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Monday, 4 November, 2024
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जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने अगला चुनाव लड़ने से किया इनकार

किशिदा ने अपनी सरकार की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने 30 वर्षों की अपस्फीति को समाप्त करने के लिए वेतन वृद्धि और निवेश को बढ़ावा दिया है.

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नई दिल्ली: जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने अगले महीने सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व के चुनाव में भाग न लेने की घोषणा की है. एनएचके न्यूज की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.

किशिदा ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने फैसले के बारे में बताया.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आगामी राष्ट्रपति चुनाव में, लोगों को यह दिखाना ज़रूरी है कि लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी बदलेगी. इसके लिए एक पारदर्शी और स्वतंत्र चुनाव और खुली बहस महत्वपूर्ण है. पहला आसान-से-समझने वाला कदम जो यह संकेत देता है कि एलडीपी बदलेगी, वो है मेरे कदम पीछे हटाना.’’

किशिदा ने अपनी सरकार की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने 30 वर्षों की अपस्फीति को समाप्त करने के लिए वेतन वृद्धि और निवेश को बढ़ावा दिया है.

किशिदा ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने बिजली की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि से निपटने के लिए अपनी ऊर्जा नीति में बदलाव किया है.

उन्होंने मीडिया को यह भी बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान सरकार ने घटती जन्म दर से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर उपाय लागू किए हैं और जापान की रक्षा क्षमता को काफी मजबूत किया है.

एनएचके न्यूज़ में किशिदा के हवाले से कहा गया, ‘‘मुझे गर्व है कि मेरा प्रशासन ऐसी बड़ी उपलब्धियां हासिल करने में सक्षम रहा.’’

किशिदा ने यह भी कहा कि वह एक नए नेता का समर्थन करेंगे. जापान टुडे के अनुसार, इस साल की शुरुआत में स्थानीय चुनावों में हार के कारण उनका प्रभाव कम हुआ है और एलडीपी सांसदों ने अगले आम चुनाव से पहले एक नए चेहरे की आवश्यकता पर आवाज़ उठाई है.

किशिदा ने अक्टूबर 2021 में प्रधानमंत्री का पद संभाला था. एलडीपी के भीतर एक राजनीतिक फंडिंग घोटाले के बाद उन्होंने पद छोड़ने की घोषणा की है.

यह घोटाला पार्टी के कार्यक्रमों के लिए बेचे गए टिकटों के माध्यम से जुटाए गए कथित अघोषित राजनीतिक धन पर केंद्रित है. इसमें 80 से अधिक एलडीपी सांसद शामिल थे.

जापान के सांसदों ने किशिदा के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

एलडीपी के एक वरिष्ठ सदस्य ने एनएचके को बताया कि उन्होंने बार-बार किशिदा को चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश की. रिपोर्ट के अनुसार, उनका मानना है कि कई मुद्दों को अनसुलझा छोड़कर प्रधानमंत्री पद से हटना गैर-ज़िम्मेदाराना है.


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