नई दिल्ली: इजरायल के रक्षा मंत्री नफताली बेन्नेट ने सोमवार को कहा कि इजरायल ने डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ने कोरोनावायरस का टीका बना लिया है. उन्होंने इसे कोविड-19 के संभावित उपचार की दिशा में एक ‘महत्वपूर्ण सफलता’ बताया है.
एक आधिकारिक बयान में, बेन्नेट ने दावा किया कि इजरायल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च (आईआईबीआर) द्वारा विकसित ‘मोनोक्लोनल न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी’ वायरस पर हमला करता है और शरीर के अंदर इसे बेअसर करता है.
मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज, जैसा कि नाम से पता चलता है, इन्हें एक ही रिकवर्ड कोशिका से क्लोन किया जाता है. इस प्रकार से इसे बनाना और उपयोग करना बहुत आसान हो जाता है. यह पॉलीक्लोनल एंटीबॉडी के विपरीत है, जिसे कई तरह की कोशिकाओं से प्राप्त करना होता है.
विशिष्ट एंटीबॉडी वाले टीके तभी काम करते हैं जब प्रयोगशाला-विकसित एंटीबॉडी शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा की तरह प्रतिक्रिया करते हैं और वायरस के संपर्क में आने पर उसको ख़त्म करते हैं.
आईआईबीआर ने विकास के चरण को पूरा किया
येरुशलम पोस्ट के अनुसार आईआईबीआर ने एंटीबॉडी फॉर्मूला के विकास के चरण को पूरा कर लिया है और अब इसका निर्माण करना चाहता है.
बयान में आईआईबीआर के निदेशक शमूएल शपीरा के हवाले से कहा गया है कि एंटीबॉडी फार्मूला का पेटेंट कराया जा रहा है, जिसके बाद एक अंतरराष्ट्रीय निर्माता से इसका उत्पादन करने की मांग की जाएगी.
आईआईबीआर एक गुप्त शोध इकाई है, जो सीधे इज़राइल के प्रधानमंत्री के कार्यालय में काम करती है, ने स्वयं वैक्सीन के बारे में कोई और जानकारी जारी नहीं की है. यदि प्रभावी है, तो यह एंटीबॉडी का विकास बहुत आशाजनक है और यह टीका कई अन्य टीकों में शामिल होगा, जिन्हें पहले से ही कोरोना के लिए संभावित टीके के रूप में कहा जा रहा है.
हालांकि, अधिकांश संभावित टीके वर्तमान में मानव परीक्षणों में हैं. हालांकि, शपीरा ने कहा कि बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होने वाला है, यह स्पष्ट नहीं है कि टीके का परीक्षण मनुष्यों पर सुरक्षा या प्रभाव के लिए किया गया है या नहीं.
आईआईबीआर एक ऐसी इकाई है जो इज़राइल के खिलाफ जैविक खतरों का मुकाबला करने के लिए काम करती है और कोरोनोवायरस के लिए एक उपचार और वैक्सीन विकसित करने का बीड़ा उठा रही है, जिसमें प्लाज्मा संग्रह भी शामिल है, जिसमें कोरोना से बरामद रक्त से परीक्षण शामिल है.
इजरायल अपनी सीमाओं को बंद करने और कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए मूवमेंट पर तेजी से कड़े प्रतिबंध लगाने वाले पहले देशों में से एक था, कोरोना के कारण 16,246 मामले और 235 मौतें हुई हैं.
(संध्या रमेश के इनपुट्स के साथ)
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