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Thursday, 25 April, 2024
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नेपाल के स्कूलों में चीनी भाषा की पढ़ाई हुई अनिवार्य , मोदी सरकार के पेशानी पर पड़े बल

नेपाल को चीन के इस आश्वासन के साथ कि वह शिक्षकों के वेतन का भुगतान करेगा, कई निजी स्कूलों ने अनिवार्य विषय के रूप में मंदारिन को न केवल शामिल किया है बल्कि पढ़ाई भी जा रही है.

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नई दिल्ली: नेपाल के कई निजी स्कूलों ने छात्रों को चीन की मंदारिन भाषा सीखना अनिवार्य कर दिया है, जिससे हिमालय में बसे इस देश की चीन के प्रति बढ़ते झुकाव ने मोदी सरकार के माथे पर बल ला दिया है.

शनिवार को प्रकाशित हुए एक नेपाली अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, चीन द्वारा यह आश्वासन कि वह शिक्षकों के वेतन का भुगतान करेगा, कई निजी स्कूलों को मंदारिन को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया है.

हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘कम से कम 10 प्रसिद्ध निजी स्कूलों’ ने इस बात की पुष्टि की है कि  मंदारिन उनके संस्थानों में अनिवार्य भाषा थी.

इसने आगे एक शिक्षाविद के हवाले से कहा, ‘पोखरा, धूलिखेल और देश के अन्य हिस्सों में कई और निजी स्कूलों ने भी छात्रों के लिए मंदारिन को अनिवार्य कर दिया है.’

हालांकि, इन स्कूलों ने नेपाली प्रावधान की अनदेखी की है कि वे किसी भी विषय को अनिवार्य नहीं बना सकते.

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स्कूल-स्तरीय शैक्षणिक पाठ्यक्रम डिजाइन करने वाली एक सरकारी संस्था की पाठ्यचर्या विकास केंद्र के एक अधिकारी ने दि हिमालयन टाइम्स को बताया, ‘स्कूलों को विदेशी भाषाओं को पढ़ाने की अनुमति है, लेकिन वे उन विषयों को छात्रों के लिए अनिवार्य नहीं कर सकते हैं.’


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केंद्र के सूचना अधिकारी गणेश प्रसाद भट्टाराई ने कहा, ‘यदि किसी विषय को अनिवार्य किया जाना है, तो यह हम ही हैं जो निर्णय लेते हैं, न कि विद्यालय.’

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निजी और बोर्डिंग स्कूलों का संगठन नेपाल, निजी स्कूलों की एक छतरी संस्था है, कई स्कूलों में अनिवार्य विषय के रूप में मंदारिन के अतिरिक्त होने से अनजान है. संस्था के महासचिव ने द हिमालयन टाइम्स को कहा कि यह अवैध है.

नेपाल का चीन की तरफ झुकाव

पिछले पांच सालों में नेपाल का चीन की तरफ झुकाव बढ़ने से उसकी विकास की गति तेज हो गई है और ये भारत के लिए चिंता का सबब है.

नेपाल में के.पी. शर्मा ओली सरकार ने चीन के नेतृत्व वाली बहु-अरब डॉलर की मेगा बुनियादी ढांचा परियोजना, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा बनने की सहमति देकर भारत को काफी हद तक परेशान किया है.

बीआरआई के एक हिस्से के रूप में, चीन काठमांडू से जाइगेज को जोड़ता हुआ एक ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क का निर्माण कर रहा है.


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चीन और नेपाल ‘कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए बीआरआई के तहत सहयोग पर समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन को तेज करने’ पर सहमत हुए हैं, जिसमें रेलवे परियोजना के ढांचे में बंदरगाहों, सड़कों, रेलवे, विमानन और संचार शामिल हैं.

पिछले हफ्ते दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार के दौरान, भारत में नव नियुक्त नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य ने कहा कि हिमालयी राष्ट्र अपने सभी पड़ोसियों के साथ द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार कर रहा है और चीन के उत्तरी पड़ोसी होने के साथ, वह बीजिंग के साथ अपने संबंधों का विस्तार करना जारी रखेगा.

हालांकि, आचार्य ने कहा कि भारत काठमांडू के लिए सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी है, जिसके साथ वह एक ओपन सीमा साझा करता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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