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Wednesday, 18 December, 2024
होमविदेशअमेरिका में पन्नुन की हत्या की कोशिश में शामिल निखिल गुप्ता के वकील करेंगे अभियोजकों से मुलाकात

अमेरिका में पन्नुन की हत्या की कोशिश में शामिल निखिल गुप्ता के वकील करेंगे अभियोजकों से मुलाकात

पन्नुन की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोपी निखिल गुप्ता के वकील गुरुवार को अभियोजकों से मिलेंगे और सबूतों का आदान-प्रदान करेंगे इसके बाद प्ली बार्गेन की संभावना पर चर्चा करेंगे.

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नई दिल्ली: वकील और सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नुन की हत्या के लिए एक हत्यारे को संगठित करने के आरोपी निखिल गुप्ता के वकील गुरुवार को अभियोजकों से एक पूर्व-परीक्षण बैठक के लिए मिलेंगे, जिसे ‘स्थिति सम्मेलन’ के रूप में जाना जाता है, जिसमें सबूतों का आदान-प्रदान किया जाएगा और संभावित रूप से, प्ली बार्गेन पर बंद कमरे में चर्चा शुरू की जाएगी, जिसमें आरोपी कम सज़ा के बदले में कम अपराध की बात को स्वीकार कर सकता है.

यह ‘स्थिति सम्मेलन’ भारत और कनाडा के बीच एक अन्य अलगाववादी और पन्नुन के सहयोगी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर चल रहे तीखे कूटनीतिक टकराव के बीच हो रहा है, जिसकी जून, 2023 में हत्या कर दी गई थी.

लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े कथित चार लोगों पर निज्जर की हत्या का मुकदमा चल रहा है, जिसके बारे में कनाडा का आरोप है कि उसका संबंध भारत सरकार से है.

न्यूयॉर्क के अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि नई दिल्ली के व्यवसायी गुप्ता ने भारत सरकार के एक अधिकारी की ओर से एक हत्यारे को काम पर रखा, जिसकी पहचान मीडिया रिपोर्टों में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के वरिष्ठ फील्ड अधिकारी विक्रम यादव के रूप में की गई है.

अभियोक्ताओं द्वारा दायर आपराधिक अभियोग में आरोप लगाया गया है कि जिस हत्यारे को गुप्ता ने रखा था, वो दरअसल यूनाइटेड स्टेट्स ड्रग एन्फोर्समेंट एजेंसी का मुखबिर था, जो एक अंडरकवर अधिकारी की देखरेख में काम कर रहा था. अभियोग में गुप्ता, यादव और डीईए मुखबिर के बीच किए गए मैसेज भी शामिल हैं. आदान-प्रदान निज्जर की हत्या का उल्लेख करता है, जिससे संभावना बढ़ जाती है कि दोनों मामले जुड़े हो सकते हैं.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बुधवार को कहा, “जहां तक ​​कनाडा के मामले का सवाल है, हमने स्पष्ट कर दिया है कि आरोप बेहद गंभीर हैं और और हम चाहते हैं कि भारत इन्हें गंभीरता से ले तथा कनाडा की जांच में सहयोग करे. लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना है.”

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ‘स्थिति सम्मेलन’ पिछले महीने आयोजित होने वाला था, लेकिन अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष दोनों द्वारा इस बात पर सहमत होने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया कि सबूत तलाशने और समीक्षा के लिए समय चाहिए, ताकि दोनों पक्ष परीक्षण के लिए तैयार हो सकें.

हालांकि, गुप्ता के अदालत में उपस्थित रहने की उम्मीद है, लेकिन उन्हें ‘स्थिति सम्मेलन’ में शामिल नहीं किया जाएगा, जिसे अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के वकीलों के बीच एक ऑफ-द-रिकॉर्ड चर्चा के रूप में डिज़ाइन किया गया है.

गुप्ता के मामले में खोज प्रक्रिया वर्गीकृत सूचना प्रक्रिया अधिनियम द्वारा जटिल है, जिसके तहत ट्रायल कोर्ट को “किसी भी आपराधिक मामले में किसी भी प्रतिवादी को संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रकट की गई किसी भी वर्गीकृत जानकारी के प्रकटीकरण से सुरक्षा प्रदान करनी” होती है. इस महीने की शुरुआत में, ट्रायल कोर्ट ने वर्गीकृत खुफिया सामग्री के उचित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षात्मक आदेश जारी किया था.

मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश विक्टर मारेरो यह निर्धारित करेंगे कि क्या अभियोजकों द्वारा रोकी गई कोई भी वर्गीकृत जानकारी गुप्ता के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार से समझौता कर सकती है. अगर, ऐसा है, तो अभियोजन पक्ष आरोपों को संशोधित करने या वापस लेने का निर्णय ले सकता है.

संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों से परिचित एक कानूनी स्रोत ने दिप्रिंट को बताया, “असल सुनवाई अभी भी कई सप्ताह या महीने दूर हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि खोज प्रक्रिया के दौरान कितने सबूतों को पढ़ना होगा और कौन सी वर्गीकृत सामग्री शामिल है.”

दिल्ली के एक मध्यमवर्गीय इलाके में रहने वाले दो बच्चों के पिता गुप्ता मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र के रहने वाले हैं. उनकी बेटी सिद्धि गुप्ता एक मॉडल और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, जिन्होंने 2019 में फेमिना मिस इंडिया उत्तराखंड प्रतियोगिता जीती थी. उन्हें चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था, जहां दावा किया जा रहा है कि वे छुट्टी मनाने गए थे और फिर महीनों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया गया.

पन्नून ने भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग प्रमुख सामंत गोयल, यादव और गुप्ता के खिलाफ हर्जाने की मांग करते हुए अलग-अलग दीवानी कार्यवाही भी दायर की है.

हालांकि, मामले में नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसका संभावित परिणाम क्या हो सकता है. कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के अनुसार, विदेशी संप्रभु प्रतिरक्षा अधिनियम संयुक्त राज्य अमेरिका की अदालतों को आतंकवाद पीड़ितों के लिए हर्जाने का आदेश देने का अधिकार देता है. हालांकि, ये हर्जाना केवल आतंकवाद के नामित राज्य प्रायोजकों के खिलाफ ही दावा किया जा सकता है, जो ईरान, उत्तर कोरिया, क्यूबा और सीरिया और पहले लीबिया, इराक और सूडान हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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