नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद की स्थिति अब दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी फैल गई है. अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्र पाकिस्तानी प्रतिनिधियों के कैंपस दौरे का विरोध कर रहे हैं और पाकिस्तान सरकार पर भारत में हिंदुओं के खिलाफ धार्मिक रूप से प्रेरित आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगा रहे हैं.
हार्वर्ड के प्रेजिडेंट डॉ. एलन गार्बर, प्रोवोस्ट जॉन एफ. मैनिंग, हार्वर्ड केनेडी स्कूल के डीन जेरेमी वेनस्टीन और ऑफिस फॉर इक्विटी, डायवर्सिटी, इनक्लूजन एंड बिलॉन्गिंग को संबोधित एक पत्र में भारतीय छात्रों ने यूनिवर्सिटी से 22 अप्रैल के हमले की सार्वजनिक रूप से निंदा करने और पाकिस्तान कॉन्फ्रेंस 2025 में पाकिस्तानी अधिकारियों की मेजबानी पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया.
हार्वर्ड केनेडी स्कूल के छात्रों सुरभि तोमर और अभिषेक चौधरी द्वारा संबंधित छात्रों की ओर से हस्ताक्षरित पत्र में आरोप लगाया गया है कि लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े आतंकवादियों द्वारा किए गए इस हमले में हिंदू नागरिकों को उनकी आस्था के आधार पर निशाना बनाया गया. छात्रों ने इसे “आस्था आधारित नरसंहार” बताया क्योंकि ज़िंदा बचे लोगों ने बताया कि हत्याओं से पहले उनसे उनके धर्म के बारे में पूछताछ की गई थी.
पत्र में लिखा है, “हिंसा के ये कृत्य अंधाधुंध नहीं थे. ये पूरी तरह से धार्मिक पहचान के आधार पर सोची-समझी साजिश थी. हार्वर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसका कैंपस स्टेट द्वारा समर्थित धार्मिक आतंकवाद को सफेद करने का मंच न बन जाए.”
भारतीय छात्रों ने इस बात पर विशेष चिंता जताई की कि देश के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब सहित पाकिस्तानी प्रतिनिधियों को सम्मेलन में बोलने के लिए बुलाया गया है, जबकि पाकिस्तान की सीनेट के नए प्रस्ताव में कश्मीर के तथाकथित “स्वतंत्रता संघर्ष” के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की गई है, जिसका उन्होंने तर्क दिया कि अक्सर भारतीय नागरिकों के खिलाफ हिंसा को सही ठहराने के लिए उपयोग किया जाता है.
पत्र में कहा गया है, “ऐसी सरकार के प्रतिनिधियों का स्वागत करना जो न केवल जवाबदेही से इनकार करती है, बल्कि वैचारिक रूप से ऐसे धर्म-आधारित आतंकवाद का समर्थन भी करती है, हार्वर्ड को उन लोगों को वैध बनाने में मिलीभगत का जोखिम है जो इन अपराधों को सक्षम या उचित ठहराते हैं.” चिंतित छात्रों ने गार्बर से पहलगाम हमले की निंदा करते हुए एक सार्वजनिक बयान जारी करने और धर्म-आधारित हिंसा के पीड़ितों के लिए यूनिवर्सिटी के सपोर्ट की पुष्टि करने, आगामी पाकिस्तान सम्मेलन 2025 में पाकिस्तानी अधिकारियों की भागीदारी पर पुनर्विचार करने और प्रभावित छात्रों को समानता, विविधता, समावेश और संबद्धता कार्यालय के माध्यम से भावनात्मक और संस्थागत सहायता प्रदान करने के लिए कहा.
छात्रों ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भी पत्र लिखा, जिसमें ट्रंप प्रशासन से इस कार्यक्रम के लिए यात्रा करने वाले पाकिस्तानी अधिकारियों के वीज़ा रद्द करने की गुजारिश की गई. उन्होंने अमेरिकी सरकार से “पीड़ितों के साथ खड़े होने और आतंकवाद के सामने अमेरिका की नैतिक स्पष्टता को बनाए रखने” का आह्वान किया.
रुबियो को लिखे गए संयुक्त पत्र में कहा गया है, “आतंकवाद को सक्षम या उचित ठहराने वाली सरकार के प्रतिनिधियों का स्वागत करने से हार्वर्ड के सहभागी होने का जोखिम है. संयुक्त राज्य अमेरिका को ऐसे राज्य के प्रतिनिधियों की मेजबानी नहीं करनी चाहिए जो आस्था के आधार पर नागरिकों को लक्षित करने वाले संगठनों की रक्षा और बढ़ावा देता है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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