया कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ से संबंधित एक मामला जल्द ही तय आने वाला है. एक विशेष पाकिस्तानी अदालत मुशर्रफ के खिलाफ राजद्रोह मामले में अपना फैसला सुनाएगी.

उनकी टिप्पणी से परेशान होकर, इमरान खान सरकार ने सोमवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )
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