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Wednesday, 8 May, 2024
होमविदेशभारतीय गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि जायर बोलसोनारो को 'ट्रंप ऑफ द ट्रॉपिक्स' क्यों कहा जाता है

भारतीय गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि जायर बोलसोनारो को ‘ट्रंप ऑफ द ट्रॉपिक्स’ क्यों कहा जाता है

बोलसोनारो की सत्ता-विरोधी पॉपुलिस्ट अवतार और सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता से ही उनके और ट्रंप के बीच तुलना की जाती है.

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नई दिल्ली: ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो भारत के 70वें गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर आने को बिल्कुल तैयार हैं. लेकिन बहुत सारे आलोचकों का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बोलसोनारो को आमंत्रित करने का फैसला किया जिन्हें ‘ट्रंप ऑफ ट्रॉपिक्स’ भी कहा जाता है- क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा पिछले साल दिए गए आमंत्रण को स्वीकार करने से मना कर दिया.

बोलसोनारो की सत्ता-विरोधी पॉपुलिस्ट अवतार और सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता से ही उनके और ट्रंप के बीच तुलना की जाती है. ब्राजील के राष्ट्रपति के आलोचकों का इस तरफ इशारा है कि कैसे दोनों नेता राष्ट्रवाद के सहारे अपना प्रचार करते हैं और उनका ध्यान अपने-अपने देशों में कानून व्यवस्था को खराब करने पर रहता है.

ट्रंप के ही समान बोलसोनारो भी ट्विटर भी अजीब और अभूतपूर्व बयान देते हैं. दोनों लोगों पर परिवारवाद के आरोप लगते हैं जैसे कि अपने प्रशासन में परिवार के करीबी लोगों की नियुक्ति करना.

ब्राजील के राष्ट्रपति का विवादित बयान देने का लंबा इतिहास रहा है. पिछले ही कुछ महीनों में उन्होंने सार्वजनिक तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्यूल मैक्रां और उनकी पत्नी ब्रिगैटे मैक्रां को बेज्जत किया था, ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट के जजों को हाइना कहा था, देश के शीर्ष न्यूज़ ब्रॉडकास्टर को स्कमबैग्स और अमेज़न में लगी आग को मार्क्सिस्ट षड्यंत्र बताकर खारिज़ कर दिया था.

भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि जायर बोलसोनारो के विवादित जिंदगी पर दिप्रिंट नज़र डाल रहा है.

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एक असमान्य राजनेता

पूर्व सैन्य अधिकारी बोलसोनारो साल 1983 में उस समय चर्चा में आए जब एक ब्राजील की मैगज़ीन वेज़ा के लिए उन्होंने एक लेख लिखा था. जिसमें उन्होंने सैनिकों को मिलने वाली कम तनख़्वाह की शिकायत की थी. इस लेख की वज़ह से उन्हें 15 दिन जेल में रहना पड़ा था जिससे उनकी राजनैतिक कैरिअर को एक शुरूआती माइलेज़ मिल गई.


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ब्राज़ील के नेता पहली बार 1991 में बतौर विधायक चुन कर आए लेकिन लेकिन एक जाने पहचाने राष्ट्रीय नेता की पहचान की आशा 2017 तक अधूरी ही रही. जब वो ब्राजील के निचले सदन के स्पीकर के लिए चुनाव लड़े तो उन्हें केवल चार वोट मिले थे.

जबकि बोलसोनारो राजनीतिक तौर पर एक मजबूती के साथ 2018 में उभरे जब उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने का फैसला एक सत्ता-विरोधी उम्मीदवार के रूप में किया. राजनीतिक शून्यता से भरा उनका सफर व्यर्थ नहीं गया.

1980 के अंत से ही ब्राजील की राजनीति पर लेफ्ट की तरफ झुकाव रखने वाली पार्टियों का प्रभाव रहा है. विकल्प के तौर पर दक्षिणपंथी कमजोर थे. इस स्थिति में बोलसोनारो ने खुद को एक ऐसे नेता के तौर पर अपनी छवि बनाई जो मोटा-मोटी लेफ्ट ऑफ सेंटर राजनीतिक माहौल का हो.

‘वास्तविक बदलाव केवल गृह युद्ध से ही आ सकता है’

बोलसोनारो की छवि मुख्य रूप से उनके द्वारा दिए गए बयानों के आधार पर बना है जो कि ज्यादातर राजनीतिक तौर पर गलत होते हैं और अक्सर अपमानजनक होते हैं.

1999 में ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति फर्नान्डो हैनरिक कार्डोसो की आलोचना करते हुए बोलसोनारो ने कहा था कि चुनावों में वोट करके देश को नहीं बदला जा सकता है. वास्तविक बदलाव केवल गृह युद्ध से ही आ सकता है जिसमें 30 हज़ार एफएचसी (फर्नान्डो हैनरिक कार्डोसो) समेत मारे जाएंगे.

उन्होंने 1964-85 के बीच देश में चले सैन्य शासन की सराहना की. सैन्य शासन के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ एक खामी है- लोगों को मारने के बजाए केवल प्रताड़ित किया जाता है.

बोलसोनारो ने प्रताड़ना और जेल को भी सराहा है. 1999 में दिए गए अपने बयान में उन्होंने कहा था, ‘मैं प्रताड़ना के पक्ष में हूं, आप जानते हैं और लोग भी इसके पक्ष में हैं.’

2014 में नेता ने कहा था, ‘ब्राजील के जेल सबसे शानदार हैं…इस जगह पर लोग अपने बुरे कामों का भुगतान करते हैं न कि स्पा की जिंदगी जीते हैं.’

लेकिन ब्राजील के नेता द्वारा दिए गए सबसे विवादित बयान देश के सामाजिक मुद्दों पर हैं. 2003 में उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा था जब उन्होंने एक महिला विधायक पर टिप्पणी की थी कि वो उसका रेप भी नहीं करेंगे क्योंकि वो इस लायक नहीं है.

समलैंगिकता के बारे में बोलते हुए बोलसोनारो ने कहा था वे गे बच्चे को प्यार नहीं कर पाएंगे बल्कि वे उसे दुर्घटना में मरते देखेंगे.


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लेकिन बोलसोनारो द्वारा दिए गए बयान केवल लोगों तक ही सीमित नहीं रहे. 2018 के एक साक्षात्कार में उन्होंने खुलासा किया था कि वह अपने आवास भत्ते को एक कांग्रेसी के रूप में खर्च करता था- जब वह अविवाहित था – ‘लोगों के साथ यौन संबंध’ रखकर.

‘राष्ट्रपति बोलसोनारो अभी भी राजनीतिक तौर पर गलत हैं’

ट्रंप जैसे हीं ये अनुमान लगाया जा रहा था कि राष्ट्रपति बनने के बाद बोलसोनारो परिपक्व होंगे. लेकिन ब्राजील के राष्ट्रपति ने ऐसा कुछ भी नहीं किया.

जनवरी 2019 में काम संभालने के बाद बोलसोनारो ने कई विवादित बयान दिए और कदम उठाए. राष्ट्रपति बनने के ठीक कुछ समय के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर सैक्सूअल फोटो जारी की. बाद में उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो भी पोस्ट की जहां उन्होंने यह दावा किया कि निश्चित लोग और समूह उनकी हत्या करने की कोशिश कर रहे हैं.

बोलसोनारो के राष्ट्रपति कार्यकाल में अमेज़न में लगी आग पर दिया गया बयान सबसे विवादित रहा है.

उनकी सरकार को नीतियां लागू करने (जिससे पर्यावरण समस्या को बढ़ावा मिलेगा और उसे मैनेज़ करना मुश्किल हो जाएगा) अंतरराष्ट्रीय तौर पर भी विरोध का सामना करना पड़ा. वैश्विक आलोचना के बाद बोलसोनारो ने जी-7 देशों से मिलने वाली मदद के ऑफर को मना कर दिया और उनपर आरोप लगाया कि उनकी ‘कॉलोनियल मानसिकता’ है.

ब्राजील से निकलने वाली शत्रुता भरी बयानबाज़ी यही तक सीमित नहीं है. बोलसोनारो सार्वजनिक तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति से भिड़ गए. जब मैक्रां ने बोलसोनारो सरकार की अमेज़न में लगी आग पर कोई कदम न उठाने पर आलोचना की तो ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा कि फ्रांस को ब्राजील के घरेलू मसलों से दूर रहना चाहिए.

बोलसोनारो के सहयोगी ने मैक्रां पर हमला किया- ब्राजील के टूरिज़्म एंबैसडर रैंज़ो ग्रैसी ने तो यहां तक कह दिया था कि वो मैंक्रां का गला घोंट देंगे.


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जब बोलसोनारो के एक समर्थक ने फेसबुक पर एक फोटो साझा की जिसमें मैंक्रां (37) की 66 वर्षीय पत्नी थी. इसपर राष्ट्रपति ने कमेंट किया, ‘उन्हें अपमानित न करें…हा हा. ‘फ्रांस के राष्ट्रपति ने अपने समकालीन को असाधारण घमंडी और अनुचित व्यवहार वाला बताया.

यूरोप के कई देशों ने ये धमकी दी कि अगर बोलसोनारो ठीक रास्ते पर नहीं आते हैं तो वो ब्राजील पर कई आर्थिक बंदिशे लगाएंगे.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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