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मंगलवार, 6 मई, 2025
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मूडीज़ की चेतावनी: भारत के साथ बढ़ते तनाव से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर संकट बढ़ सकता है

अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के एक नोट में कहा गया है कि अगर तनाव लगातार बढ़ता रहा, तो पाकिस्तान को विदेशी मदद मिलने में परेशानी हो सकती है, जिससे उसे अपने बाहरी ऋण को चुकाने में मुश्किलें आ सकती हैं.

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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच “लगातार बढ़ते तनाव” से पाकिस्तान के चालू वित्तीय सुधार प्रयासों को नुकसान पहुंचेगा और संभवतः उसके बाहरी वित्त पोषण तक पहुंच को भी “प्रभावित” कर सकता है, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ रेटिंग्स ने अपने ताज़ा सेक्टोरल नोट में चेतावनी दी है.

“भारत के साथ लगातार बढ़ते तनाव से पाकिस्तान की वृद्धि दर पर असर पड़ेगा और सरकार के चालू वित्तीय सुधार प्रयासों को नुकसान पहुंचेगा, जिससे पाकिस्तान की मैक्रोइकॉनॉमिक्स स्थिरता प्राप्त करने की प्रगति पीछे हट सकती है. पाकिस्तान की मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति में सुधार हो रहा है, जहां वृद्धि धीरे-धीरे बढ़ रही है, महंगाई घट रही है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) कार्यक्रम में निरंतर प्रगति के बीच विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है,” सोमवार को प्रकाशित मूडीज़ रेटिंग्स के सेक्टोरल नोट में कहा गया.

नोट में आगे कहा गया: “तनाव में लगातार बढ़ोतरी से पाकिस्तान की बाहरी वित्त पोषण तक पहुंच भी प्रभावित हो सकती है और उसके विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ सकता है, जो अगले कुछ सालों में उसके बाहर से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए जरूरी रकम से बहुत कम हैं.”

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 15.25 अरब डॉलर है, जिसमें स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) और अन्य बैंकों के शुद्ध भंडार शामिल हैं, जो 25 अप्रैल 2025 को समाप्त सप्ताह के लिए प्रकाशित SBP के आंकड़ों के अनुसार है.

पिछले कुछ वर्षों में इस्लामाबाद को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. जुलाई 2023 में, देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्टैंड-बाय अरेंजमेंट (SBA) के तहत 3 अरब डॉलर का कर्ज मिला था, जो अप्रैल 2024 तक चला.

सितंबर 2024 में, पाकिस्तान ने IMF के साथ 7 अरब डॉलर की डील की, जो अक्टूबर 2027 तक के लिए तीन साल की विस्तारित निधि सुविधा (EFF) ऋण व्यवस्था थी. इस देश ने IMF की कई वित्तीय सहायता योजनाओं में भाग लिया है. पाकिस्तान ने 2022 में विनाशकारी बाढ़ और 2023 में 35 प्रतिशत से अधिक की रिकॉर्ड उच्च महंगाई का सामना किया.

IMF सौदों ने इस नकदी की तंगी से जूझ रहे देश की मदद की, जिसका विदेशी मुद्रा भंडार 2022-2023 वित्तीय वर्ष में घटकर 9.1 अरब डॉलर रह गया था. नवीनतम सौदे से, इस्लामाबाद को 1 अरब डॉलर उस समय मिला जब डील दिसंबर 2024 में प्रभावी हुई, जबकि इस साल मार्च में IMF ने 7 अरब डॉलर कार्यक्रम की समीक्षा के लिए स्टाफ स्तर पर सहमति व्यक्त की, जिससे पाकिस्तान को और 1 अरब डॉलर की पहुंच मिलेगी.

मार्च के अपने बयान में, IMF ने यह भी घोषणा की कि वह इस्लामाबाद को लगभग 1.3 अरब डॉलर का नया कर्ज “रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी” के तहत देगा, जो IMF कार्यकारी बोर्ड की स्वीकृति पर निर्भर करेगा.

इस्लामाबाद के वित्तीय समेकन प्रयासों से पिछले महीने क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने इसकी क्रेडिट रेटिंग CCC+ से बढ़ाकर B- कर दी, क्योंकि इसके राजकोषीय घाटे में कमी आई, कर्ज का स्तर घटा, विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार हुआ और महंगाई कम हुई.

यह रेटिंग अपग्रेड जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से एक सप्ताह पहले आया, जिसमें 25 भारतीयों और एक विदेशी नागरिक सहित 26 लोगों की मौत हो गई. भारत ने कहा कि 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुआ हमला सीमा पार से जुड़ा हुआ है और 23 अप्रैल से पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदमों की घोषणा की. हाल ही में, भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी श्रेणियों की डाक सेवाओं का आदान-प्रदान निलंबित कर दिया है, साथ ही पाकिस्तान से आने वाले सभी माल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है.

23 अप्रैल को घोषित पहले कदमों में, भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित रखा, इस्लामाबाद के मिशन की ताकत 55 से घटाकर 30 कर दी, और पाकिस्तान के तीन रक्षा सलाहकारों को देश से निष्कासित कर दिया, साथ ही उनके पद भी रद्द कर दिए.

इस्लामाबाद ने 24 अप्रैल को प्रतिक्रिया देते हुए घोषणा की कि वह 1972 की शिमला संधि सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को “स्थगित रखने” का अधिकार “प्रयोग करेगा.”

मूडीज़ रेटिंग्स के ताज़ा सेक्टोरल नोट के अनुसार, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के लगातार बढ़ने का आर्थिक असर भारत पर कम होगा क्योंकि पाकिस्तान के साथ उसका व्यापार बहुत कम है.

नोट में कहा गया, “तुलनात्मक रूप से, भारत की मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति स्थिर बनी रहेगी, जो मजबूत सार्वजनिक निवेश और स्वस्थ निजी खपत के बीच मध्यम लेकिन फिर भी उच्च वृद्धि दर से समर्थित है. यदि किसी खास इलाके में तनाव लगातार बढ़ता है, तो हम भारत की आर्थिक गतिविधियों में किसी बड़े व्यवधान की उम्मीद नहीं करते क्योंकि पाकिस्तान के साथ उसका आर्थिक संबंध बहुत कम है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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