नई दिल्ली: पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासानी प्रांत (आईएसकेपी) के गिरफ्तार प्रमुख असलम फारूकी की हिरासत की आधिकारिक रूप से मांग की है.
आईएसकेपी पर पिछले महीने काबुल गुरुद्वारा हमले की योजना बनाने का आरोप है, जिसमें 25 से अधिक लोग मारे गए थे.
अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) ने 4 अप्रैल को एक ऑपरेशन में अज्ञात स्थान से फारूकी को गिरफ्तार किया था, ऐसा माना जा रहा है कि वह पाकिस्तानी नागरिक अब्दुल्ला ओरकजई है.
जबकि फारूकी के आतंकी समूह ने कथित तौर पर सुरक्षा बलों के अलावा आम नागरिकों को निशाना बनाते हुए अफगानिस्तान में कई आतंकी हमले किए हैं, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने दावा किया है कि वह उनके देश में भी वांछित (वांटेड) है.
गुरुवार रात जारी बयान में कहा गया, ‘फारूकी अफगानिस्तान में पाकिस्तान विरोधी गतिविधियों में शामिल था, उसे आगे की जांच के लिए पाकिस्तान को सौंप दिया जाना चाहिए.’
पाकिस्तानी अधिकारियों ने अफगान राजदूत को बुलाने के बाद ये अनुरोध वाला बयान जारी किया.
एनडीएस ने पहले कहा था कि फारूकी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और उसके बाद तहरीक-ए-तालिबान आतंकी समूहों से जुड़ा रहा है.
फारूकी अप्रैल 2019 में मवलवी ज़िया-उल-हक उर्फ अबू उमर ख़ोरासानी की जगह आईएसकेपी का प्रमुख बनाया गया
पाकिस्तान के अफगानिस्तान को किए गए अनुरोध पर उसका मज़ाक उड़ाया जा रहा है.
एनडीएस के पूर्व निदेशक, रहमतुल्ला नबील ने इस अनुरोध का ट्विटर पर मजाक उड़ाया है.
1- PAK military & ISI thinks that #AFG is in their territory.They never complied with AFG government's request for handover of Mullah Baradar, Sadar Ibrahim, Mullah Daoud,Mawlawi Mirahmad Gul, Mullah Abdul Salam and dozens of high ranking Taliban, who were arrested in PAK. https://t.co/lvkBSYgRy5
— Rahmatullah Nabil (@RahmatullahN) April 9, 2020
वह ट्वीट करते हैं,’ पाक सेना और आईएसआई सोचती है कि अफगानिस्तान उनका हिस्सा है. उन्होंने कभी भी अफगानिस्तान सरकार के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और न ही पाकिस्तान में गिरफ्तार किए गए तालिबानी नेताओं मुल्ला बरादर, सदर इब्राहिम, मुल्ला दाऊद, मौलवी मिरमादम गुल, मुल्ला अब्दुल सलाम और दर्जनों तालिबानियों को मांग के बाद भी अफगानिस्तान सरकार को नहीं सौंपा.’
इस विशेष कार्यवाई में फारूकी के साथ, चार और पाकिस्तानी नागरिक और आईएसआई के सदस्य- खैबर पख़्तूनख्वा के मासोदुल्ला, खान मोहम्मद, इस्लामाबाद के अली मोहम्मद और करांची का सलमान शामिल हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है.
अपने आदमी को बचाने की पाकिस्तान की साजिश
भारतीय सुरक्षा इस्टैबलिशमेंट के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पाकिस्तान का औपचारिक अनुरोध देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा समर्थित आदमी को बचाने की एक कोशिश है.
यह पूछने पर कि क्या वह सोचते हैं कि अफगान उनके इस अनुरोध को स्वीकार कर लेगा, भारत के शीर्ष अधिकारी ने इसका जवाब तो नहीं दिया लेकिन कहा, ‘ वह अफ़गानिस्तान में हुई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है और ‘वांटेड’ है. वह कई अफगानियों की हत्या का भी जिम्मेदार है.’
आतंकी समूह से जुड़ी अमाक न्यूज एजेंसी ने गुरुद्वारे के हमले की जिम्मेदारी ली थी और आत्मघाती हमलावर की फोटो भी जारी की थी, जिसके केरल का नागरिक होने का शक है.
अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख समुदाय पर आईएसकेपी द्वारा हमला किए जाने का दूसरा मामला है. पहली बार 2018 में नंगरहर प्रांत के जलालाबाद में हिंदू और सिखों के एक दल पर आत्मघाती हमला हुआ था जिसमें 19 लोग मारे गए थे.
भारतीय सुरक्षा बल हमेशा मानती है कि आईएसकेपी और कुछ नहीं बल्कि आईएसआई द्वारा पोषित आतंकी संगठन है.
हाल के महीनों में अमेरिकी दलों और तालिबान द्वारा अलग-अलग संचालन के बाद आईएसकेपी घुटनों पर आ गई है.
अल जज़ीरा ने नवंबर 2019 में बताया कि अफगान अधिकारियों ने कहा कि नंगरहार में आईएसकेपी पूरी तरह से हार चुका है. नंगरहार जो कि प्रमुख पूर्वी प्रांतों में से एक है, जहां आईएसकेपी ने पहली बार 2015 में एक गढ़ स्थापित कर लिया था.
अल जज़ीरा ने बताया कि 2015 में अफ़ग़ानिस्तान सीमा के करीब उत्तरी वज़ीरिस्तान में सशस्त्र समूहों के खिलाफ पाकिस्तान के ऑपरेशन के बाद अफगानिस्तान में यह आतंकवादी समूह उभरा, जिसकी वजह से दस लाख से अधिक लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.
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