scorecardresearch
Thursday, 10 October, 2024
होमविदेशजापान में 2 मेल चूहे बने बायोलॉजिकल पिता - ह्यूमन पर अगला प्रयोग, दो पुरुषों के भी हो सकेंगे बच्चे

जापान में 2 मेल चूहे बने बायोलॉजिकल पिता – ह्यूमन पर अगला प्रयोग, दो पुरुषों के भी हो सकेंगे बच्चे

जर्नल नेचर में प्रकाशित इस नए रिसर्च में जापान के शोधकर्ताओं ने कहा कि माउस स्टेम सेल को oocytes जैसी कोशिकाओं में बदलने के लिए आठ जीन ही काफी हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने नर कोशिकाओं से अंडे उत्पन्न करा के दो बायोलॉजिकल पिताओं वाले चूहे का जन्म कराया है. यह एक ऐसा डेवल्पमेंट है जो प्रजनन की नई और मौलिक संभावनाओं के दरवाजे खोल रहा है.

जर्नल नेचर में प्रकाशित इस नए रिसर्च में, जापान के शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट दी है कि जीन-नियंत्रित प्रोटीन के उत्पादन के लिए सिर्फ आठ जीनों को सक्रिय करना माउस स्टेम सेल को सीधे ऊसाइट जैसी कोशिकाओं में बदलने के लिए पर्याप्त है जो परिपक्व होती हैं और अंडे की कोशिकाओं की तरह फर्टीलाइज भी हो सकती हैं.

जापान के क्यूशू यूनिवर्सिटी में एक नई रिसर्च के तहत दो मेल चूहों के अंडो से एक चूहे का जन्म कराया है.रिपोर्ट के अनुसार इस नवजात चूहे के दो बायोलॉजिकल पिता है.

रिसर्च पर काम कर रहे कत्सुहिको हयाशी ने कहा, ‘यह पुरुष कोशिकाओं से mammal oocytes बनाने का पहला मामला है.’

हयाशी ने जापान में क्यूशू यूनिवर्सिटी में इस रिसर्च का नेतृत्व किया और लैब में विकसित अंडे पर काम कर उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया.

हयाशी, जिन्होंने बुधवार को लंदन के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट में ह्यूमन जीनोम एडिटिंग पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में रिसर्च को प्रस्तुत किया. उन्होंने भविष्यवाणी की कि एक दशक के भीतर ही एक मेल स्किन सेल से एक व्यवहार्य मानव अंडा बनाना तकनीकी रूप से संभव होगा.

उन्होंने कहा कि आने वाले 10 वर्षों में यह टेक्निकली संभव होगा और अगर दो पुरुषों को बच्चे रखने की अनुमति मिली तो ये मेडिकली भी सेफ होगा.

मेल रिप्रोडक्शन

हयाशी ने आगे कहा कि यह समाज के साथ-साथ वैज्ञानिकों और रिसर्च के लिए भी एक सवाल है कि क्या पुरुष इस प्रकार के रिप्रोडक्शन के लिए तैयार होंगे.

दि गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले भी वैज्ञानिकों ने ऐसे चूहे बनाए हैं जिनके तकनीकी रूप एवं जेनेटिक तौर पर दो पिता थे. हालांकि, यह पहली बार है जब मेल सेल्स से ऐसे अंडे बनाये जिसमें प्रजनन की क्षमता है, इसलिए यह एक महत्वपूर्ण प्रगति है.

हयाशी की टीम अब ह्यूमन सेल के साथ इस उपलब्धि को दोहराने का प्रयास कर रही है, हालांकि लैब में विकसित अंडों के सामने कुछ बाधाएं भी होंगी, जिसमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना भी शामिल है.

हयाशी ने कहा कि इस टेक्निक को इनफर्टिलिटी के अलग अलग तरीकों में इस्तेमाल किया जा सकता है और यहीं उनके रिसर्च की प्रेरणा भी थी.

हालांकि इस पर अन्य लोगों ने सुझाव दिया कि इस तकनीक को ह्यूमन सेल के साथ प्रयोग करना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि ह्यूमन सेल अंडे प्रोड्यूस करने में अधिक समय लेते है. जिससे शरीर में जेनेटिक बदलाव का खतरा बढ़ सकता है.

वे पिता बन गए

हयाशी ने कहा, ‘चूहे के बच्चे स्वस्थ दिखाई दिए, उनका लाइफस्पैन भी नॉर्मल था, और वयस्कों के रूप में उनकी संतानें हुईं. “वे ठीक दिख रहे हैं और सामान्य रूप से बढ़ते दिखते हैं, वे पिता बन गए हैं.’

हयाशी और उनके सहकर्मी अब ह्यूमन सेल का उपयोग करके लैब में विकसित अंडों के निर्माण को दोहराने का प्रयास कर रहे हैं.

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया लॉस एंजेलिस में लैब में विकसित गैमेट्स पर काम करने वाले प्रोफेसर अमैंडर क्लार्क ने कहा कि इस रिसर्च को ह्यूमन सेल के साथ करना एक बहुत ही बड़ी बात होगी. क्योंकि वैज्ञानिक अभी तक मादा कोशिकाओं से प्रयोगशाला में विकसित मानव अंडे नहीं बना पाए हैं.

वैज्ञानिकों ने मानव अंडों पर भी काम किया है लेकिन एक स्टेज (मियोसिस- अर्धसूत्री विभाजन) के बिंदु से पहले ये सेल्स डेवल्प करना बंद कर देते हैं, कोशिका विभाजन का एक महत्वपूर्ण चरण जो परिपक्व अंडे और शुक्राणु के विकास में आवश्यक है. उन्होंने कहा,’इस समय बहुत बड़ी अड़चन बनी हुई है. लेकिन इस चुनौती से गुजरने में 10 से बीस साल का समय लग सकता है.

यह भी पढ़ें: देश में इन्फ्लूएंजा H3N2 से 2 की मौत, ICMR ने कहा- बिना सलाह के न ले एंटीबायोटिक्स, मास्क पहनें


share & View comments