बांग्लादेश क्रिकेट टीम के कप्तान मशरफे बिन मुर्तजा ने आम चुनाव 2018 में जोरदार जीत हासिल की है. चौथी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहीं शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के टिकट पर उन्होंने नरैल-2 संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और 2,74,418 वोट प्राप्त किए. उनके प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को मात्र 8,006 वोट मिले. जिस तरह क्रिकेट के मैदान पर उन्होंने बांग्लादेश के लिए बड़े-बड़े रिकॉर्ड बनाये, उसी तरह का वर्चस्व उन्होंने राजनीति में भी कायम रखा.
उनसे पहले सिर्फ एक बांग्लादेशी क्रिकेटर नैमूर रहमान दुर्जोय ही सांसद बन पाए थे. मुर्तजा की जीत इसलिए खास है क्योंकि बाकी लोगों ने रिटायरमेंट के बाद चुनाव लड़ा, लेकिन मुर्तजा ने खिलाड़ी और कप्तान रहते चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. पूरे क्रिकेट जगत में यह अनोखी उपलब्धि है.
बहुत सारे क्रिकेट खिलाड़ियों ने क्रिकेट के मैदान से बाहर राजनीति में भी हाथ आजमाए और कई तो सफल भी रहे. हाल ही में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. इमरान खान की इससे पहले सबसे बड़ी पहचान यह रही कि उन्होंने 1992 में अपना सन्यास तोड़कर पाकिस्तान को विश्वकप दिलाया था.
भारत में भी अजहरुद्दीन, नवजोत सिंह सिद्धू, चेतन चौहान, कीर्ति आज़ाद, तेजस्वी यादव, लक्ष्मी रतन शुक्ला, अनुराग ठाकुर ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. सिद्धू और लक्ष्मी रतन शुक्ला तो मंत्री भी बने. सचिन तेंदुलकर भी राज्यसभा सांसद बने. कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे जो राजनीति की पिच पर टिक नहीं पाए. श्रीसंत, मो कैफ, विनोद कांबली, मनोज प्रभाकर, ज्योति यादव जैसे कई खिलाड़ी चुनाव हार गए.
सौरभ गांगुली, हरभजन, सहवाग, गंभीर जैसे कई नाम हैं, जिनका नाम राजनीति के मैदान में बार-बार उछलता है. संभव है इनमें से कुछ नाम आने वाले समय में चुनाव भी लड़ें. राहुल द्रविड़ के बारे में भी अफवाह उड़ी तो उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया. हाल ही में प्रवीण कुमार ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन किया है. आने वाले समय में संभव है कि वे भी चुनाव लड़ें.
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एक बार बांग्लादेश के मीरपुर में अफगानिस्तान और बांग्लादेश मैच के दौरान मशरफे मुर्तजा का एक जज़्बाती प्रशंसक मैदान में घुस आया था. मुर्तजा मिड ऑन पर खड़े थे. सिक्योरिटी उसको बाहर करने के लिए कॉलर पकड़ कर खींच रही थी, लेकिन मुर्तजा ने उसको गले से लगा लिया और सिक्योरिटी को मना किया कि उसे कुछ न कहे. फिर वे उसको सिक्योरिटी से बचाते हुए कुछ दूर छोड़ आये. उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि फेसबुक पर उन्हें 85 लाख लोग फॉलो करते हैं.
वे बांग्लादेश के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ी रहे हैं. कप्तान के तौर पर वन-डे में उनके रिकॉर्ड के आस-पास बांग्लादेश का कोई भी खिलाड़ी नहीं है. इस तरह सौरभ गांगुली ने भारतीय टीम को जीतने की आदत लगायी. उसी तरह मुर्तजा ने भी बांग्लादेश को जीतना सिखाया. उन्होंने सबसे ज्यादा 70 मैचों में कप्तानी करते हुए 40 मुकाबले जीते हैं. बाकी के कप्तानों के हिस्से जीत कम, हार ज्यादा है. उनके सबसे नजदीक हबीबुल बशर हैं, जिन्होंने 69 मैचों में 29 जीते और 40 हार गए. इसी से आप अंदाजा लगाइए कि क्यों बांग्लादेश की जनता उनकी दीवानी है. हाल में ही उनकी कप्तानी में बांग्लादेश ने वेस्टइंडीज को 2-1 से वन-डे सीरिज में पराजित किया था. इसलिए जब वे चुनाव में खड़े हुए तो उनको जनता का अपार समर्थन मिला.
उन्होंने सिर्फ एक टेस्ट में बांग्लादेश की कप्तानी की और जीत दर्ज की. बार-बार अनफिट होने की वजह से वे टेस्ट फॉर्मेट में तालमेल नहीं बिठा पाए. एकदिवसीय फॉर्मेट ही उनको सबसे ज्यादा रास आया.
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मुर्तजा मूलरूप से तेज गेंदबाज हैं, लेकिन समय आने पर निचले क्रम में तेज बल्लेबाजी भी कर लेते हैं. वे इतने प्रतिभाशाली थे कि उन्हें बिना कोई प्रथम श्रेणी खेले ही अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में मौका दिया गया. आम तौर पर तेज गेंदबाजों के लिए फिटनेस बहुत बड़ी समस्या रही है. मुर्तजा भी चोटों की वजह से बहुत परेशान रहे. वह बांग्लादेश के लिए सबसे ज्यादा एकदिवसीय मैच खेलने और सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं.
उन्होंने 202 एकदिवसीय मैचों में 25 बार नॉट आउट रहते हुए 87.84 के स्ट्राइक रेट से 1728 रन बनाये, जिसमें 51 रन उनका उच्चतम स्कोर रहा. इस दौरान उन्होंने 58 छक्के भी लगाये, जो साबित करता है कि समय आने पर वे टीम के लिए तेज बल्लेबाजी भी कर लेते थे. एक गेंदबाज के रूप में उन्होंने बांग्लादेश के लिए सबसे ज्यादा 258 विकेट चटकाए. 26 रन देकर 6 विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. आईपीएल 2009 में वे कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के भी सदस्य थे. उन्हें सिर्फ एक मैच खेलने का मौका मिला, जिसमें उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा. टी-20 में भी उनका प्रदर्शन प्रशंसनीय रहा है.
मशरफे बिन मुर्तजा का जन्म बांग्लादेश के नरैल जिले में 5 अक्टूबर 1983 को हुआ था. उनका निक नेम ‘पगला’ है. इन्होंने अपना पहला मैच 2001 में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेला था. ये दायें हाथ से बल्लेबाजी और दायें हाथ से मध्यम तेज गेंदबाजी करते हैं. शादीशुदा हैं और 2 बच्चे हैं. क्रिकेट के अलावा उन्हें फुटबॉल और बैडमिंटन खेलना पसंद है.
मुर्तजा ने 2019 विश्वकप के बाद संन्यास लेने के संकेत पहले ही दे दिए थे और चुनाव लड़कर उन्होंने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिए.
(लेखक क्रिकेटर हैं और जेएनयू से हिंदी साहित्य में पीएचडी कर रहे हैं.)