नई दिल्ली: पाकिस्तान ने सूडान की सेना (SAF) को 1.5 अरब डॉलर के सैन्य उपकरण देने का समझौता किया है. यह सेना अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रही जुंटा सरकार है, जो उत्तर-पूर्वी अफ्रीकी देश में युद्ध पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही है. माना जा रहा है कि इस सौदे का खर्च किसी तीसरे देश ने उठाया है. इस समझौते से जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान की सरकार को हल्के हमलावर विमान, इंजन, बख़्तरबंद वाहन और कई तरह के ड्रोन मिलेंगे.
यह समझौता उस समय हुआ जब SAF की वायुसेना के प्रमुख ‘पायलट’ एल ताहिर मोहम्मद एल अवाद एल अमीन इस्लामाबाद दौरे पर आए थे. दौरे के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री, वायुसेना प्रमुख और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से बातचीत की.
पाकिस्तान की यह योजना उसे सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की खतरनाक प्रतिस्पर्धा में खींच लेगी, साथ ही पश्चिमी देशों के उन प्रतिबंधों से भी जोड़ देगी जिनका मकसद सूडान का गृहयुद्ध खत्म करना है.
स्विट्जरलैंड सरकार के प्रतिबंधों के अनुसार, एल अमीन उन बेतरतीब हवाई बमबारी के जिम्मेदार थे जो SAF की वायुसेना ने भीड़भाड़ वाले इलाकों में की थी. इनमें खार्तूम, ओमदुरमान, न्याला (साउथ दारफुर) और नॉर्थ कोर्दोफान शामिल हैं. इन घटनाओं को संयुक्त राष्ट्र ने भी दर्ज किया था.
प्रतिबंधों के दस्तावेज़ बताते हैं कि इन हमलों से ज़रूरी ढांचों को नष्ट किया गया, जिनमें अस्पताल भी थे. मई 2023 में खार्तूम का ईस्ट नाइल हॉस्पिटल और मई 2024 में एल-फ़ाशेर का बाबिकर नाहर पीडियाट्रिक हॉस्पिटल इसमें शामिल हैं.
इस साल की शुरुआत में अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने भी SAF के प्रमुख अल-बुरहान पर प्रतिबंध लगाए थे. उन पर नागरिकों पर घातक हमले, जिनमें स्कूल, बाज़ार और अस्पतालों पर एयरस्ट्राइक शामिल हैं, उसका जिम्मेदार माना गया. SAF पर मानवीय मदद रोकने और भूख को युद्ध की रणनीति के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप भी है.
अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने सूडानी-यूक्रेनी नागरिक अहमद अब्दल्ला पर भी आरोप लगाया था कि उन्होंने ईरान निर्मित ड्रोन अज़रबैजान के रास्ते SAF तक पहुंचाए. इसके लिए उन्होंने हांगकांग स्थित अपनी कंपनी पोर्टेक्स का इस्तेमाल किया.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने दोनों पक्षों पर हथियारों की सप्लाई रोकने और संपत्ति फ्रीज़ करने का आदेश दे रखा है, लेकिन इसके बावजूद दोनों पक्ष तीसरे देशों के जरिए हथियार हासिल करते रहे हैं. आरोप है कि UAE ने कोलंबिया से भाड़े के लड़ाके बुलवाकर ‘रैपिड सपोर्ट फोर्सेस’ के लिए काम कराया.
सऊदी अरब और UAE की प्रतिस्पर्धा से भड़के इस संघर्ष ने 2023 से अब तक 70,000 से ज़्यादा लोगों की जान ली है और लाखों लोग भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.
विशेषज्ञ एलफादिल इब्राहीम बताते हैं कि सऊदी अरब SAF का समर्थन करता है ताकि ईरान को रोक सके और लाल सागर में स्थिरता ला सके. लाल सागर में अस्थिरता सऊदी अरब की अहम परियोजनाओं जैसे नियॉम सिटी और यानबू टर्मिनल विस्तार को खतरा पहुंचाती है. इन परियोजनाओं का मकसद तेल निर्यात को होरमुज़ जलडमरूमध्य पर निर्भरता से अलग करना है. वहीं, UAE चाहता है कि 2019 में सत्ता से हटाए गए जिहादी समूह SAF की मदद से फिर से सत्ता में न लौटें.
पाकिस्तान की सप्लाई—10 K8 कराकोरम हल्के हमलावर विमान, मिग-21 के लिए इंजन, HQ-9 और HQ-6 एयर डिफेंस सिस्टम, बख़्तरबंद वाहन और सैकड़ों तरह के ड्रोन जुंटा को बड़ा फायदा दिलाएगी.
कई देशों, जिनमें भारत और पाकिस्तान भी शामिल हैं, ने 2024 तक सूडान में संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में हिस्सा लिया था. तब से अंतरराष्ट्रीय सेनाओं को दोबारा तैनात कर नागरिकों की रक्षा करने पर बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: मुनीर के ‘भारत मर्सिडीज, पाकिस्तान पत्थरों भरा ट्रक’ वाले बयान—की पाकिस्तान के गृहमंत्री ने दी पुष्टि