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Monday, 4 November, 2024
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वाशिंगटन पोस्ट का दावा, ईरान में कोविड-19 के कहर से हुईं इतनी मौतें कि अंतरिक्ष से दिखे सामूहिक कब्रगाह

कोरोनावायरस से ईरान में अब तक 429 मौतें हुई हैं और 10,000 से ज़्यादा लोग प्रभावित हैं. मृतकों में सांसद, राजनयिक और आयतुल्लाह ख़ुमैनी के सलाहकार भी शामिल हैं.

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नई दिल्ली: ईरान अपने देश में पड़े कोरोना के प्रभाव की गंभीरता को छुपा रहा है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ईरान में जहां इस बीमारी का सबसे ज़्यादा प्रभाव है वहां की कब्रगाह में असामान्य गतिविधियां देखने को मिली हैं.

कोरोनावायरस से ईरान का कोम सबसे अधिक प्रभावित है. अमेरिकी मीडिया वाशिंगटन पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोम के बेहशत ए मशोमेह के पास जो कब्रगाह है वहां असामान्य गतिविधियां देखने को मिली है.

रिपोर्ट में लिखा है, ‘तेहरान से 80 मील दूर कोम में 21 फरवरी से नई कब्रों की खुदाई शुरू हुई. सेटेलाइट से आई तस्वीरों में ऐसा दिख रहा है कि जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती गई वैसे-वैसे इनका आकार बढ़ता गया.’

कोम में कोरोना पीड़ितों को दफ़नाने के लिए सामूहिक कब्रों का दावा

रिपोर्ट में आगे लिखा है कि फरवरी के अंत तक दो बड़े गड्ढे़ बनाए गए जो 100 एकड़ में फैला है. रिपोर्ट में लिखा है, ‘ये (खाइयां/सामूहिक कब्रें) अंतरिक्ष से भी दिखाई दे रही हैं.’

विशेषज्ञों के विश्लेषण, वीडियो द्वारा मिली जानकारी और आधिकारिक बयानों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में लिखा गया है कि इन कब्रों की खुदाई इसलिए की गई है ताकि कोम में वायरस से प्रभावित लोगों को यहां दफनाया जा सके.


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कोम में उन शिया मुसलमानों की ख़ासी आबादी है जो यहां के धार्मिक नेतृत्वकर्ता हैं. देश का शासन भी यहीं के लोगों द्वारा संचालित होता है. यहां करीब 12 लाख़ लोग रहते हैं. ईरान के कोरोना के पहले दो मामले यहीं सामने आए थे.

कोम के बेहशत ए मशोमेह में यहां की सबसे बड़ी कब्रगाह हैं. इस महीने की शुरुआत में सोशल मीडिया पर ऐसी वीडियो आईं जिनमें यहां जल्दीबाज़ी में खोदी गईं नई कब्रें नज़र आईं.

अक्टूबर में कब्रगाह का ज़्यादातर हिस्सा खाली था, बाद में बदली तस्वीर

रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर महीने की कब्रगाह से जुड़ी तस्वीरों में इसका ज़्यादातर हिस्सा ख़ाली नज़र आता है. वॉशिंगटन पोस्ट को सेटेलाइट की ये तस्वीरें अमेरिका के कोलोराडो स्थित अंतरिक्ष तकनीक कंपनी मैक्सर टेक्नोलॉजी ने दी हैं.

कोम में कोरोना वायरस के पहले दो मामलों की पुष्टी के बाद ईरानी अधिकारियों ने बेहशत ए मशोमेह में दो बड़ी खाइयां खोदीं जिनका आकार 100 यार्ड का था. रिपोर्ट के मुताबिक इन्हीं में कोरोना के मृतकों को दफनाया जा रहा है.

एक मार्च की सेटेलाइट की तस्वीरों में दोनों खाइयां दिखाई दे रही हैं जिसके बाद से यहां खुदाई जारी है. इन्हीं बातों का हवाला देते हुए ईरान पर कोरोना की गंभीरता और मृतकों की संख्या को दबाने का आरोप है.

चीन के बाद सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में शामिल है ईरान

चीन के अलावा ईरान उन देशों में शामिल है जिन्हें कोरोना के गंभीर प्रकोप का सामना करना पड़ा है. 8 करोड़ की आबादी वाले इस देश में यहां के राजनीतिक आलाकमान भी कोरोना के दंश से नहीं बच पाये हैं.

इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक कोरोना से ईरान में 429 मौत हुई हैं. वहीं, इस देश में 10,000 से ज़्यादा लोग इससे प्रभावित हैं. मरने वालों में कुछ सांसद, एक पूर्व राजनयिक और अयातुल्लाह ख़ुमैनी के एक सलाहकार भी शामिल हैं.

आलम ये है कि एक उपराष्ट्रपति और दो दर्जन सरकारी अधिकारी भी इसकी चपेट में हैं. अकेले कोम में 846 लोगों को कोरोना ने अपनी जकड़ में लिया.

रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की सरकार ने कोम से मृतकों का आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है. मैक्सर टेक्नॉलजी के एक वरिष्ठ इमेजरी एनालिस्ट ने वॉशिंगटन पोस्ट से कहा कि बेहशत ए मशोमेह में जो हो रहा वो पहले से काफ़ी अलग है.

एनालिस्ट ने कहा, ‘खाइयों के आकार और खुदाई में तेज़ी से साफ़ है कि वहां काफी कुछ बदला है.’ नाम नहीं बताने की शर्त पर एनालिस्ट ने ये भी कहा की सामूहिक कब्र से पैदा होने वाली बदबू छिपाने के लिए चूना भी इस्तेमाल हुआ है.

ईरान के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बीते समय में कोरोना पीड़ितों को दफनाए जाने के दौरान चूने के इस्तेमाल की बात को स्वीकारा है. इन बातों से ऐसी आशंका को बल मिलता है कि ईरान कोरोना की गंभीरता को दुनिया से छिपा रहा है.

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