नई दिल्ली: भारत ने बुधवार को चीनी नागरिकों के लिए लगभग 5 साल से निलंबित टूरिस्ट वीजा को फिर से शुरू कर दिया है. यह कदम दोनों देशों के बीच संबंधों में धीरे-धीरे आ रही गर्मजोशी के बीच उठाया गया है, खासकर अगले महीने के अंत में तियानजिन में होने वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित दौरे से पहले.
बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिना वीबो पर इस बात की जानकारी दी कि चीनी नागरिक अब 24 जुलाई 2025 से भारत के लिए टूरिस्ट वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं.
चीनी नागरिकों को ऑनलाइन आवेदन भरना होगा, अपॉइंटमेंट शेड्यूल करना होगा और बीजिंग, शंघाई और ग्वांगझोउ स्थित भारतीय वीज़ा केंद्रों में व्यक्तिगत रूप से अपना पासपोर्ट जमा करना होगा.
यह फैसला ऐसे समय आया है जब नई दिल्ली और बीजिंग दोनों देशों के बीच संबंधों को धीरे-धीरे सामान्य करने के लिए कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग मैकेनिज्म का सहारा ले रहे हैं. 2020 की गर्मियों में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद दोनों देशों के रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए थे.
जहां भारत ने चीनी नागरिकों के लिए वीजा रोक दिए थे, वहीं चीन ने पिछले साल करीब 3 लाख वीजा (ज्यादातर व्यापार से जुड़े) भारतीयों को जारी किए. अपने पर्यटकों और व्यापारियों के लिए वीजा की बहाली चीन सरकार की प्रमुख मांगों में से एक थी.
भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान चीन से यात्रा को रोक दिया था और सीधी उड़ानों को निलंबित कर दिया था. यह रोक तब से बनी रही जब गलवान संघर्ष के बाद दोनों देशों के संबंध और बिगड़ गए.
हालांकि, 21 अक्टूबर 2024 को भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने घोषणा की थी कि दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवादित बिंदुओं से पीछे हटने पर सहमति बना ली है.
इस समझौते ने प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कज़ान शहर में हुए ब्रिक्स समिट के मौके पर मुलाकात का रास्ता साफ किया. भारत ने चीन के साथ भरोसा बहाली के तहत कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली की मांग की थी.
इस गर्मी की शुरुआत में यात्रा फिर से शुरू हुई और पिछले महीने यात्रियों का पहला जत्था कैलाश मानसरोवर पहुंच गया.
भारत द्वारा चीनी नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा पर लगी रोक हटाने के साथ ही चीन की एक प्रमुख मांग पूरी हो गई है. दूसरी मांग दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली की है.
तकनीकी टीमें इस पर काम कर रही हैं और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने के लिए एक समझौते की दिशा में बढ़ रही हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने इस फैसले का स्वागत किया और रॉयटर्स के अनुसार पत्रकारों से कहा:
“चीन भारत के साथ संवाद और सलाह-मशविरा बनाए रखने के लिए तैयार है और दोनों देशों के बीच व्यक्तिगत संपर्कों के स्तर को लगातार सुधारना चाहता है.”
इससे पहले इस महीने विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी. दो दिवसीय दौरे के दौरान जयशंकर ने सीमाओं पर “तनाव कम करने” पर चर्चा की और कहा कि कुछ क्षेत्रों में विवाद “सुलझा” लिया गया है.
पिछले एक महीने में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी एससीओ मैकेनिज्म के तहत बैठक के लिए चीन गए. जयशंकर ने भी अपनी चीन यात्रा के दौरान एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया.
तनाव के चरम पर, भारत ने लद्दाख के पूर्वी हिस्से में 68,000 सैनिकों और सैन्य साजो-सामान तैनात कर दिए थे. हालांकि, अक्टूबर 2024 में मोदी-शी की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच कई द्विपक्षीय बातचीत के रास्ते खुले और कूटनीतिक तनाव में कमी आई.
चीन अगस्त के अंत में तियानजिन शहर में एससीओ हेड्स ऑफ स्टेट समिट की मेजबानी करने जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के शामिल होने की उम्मीद है. हालांकि, मोदी इससे पहले भी इस समिट में शामिल नहीं हुए हैं, जैसे कि पिछले साल अस्ताना (कजाकिस्तान की राजधानी) में हुई समिट.
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