समरकंद, उज्बेकिस्तान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के दौरान जहां सदस्य देशों को ‘फ्री ट्रांजिट राइट्स’ के जरिये निर्बाध आवाजाही की वकालत की, वहीं पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस प्रस्ताव का विरोध किया.
विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और विदेश सचिव सोहेल महमूद के साथ शामिल एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने उज्बेकिस्तान पहुंचे शरीफ ने कहा, ‘आइए एक मजबूत कनेक्टिविटी की योजना बनाएं, जिसमें मध्य एशिया के देशों के बीच संपर्क बढ़े. ऐसे में पड़ोसियों समेत सभी को पूर्ण पारगमन का अधिकार मिलेगा. इसमें कोई शक ही नहीं है. यह सभी सदस्य देशों की जीत होगी.’
सम्मेलन के दौरान मोदी ने भारत को पारगमन अधिकार न देकर उसकी तरफ से अफगानिस्तान को सहायता पहुंचाने में डाली जा रही बाधा को लेकर परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधा था.
2017 में भारत के साथ ही पाकिस्तान के भी एससीओ सदस्य बनने के बाद पहली बार इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे शरीफ ने यह भी कहा कि चीन के नेतृत्व वाले सुरक्षा समूह को कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देनी चाहिए.
तालिबान नेतृत्व को आमंत्रित न किए जाने के बहुपक्षीय संगठन के फैसले की ओर इशारा करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की ‘अनदेखी’ करना एक गलती होगी.
एससीओ से इतर पीएम मोदी और पीएम शरीफ के बीच कोई बैठक नहीं हुई, जैसा कि पहले ही स्पष्ट तौर पर अपेक्षित था.
उधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘भारत के साथ बातचीत मुश्किल है क्योंकि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से सब कुछ बदल गया है….कश्मीर हमारे लिए एक बड़ा मुद्दा है.’
प्रधानमंत्री शरीफ ने अपने देश को भी ‘आतंकवाद का शिकार’ बताया, और यहां तक कि एससीओ सदस्यों से आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के खतरे से लड़ने के लिए एकजुट होने का आग्रह भी किया. उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में एससीओ को एक साथ हाथ मिलाना चाहिए…पाकिस्तान खुद आतंकवाद का शिकार रहा है और उसने आतंकवाद के खिलाफ जंग की एक बड़ी कीमत चुकाई है.
शरीफ ने कहा, ‘हजारों की संख्या में पाकिस्तानी शहीद हुए—भाई, बहनें, माताएं, सैनिक, डॉक्टर…सबने कुर्बानी दी है. इसलिए, इस समस्या को धरती से पूरी तरह मिटा देने की हमारी प्रतिबद्धता और सामूहिक रूप से इससे लड़ने के हमारे संकल्प से बड़ा कुछ नहीं हो सकता.’
‘अफगानिस्तान को नजरअंदाज करना एक गलती’
शरीफ के मुताबिक, पाकिस्तान चूंकि अफगानिस्तान का पड़ोसी देश है, इसलिए काबुल में जो कुछ भी होता है उसका इस्लामाबाद पर भी व्यापक असर पड़ता है.
शरीफ ने कहा, ‘अफगानिस्तान में शांति रहेगी तो पाकिस्तान में शांति सुनिश्चित होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो, जो अफगानिस्तान के लिए अच्छा है वही पाकिस्तान के लिए अच्छा है. अगर अफगानिस्तान प्रगति और विकास के रास्ते पर चलता है तो क्षेत्र के अन्य देश शांति से रहेंगे.
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर हम अफगानिस्तान को नजरअंदाज करते हैं तो यह एक बड़ी गलती होगी. हम हर तरह की टिप्पणियां और राय सुनते हैं लेकिन मेरा और मेरे देश का यही मानना है कि एससीओ को अफगान लोगों के समर्थन के साथ-साथ अफगानिस्तान सुरक्षा और आतंकवाद से लड़ने के क्षेत्रों में भी मजबूत करना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मानवीय सहायता के अलावा अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए भी सहयोग करना चाहिए. इस संबंध में अफगानिस्तान की फ्रीज की गई संपत्तियों को मुक्त करना काफी महत्वपूर्ण होगा.’
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