नई दिल्ली: कभी अफगानिस्तान के वित्त मंत्री रह चुके खालिद पायेंडा अब वॉशिंगटन में उबेर ड्राइवर के रूप में काम करके अपना गुजारा कर रहे हैं.
काबुल पर तालिबान का कब्जा होने से लगभग एक हफ्ता पहले तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी के फटकार के बाद पायेंडा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. द वाशिंगटन रिपोर्ट के मुताबिक पायेंडा ने नहीं सोचा था कि सरकार गिरने वाली है. लेकिन उन्हें यह पता चल गया था कि उन्होंने राष्ट्रपति गनी का भरोसा खो दिया है.
अफगानिस्तान पर हुए तालिबान के कब्जे के महीनों बात भी पायेंडा को यह बात सता रही है कि इन सब के पीछे गलती किसकी थी. लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के पतन के लिए पायेंडा अपने साथी अफगानों के साथ-साथ खुद को दोषी समझते हैं.
वो कहते हैं- हमारे पास सुधार करने, गंभीर होने की सामूहिक इच्छा नहीं थी.
पूर्व मंत्री ने देश को तालिबान को सौंपने और स्थायी मूल्यों के साथ विश्वासघात करने के लिए अमेरिकियों को भी दोषी ठहराया, जिन्होंने कथित तौर पर उनकी लड़ाई को प्रेरित किया था
उन्होंने कहा, ‘अभी मेरे पास कोई जगह नहीं है. मैं न यहां का रहा और न वहां का. मुझे बहुत खाली महसूस होता है.’
तालिबान ने पिछले अगस्त में अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया था, तब से देश अराजकता में है और मानवीय सहायता की सख्त जरूरत है.
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