नई दिल्ली: अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने गुरुवार को भारत को सीएएटीएसए प्रतिबंधों से छूट संबंधी एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है, इसने किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई के बिना रूसी मिसाइलों को खरीदने की अनुमति की दिशा में नई दिल्ली को एक कदम और आगे बढ़ा दिया है.
यह फैसला ऐसे समय आया है जब यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर वाशिंगटन और मास्को के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. प्रस्ताव में सदन की तरफ से छूट की सिफारिश के साथ इस पर किसी अंतिम फैसले के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को अधिकृत किया गया है.
सीएएटीएसए यानी काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट 2017 में पारित किया गया एक अमेरिकी कानून है जिसके तहत वाशिंगटन पर प्रतिकूल असर डालने वाली गतिविधियों और समझौतों को लेकर प्रतिबंधों के जरिये ईरान, उत्तर कोरिया और रूस जैसे ‘अमेरिका विरोधियों’ के खिलाफ दंडात्मक उपाय लागू किए जाते हैं.
भारत के लिए छूट की मांग वाला विधायी संशोधन भारतीय मूल के कांग्रेस सदस्य रो खन्ना ने पेश किया और इसे सदन में आगे बढ़ाया. खन्ना अमेरिकी कांग्रेस में इंडिया कॉकस के उपाध्यक्ष और सशस्त्र सेना मामलों की सदन की समिति के सदस्य हैं.
खन्ना ने कहा कि वाशिंगटन को अमेरिका-भारत के बीच एक ‘मजबूत’ रक्षा साझेदारी को ध्यान में रखते हुए नई दिल्ली को छूट देनी चाहिए.
प्रतिनिधि सभा में संशोधन पारित होने के बाद खन्ना के कार्यालय की तरफ से जारी एक प्रेस नोट में कहा गया, ‘खन्ना संशोधन भारत के साथ अमेरिकी साझेदारी को पुष्ट करेगा और चीन जैसे आक्रामक देशों से मुकाबले की जरूरत को देखते हुए बाइडन प्रशासन से भारत को सीएएटीएसए से छूट देने के अपने अधिकार का उपयोग करने का आग्रह करेगा.’
इसमें आगे कहा गया है, ‘सदन में नेशनल डिफेंस रिऑथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) पर विचार के दौरान एक एन ब्लॉक संशोधन के तौर पर इसे ध्वनिमत से पारित किया गया.’
अगर इस प्रस्ताव के आधार पर वाकई छूट मिल जाती है तो भारत किसी अमेरिकी प्रतिबंध के डर के बिना रूस की एस-400 मिसाइल प्रणाली स्वतंत्र रूप से खरीदने में सक्षम होगा.
राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, संशोधन केवल बाइडन प्रशासन से छूट देने का ‘आग्रह’ करता है. संशोधन का ‘मतलब यह कतई नहीं है’ कि अभी छूट मिल गई है.
सूत्रों ने कहा ऐसा इसलिए, क्योंकि केवल राष्ट्रपति ही सीएएटीएसए के तहत छूट प्रदान कर सकते हैं. ‘छूट के आग्रह वाला संशोधन प्रस्ताव कोई विधेयक नहीं है जिस पर मतदान किया जाए और कानूनी तौर पर मंजूरी दी जाए. सीएएटीएसए में छूट एकदम अलग तरह का मामला है.’
सूत्रों ने कहा, यदि बाइडन प्रशासन भारत को छूट के मामले पर विचार का कोई फैसला करता है तो अमेरिकी सीनेट को इस पर चर्चा करनी होगी और इसे वोटिंग के लिए सदन के समक्ष रखना होगा. एक बार सदन की मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति कानून पर हस्ताक्षर कर पाएंगे, लेकिन इस बीच कई अन्य प्रक्रियात्मक मुद्दों को भी निपटाना होगा.
गौरतलब है क इस साल अप्रैल में भारत-अमेरिका के बीच 2+2 वार्ता के आखिरी दौर में भी इस मामले पर चर्चा हुई थी.
हालांकि, बैठक के बाद बाइडन प्रशासन ने साफ कर दिया था कि अमेरिका ने अभी तक भारत को छूट देने का कोई फैसला नहीं किया है.
‘चीनी आक्रामकता के मद्देनजर भारत के साथ खड़ा हो अमेरिका’
अपने प्रस्ताव के संदर्भ में बात करते हुए खन्ना ने गुरुवार को कहा कि वाशिंगटन को नई दिल्ली को छूट देने की जरूरत है क्योंकि भारत ‘चीन से बढ़ती आक्रामकता’ का सामना कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘भारत-चीन सीमा पर चीन सरकार की तरफ से लगातार सैन्य आक्रामकता के साथ भारत को अपने पड़ोसी देश से तात्कालिक और गंभीर क्षेत्रीय सीमा खतरों का सामना करना पड़ रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘भारत राष्ट्रीय स्तर पर अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस निर्मित हथियारों पर निर्भर है. अमेरिका को भारत की मौजूदा रक्षा जरूरतों का पुरजोर समर्थन करते हुए उसके रूस निर्मित हथियारों और रक्षा प्रणालियों को खरीदने में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने चाहिए.’
उन्होंने कहा कि यद्यपि भारत के लिए रूस-निर्मित हथियार प्रणालियों को हासिल करना एक तत्काल आवश्यकता है, ‘इस ट्रांजिशन पीरियड के दौरान काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट के तहत प्रतिबंधों में छूट अमेरिका और अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी के व्यापक हित में है. यह रूस-चीन के बीच घनिष्ठता को देखते हुए आक्रामक ताकतों पर काबू पाने में बेहद अहम है.’
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: गोटाबाया राजपक्षे से एक बार कहा गया था—‘श्रीलंका को हिटलर की तरह चलाओ’, अब वह खुद फरार हैं