नई दिल्ली: हाल के महीनों में पाकिस्तान को खासतौर पर अफगानिस्तान से सटी सीमाओं वाले प्रांतों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य संगठनों की बढ़ती उग्रवादी गतिविधियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले गुरुवार को, खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान एटॉमिक एनर्जी कमीशन (पीएईसी) के 16 नागरिक कर्मचारियों का अपहरण कर लिया गया.
पाकिस्तानी अधिकारियों ने अब तक आठ बंधकों को छुड़ा लिया है, जिनमें तीन गंभीर रूप से घायल कर्मचारी शामिल हैं जिन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. हालांकि, पीएईसी के अन्य आठ कर्मचारी और प्राइवेट बस का ड्राइवर अभी भी उग्रवादियों के कब्जे में हैं, जैसा कि खबरों में बताया गया है.
यह घटना तब हुई जब 16 पीएईसी कर्मचारियों को ले जा रही बस क़ाबुल खील में यूरेनियम खदान की ओर जा रही थी. पाकिस्तान में दर्ज एफआईआर और स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, “अज्ञात असामाजिक तत्वों” ने इन कर्मचारियों और बस चालक को बंधक बना लिया और बस को आग के हवाले कर दिया.
पीएईसी कर्मचारियों के अपहरण के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन्हें छुड़ाने के लिए तुरंत प्रयास शुरू किए. अधिकारियों ने दावा किया कि आठ कर्मचारियों को रिहा कर दिया गया है. हालांकि, टीटीपी ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि इन कर्मचारियों को मानवीय आधार पर छोड़ा गया है. यह घटना लक्की मारवट के दारा तांग रोड पर हुई. अगस्त में, खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू के पास उत्तरी गैस पाइपलाइन लिमिटेड के तीन कर्मचारियों का अपहरण कर लिया गया था. नवंबर 2024 में, इसी शहर से सात पुलिस अधिकारियों का अपहरण हुआ था. यह घटनाएं दिखाती हैं कि उग्रवादी समूह सरकारी अधिकारियों को निशाना बनाकर अपहरण की घटनाओं को बढ़ा रहे हैं.
2022 में टीटीपी द्वारा सरकार के साथ किया गया युद्धविराम तोड़ने के बाद से पाकिस्तान में उग्रवादी हमलों में भारी वृद्धि हुई है. पिछले हफ्ते, आतंकवादियों ने दो पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने एक उग्रवादी को मार गिराया.
बढ़ती हिंसा के चलते इस्लामाबाद ने हाल के हफ्तों में अपना गुस्सा अफगानिस्तान पर निकाला है. दिसंबर में, पाकिस्तान ने पूर्वी अफगानिस्तान पर हवाई हमले किए, जिसमें तालिबान शासन के अनुसार कम से कम 46 लोग, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, मारे गए.
भारत ने इन हमलों की निंदा करते हुए कहा कि यह “पाकिस्तान की अपनी आंतरिक विफलताओं के लिए अपने पड़ोसियों को दोष देने की पुरानी आदत है.”
कुछ दिनों बाद, भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने दुबई में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की और स्वास्थ्य क्षेत्र में मानवीय सहायता और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए नई दिल्ली की प्रतिबद्धता जताई.
खैबर पख्तूनख्वा में हाल ही में अपहरण की घटनाएं
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत, विशेष रूप से लक्की मारवट और डेरा इस्माइल खान, हाल के वर्षों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का गढ़ बन गया है.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, टीटीपी के उग्रवादियों ने बंधक बनाए गए या लापता व्यक्तियों की तत्काल रिहाई, उग्रवादियों के घरों को तोड़ने पर प्रतिबंध और उग्रवादियों के शवों के अपमान को रोकने की मांग की है. उन्होंने यह भी मांग की कि मृत उग्रवादियों के शव उनके परिवारों को अंतिम संस्कार के लिए सौंपे जाएं. पाकिस्तानी प्रशासन ने अभी तक इन मांगों पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
सप्ताहांत में, अधिकारियों और आदिवासी नेताओं से मिलकर बने एक संयुक्त जिरगा (आदिवासी परिषद) ने शेष बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए टीटीपी की मांगों पर विचार करने का अनुरोध किया.
नेगोशिएशन कमेटी, जिसका नेतृत्व पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (एमपीए) के सदस्य जौहर मोहम्मद खान और डिप्टी कमिश्नर जीशान अली कर रहे हैं, ने कथित तौर पर मांगों पर विचार करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा.
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सोमवार तक वार्ता जारी रही, लेकिन इसमें कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई.
पहले की घटनाओं में, जैसे नवंबर में पुलिस अधिकारियों के अपहरण के मामले में, स्थानीय अधिकारियों और आदिवासी नेताओं के समन्वित प्रयासों के माध्यम से 48 घंटों के भीतर बंधकों को सुरक्षित रूप से छुड़ा लिया गया था, पाकिस्तानी मीडिया ने बताया.।
पाकिस्तान का सबसे घातक साल
साल 2024 पाकिस्तान के लिए पिछले एक दशक में सबसे घातक साबित हुआ, जिसमें कम से कम 685 नागरिकों की मौत हुई और लगभग 444 आतंकी हमले हुए. यह जानकारी पाकिस्तान स्थित थिंक टैंक “सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज” (सीआरएसएस) की वार्षिक सुरक्षा रिपोर्ट में दी गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा बलों ने 1,612 कर्मियों को खो दिया, जबकि 934 उग्रवादी मारे गए. 2023 की तुलना में कुल हताहतों की संख्या में 66 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 2024 में औसतन हर दिन सात लोगों की जान गई, जिसमें नवंबर सबसे घातक महीना रहा.
सीआरएसएस की रिपोर्ट में बताया गया कि खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में 94 प्रतिशत मौतें और पाकिस्तान भर में हुए 89 प्रतिशत हमले दर्ज किए गए.
उग्रवादियों ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की ठिकानों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भी निशाना बनाया. इन हमलों में मार्च और अक्टूबर में हुए दो घटनाओं में कम से कम सात चीनी नागरिक मारे गए. मार्च में, एक आत्मघाती हमलावर ने चीनी इंजीनियरों के काफिले में एक वाहन टकरा दिया, जिसमें पांच इंजीनियर और एक चालक की मौत हो गई. अक्टूबर में कराची अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास हुए विस्फोट में दो चीनी इंजीनियर मारे गए.
इन हमलों के बाद, पाकिस्तान में चीन के राजदूत जियांग जायदोंग ने सार्वजनिक रूप से इस्लामाबाद की आलोचना की और कहा कि देश में चीनी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थता दिखाई दे रही है.