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Friday, 22 November, 2024
होमदेशमोदी-जेलेंस्की की बातचीत के क्या हैं मायने- 'रूसी तेल को लेकर आलोचना के बावजूद बढ़ रहा है भारत का कद'

मोदी-जेलेंस्की की बातचीत के क्या हैं मायने- ‘रूसी तेल को लेकर आलोचना के बावजूद बढ़ रहा है भारत का कद’

विशेषज्ञों का कहना है कि जी20 अध्यक्ष के रूप में भारत का 'डिप्लोमेटिक स्वीट स्पॉट' अधिक स्पष्ट हो गया है, लेकिन कुछ लोग इस बात को लेकर संशय में हैं कि नई दिल्ली ज़ेलेंस्की के शांति फॉर्मूला के 'महत्वपूर्ण हिस्से' को लागू करवा पाने कुछ खास मददगार साबित हो पाएगी.

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नई दिल्ली: विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के साथ हुई बातचीत वैश्विक मंच पर भारत के ‘बढ़ते कद’ को रेखांकित करती है.

मोदी ने रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर ज़ेलेंस्की से बात की थी. फोन पर हुई इस बातचीत के दौरान यूक्रेनी नेता ने अपने 10 सूत्रीय ‘शांति फॉर्मुला’ को लागू करने और यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए G20 अध्यक्ष के रूप में भारत की मदद मांगी. एक हफ्ते पहले प्रधानमंत्री ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी.

एक दिसंबर को भारत के G20की अध्यक्षता मिलने के बाद से मोदी की पुतिन और ज़ेलेंस्की के साथ ये पहली कॉल थीं.

यूक्रेन के विदेश मामलों के मंत्री दमित्रो कुलेबा ने भारतीय समाचार चैनल एनडीटीवी को एक साक्षात्कार में नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि रूस से तेल की अपनी खरीद के बारे में यह कहकर व्याख्या कि यूरोपीय संघ भी तो ऐसा कर रहे हैं, नई दिल्ली के लिए यह ‘नैतिक रूप से अनुचित’ है. उनके इस इंटरव्यू के तीन सप्ताह बाद जेलेंस्की की कॉल आई थी.

ज़ेलेंस्की का 10 सूत्री ‘शांति फॉर्मुला’ पहली बार नवंबर में बाली में G20 शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया था. इसमें खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा से लेकर रूसी सैनिकों की वापसी, आक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई जैसे मुद्दे शामिल हैं.

हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इस बात को लेकर संशय में हैं कि क्या भारत 10 सूत्री शांति फॉर्मूला के सार को लागू करने में मदद कर सकता है.

पूर्व राजनयिक विजय नांबियार ने दिप्रिंट को बताया, ‘जी20 के अध्यक्ष के रूप में भारत कुछ मुद्दों, मसलन वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के बारे में चर्चा को आगे बढ़ाने में सक्षम हो सकता है. लेकिन 10-सूत्रीय फॉर्मूला का महत्वपूर्ण हिस्सा- यूक्रेनी क्षेत्रों से रूसी सेना की वापसी – भारत पर निर्भर नहीं है.’

‘डिप्लोमैटिक स्वीट स्पॉट’

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत इस साल फरवरी में यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से रूस और पश्चिम देशों दोनों के लिए अच्छा बना रहा है. यह ‘डिप्लोमेटिक स्वीट स्पॉट’ G20 अध्यक्ष पद मिलने के साथ और अधिक स्पष्ट हो गया है.

मुंबई स्थित विदेश नीति थिंक-टैंक गेटवे हाउस के एक प्रतिष्ठित फेलो पूर्व राजनयिक राजीव भाटिया ने कहा, ‘ज़ेलेंस्की और मोदी के बीच फोन पर हुई बातचीत महत्वपूर्ण है क्योंकि मोदी अब सिर्फ भारत के नेता के रूप में नहीं बल्कि G20के नेता के रूप में बोलते हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कहा था कि जी20 अध्यक्ष के रूप में भारत ‘वैश्विक दक्षिण की आवाज’ बनना चाहता है.’

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर यूरोपियन स्टडीज के प्रोफेसर और जीन मोनेट चेयर उम्मू बावा ने कहा कि ज़ेलेंस्की की फोन कॉल रूस से तेल आयात की आलोचना के बावजूद विश्व व्यवस्था में भारत की अनूठी स्थिति की स्वीकृति है.

उन्होंने कहा, ‘यूक्रेनी विदेश मंत्री की हालिया टिप्पणी के बावजूद कि भारत उनके देश की ‘पीड़ा’ में एक भूमिका निभा रहा है, यूक्रेनी नेतृत्व उस राजनयिक स्थिति को नजरअंदाज नहीं कर सकता है, जिसमें भारत ने खुद को पाया है.’ वह आगे कहती हैं, ‘भले ही रूस से भारत के ऊर्जा आयात के खिलाफ आलोचना होती रहे, लेकिन नई दिल्ली अपने इस डिप्लोमेटिक स्वीट स्पॉट और G20 मेजबान के रूप में इससे निपटने में सक्षम होगी.’

(अनुवादः संघप्रिया मौर्या | संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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