नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के कारण टाले जाने के एक साल बाद ग्रीष्मकालीन ओलंपिक आखिरकार 23 जुलाई से टोक्यो में शुरू होने जा रहा है.
जापान में कोविड के मामले लगातार बढ़ने के मद्देनजर व्यापक स्तर पर सार्वजनिक विरोध के बावजूद खेलों का आयोजन शुरू करने की पूरी तैयारी हो गई है.
दिप्रिंट ने इस पर एक नजर डाली कि इस बार खेलों के लिहाज से ओलंपिक और भारतीय दल में क्या अलग है.
इस ओलंपिक के लिए नए नियम और पाबंदियां
खेलों के आयोजन से पहले एहतियात के तौर पर टोक्यो में 12 जुलाई से आपातकाल की स्थिति लागू कर दी गई है. ओलंपिक खेल समिति ने घोषणा की कि लगभग सभी स्थानों पर दर्शकों के आने पर प्रतिबंध होगा, आयोजकों ने तो स्थानीय प्रशंसकों को भी घर पर रहकर ही खेल देखने के लिए प्रोत्साहित किया है.
नए नियमों के मुताबिक, जहां दर्शकों को आने की अनुमति होगी भी, वहां प्रशंसकों के चीयर करने, उत्साह में चीखने, गाने या सीटी बजाने पर रोक रहेगी ताकि इस दौरान मुंह से निकलने वाली ड्रॉपलेट के कारण संक्रमण फैलने की गुंजाइश न रहे.
महामारी को देखते हुए सुरक्षा उपायों के संबंध में तैयार इन नियमों के प्रशंसकों को एक-दूसरे से यथासंभव दूरी बनाकर रखनी होगी.
यद्यपि ओलंपिक 8 अगस्त को समाप्त होना है, टोक्यो में आपातकाल की स्थिति 22 अगस्त तक रहेगी, जब पैरालंपिक शुरू होने से कुछ ही समय रह जाएगा.
नए नियमों के मुताबिक, एथलीटों को हर दिन टेस्ट कराना होगा. एथलीटों और उनके सहयोगी स्टाफ को भी जापान पहुंचने के 96 घंटों के भीतर दो अलग-अलग दिनों में दो कोविड टेस्ट कराने होते हैं.
ओलंपिक और पैरालंपिक गांव या खेल आयोजन स्थल में प्रवेश करने से पहले किसी भी व्यक्ति को हर बार अपने तापमान की जांच करानी होगी और जिन लोगों में कोविड-19 लक्षण होंगे या जो हाल ही में कोविड पॉजिटिव पाए गए होंगे, उन्हें वहां प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा.
सभी लोगों को जापान पहुंचने पर अपनी कोविड निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी. अगर किसी का टेस्ट पॉजिटिव आया है या यात्रा से पहले के 14 दिनों में लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें तुरंत सेल्फ आइसोलेशन में जाना होगा.
इस आयोजन में कुल मिलाकर 205 देश हिस्सा लेंगे जो 2016 के रियो ओलंपिक में शामिल 207 देशों से कम है.
प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने वाले प्रसिद्ध खिलाड़ियों में जिमनास्ट सिमोन बाइल्स, टेनिस खिलाड़ी नाओमी ओसाका और नोवाक जोकोविच, तैराक केटी लेडेकी, सीरियाई टेबल टेनिस खिलाड़ी हेंड जाजा और बास्केटबॉल खिलाड़ी केविन डुरंट शामिल हैं.
टेनिस स्टार राफेल नडाल और रोजर फेडरर चोट की वजह से ओलंपिक से बाहर हो गए हैं, जबकि ब्रिटेन के लंबी दूरी के धावक मो फराह क्वालीफाई करने में नाकाम रहे हैं और अपना 10,000 मीटर का खिताब बचाने की कोशिश नहीं कर पाएंगे.
खेलों में भारत
भारत खेल की 18 श्रेणियों में हिस्सा लेने के लिए कुल 126 एथलीट भेज रहा है. कोच, सहयोगी स्टाफ और अधिकारी मिलाकर यह संख्या 227 पर पहुंच जाती है जिससे भारत की तरफ से भेजा गया यह सबसे बड़ा दल बन गया है.
भारतीय ओलंपिक संघ ने घोषणा की है कि छह बार की वर्ल्ड चैंपियन मुक्केबाज एम.सी. मैरी कॉम और भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह उद्घाटन समारोह में भारत के ध्वजवाहक होंगे. 8 अगस्त को होने वाले समापन समारोह में पहलवान बजरंग पुनिया भारतीय ध्वज लेकर चलेंगे.
मनप्रीत सिंह ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि शुरू में जब ओलंपिक स्थगित किए गए थे, तो सभी का मनोबल गिर गया था. लेकिन टीम ने सकारात्मक रहने के अलग-अलग तरीके अपनाए.
उन्होंने कहा, ‘ओलंपिक हर एथलीट का सबसे बड़ा सपना होता है, इसलिए शुरुआत में यह थोड़ा मुश्किल लगा लेकिन हम कामयाब रहे. ओलंपिक में जाने को लेकर हमारी मानसिकता पोडियम फिनिश वाली है, लेकिन हम धीरे-धीरे इस दिशा में बढ़ रहे हैं, एक समय में एक मैच पर हमारा ध्यान है.’
यह भी पढ़ें : कभी छाले वाले नंगे पैरों से दौड़ती थी शैली सिंह, आज हैं वर्ल्ड नंबर 1 अंडर-18 लॉन्ग जम्पर
भारतीय दल में शटलर पी.वी. सिंधु और ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय फेंसर भवानी देवी, टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा, तैराक साजन प्रकाश, महिला टेनिस के डबल मुकाबले के लिए सानिया मिर्जा और अंकिता रैना, मुक्केबाज अमित पंघल और एथलेटिक्स में दुती चंद आदि शामिल हैं.
2016 के रियो ओलंपिक में 117 एथलीटों को भेजने वाले भारत ने इन खेलों के दौरान केवल दो पदक जीते थे. एक सिंधु का रजत और दूसरा पहलवान साक्षी मलिक का कांस्य पदक था.
इस बार सिंधु के अलावा, तीरंदाज दीपिका कुमारी, मुक्केबाज अमित पंघल और निशानेबाज सौरभ चौधरी पर उम्मीदें टिकी हैं.
भारत पहली बार तलवारबाजी और नौकायन प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने वाला है. हॉकी के बाद एथलेटिक्स में भारतीय एथलीटों की संख्या सबसे अधिक 25 है जिसमें आठ महिलाएं और 17 पुरुष शामिल हैं.
ओलंपिक में आई बाधाएं
1896 में पहली बार आधुनिक ओलंपिक खेल आयोजन की शुरुआत के बाद से केवल तीन मौकों पर ओलंपिक रद्द किए गए, और यह सभी विश्व युद्धों के कारण हुए. ऐसा 1916, 1940 और 1944 में हुआ.
1920 में बेल्जियम में ओलंपिक खेलों में जर्मनी को बाहर कर दिया गया था और प्रथम विश्व युद्ध शुरू करने के लिए दोषी ठहराया गया था.
अड़तालीस साल बाद 1968 में मैक्सिको में ओलंपिक खेल शुरू होने से 10 दिन पहले सरकारी बलों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर गोलियां चला दी थीं, जिसे ट्लाटेलोल्को नरसंहार के नाम से जाना जाता है.
सबसे विवादास्पद खेल आयोजन में से एक और जिसे ओलंपिक इतिहास के काले अध्यायों में से एक करार दिया जाता है, वह है 1972 का म्यूनिख ओलंपिक. 1972 में आतंकवादी समूह ब्लैक सितंबर से जुड़े सशस्त्र फिलिस्तीनियों ने ओलंपिक खेल गांव पर धावा बोला और इजरायली परिसर में घुसकर 11 इजरायलियों की हत्या कर दी. उन्होंने पहले दो इजरायलियों की हत्या की और नौ को बंधक बना लिया, जिनकी बाद में जारी गतिरोध के दौरान ही हत्या कर दी गई.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )