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Wednesday, 26 June, 2024
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चीनी फंड से बन रहे रेलवे ट्रैक ने कैसे केन्या को कर्ज में डुबोया, अचानक से निर्माण कार्य भी रुका

केन्याई सरकार की ओर से रविवार को सार्वजनिक किए गए कॉन्ट्रेक्ट के कुछ हिस्से, चीन-वित्तपोषित विकास परियोजनाओं, खास तौर पर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के हिस्सों में मौजूद गड़बड़ियों का खुलासा कर रहे हैं.

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नई दिल्ली: केन्याई सरकार ने 2014 में चीन के साथ हस्ताक्षरित एक विवादास्पद रेलवे कॉन्ट्रैक्ट के कुछ हिस्सों को सार्वजनिक किया है. करार में गड़बड़ियों को उजागर करने वाले इन दस्तावेजों को सामने लाकर, नव निर्वाचित राष्ट्रपति विलियम रूटो ने एक तरह से अपने चुनावी वादों को पूरा किया है.

4.7 बिलियन डॉलर की भारी लागत से निर्मित रेलवे लाइन, जिसे स्टैंडर्ड गेज रेलवे के रूप में जाना जाता है, भ्रष्टाचार के घोटालों और आपराधिक आरोपों से घिरी हुई है. इसका बजट अनुमान से लाखों डॉलर ऊपर पहुंच चुका है और उच्च ब्याज दरों के चलते पूर्वी अफ्रीकी देश कर्ज के जाल में बुरी तरह से जकड़ा हुआ दिख रहा है.

केन्या नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के डेटा से पता चलता है कि केन्या पर किसी भी अन्य देश की तुलना में चीन का द्विपक्षीय कर्ज काफी ज्यादा है.

गौरतलब है कि 2020 में केन्या की निचली अदालत ने केन्या और चाइना रोड एंड ब्रिज कॉर्पोरेशन के बीच रेल अनुबंध को गैर-कानूनी घोषित कर दिया था.

स्टैंडर्ड गेज ट्रेन तटीय शहर मोम्बासा से चलते हुए, नैरोबी की राजधानी से होते हुए, पड़ोसी देश युगांडा तक जानी थी. लेकिन ट्रैक पर चल रहे काम को अचानक से रोक दिया गया. यह ट्रैक परिकल्पित अंतिम गंतव्य से लगभग 320 किमी पहले रिफ्ट घाटी में एक ‘खाली क्षेत्र’ में खत्म हो जाता है. दरअसल जब केन्या इसके निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए कर्ज की किस्तों का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहा था, तो बीजिंग ने युगांडा तक ट्रैक का विस्तार करने से अपना हाथ खींच लिया.

केन्या के ट्रांसपोर्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर कैबिनेट सचिव किपचुम्बा मुर्कोमेन की तरफ से रविवार को सार्वजनिक किए गए करार के कुछ हिस्सों से, चीन के साथ डेवलपमेंट फाइनेंस प्रोजेक्ट, खास तौर पर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के उन हिस्सों में मौजूद गड़बड़ियों के बारे में पता चला है.


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चीन को व्यापक अधिकार, उच्च ब्याज दरें

सार्वजनिक किए गए दस्तावेज़, कॉन्ट्रेक्ट में खासतौर पर बीजिंग को दी गई व्यापक शक्तियों को उजागर कर रहे हैं. इसमें चीन को सभी तरह के विवाद में मध्यस्थ को रूप में शामिल करने और ट्रेन से होने वाले राजस्व से कोई भी सामान खरीदने से पहले केन्या को चीन से संपर्क करना जरूरी बनाना शामिल है. इसके अलावा कॉन्ट्रेक्ट में ये भी कहा गया है कि चीन से मंजूरी के बिना सौदे का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.

दस्तावेजों से पता चलता है कि परियोजना के मुख्य फाइनेंसर ‘एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना’ की ब्याज दरें गवर्नमेंट-टू- गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट की सामान्य दरों से कहीं ज्यादा थी.

द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘ समझौते में यह भी तय किया गया था कि अगर केन्या किसी अन्य बाहरी कर्ज को नहीं चुका पाता है, तो रेलवे लोन पर डिफ़ॉल्ट क्लॉज ऑटोमेटिकली लागू हो जाएगा. इसके बाद केन्या को कर्ज चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा और निर्धारित समय में बढ़े हुए सारे ब्याज को तुरंत देना होगा. चीन को इसके लिए दिए जाने वाले और पेमेंट को रोकने का भी अधिकार है.’

प्रकाशित दस्तावेजों से आकलन करते हुए नैरोबी के अर्थशास्त्री टोनी वाटिमा के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चाहे परियोजना खुद से पूरा कर कर्ज का भुगतान करें या फिर डिफॉल्टर बन जाए, फाइनेंसरों को अपने पैसे वापसी की गारंटी है.’

उच्च ब्याज दरें और शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी दुनिया भर में चीन द्वारा विकास के लिए दिए गए फंड का केंद्र बिंदु होती हैं. जैसा पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह में चीन के निवेश की कर्ज देने की नीति में देखा गया है. ये दोनों प्रोजेक्ट अब चीन के हाथों यानी पट्टे पर हैं. क्योंकि मेजबान देश अब कर्ज वापस करने की स्थिति में नहीं हैं.

संसद चाहती है इसका पूरा खुलासा हो

रेलवे लाइन कॉन्ट्रैक्ट पर मूल रूप से पिछले केन्याई राष्ट्रपति उहुरू केन्याटा की सरकार ने हस्ताक्षर किए थे. उस समय हालिया राष्ट्रपति रूटो ने दृढ़ता से इस प्रोजेक्ट का बचाव किया था. लेकिन परियोजना के साथ बढ़ते विवादों ने केन्या के सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग को अपना रुख बदलने के लिए मजबूर कर दिया है.

हालांकि अनुबंध के आंशिक हिस्सों को केन्या की संसद में पेश किया गया है. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक, केन्याई सांसद पूरे अनुबंध को सामने लाने की मांग कर रहे हैं. द ईस्ट अफ्रीकन की रिपोर्ट बताती है कि केन्या की ओर से सौदे में उधार चुकाने में असमर्थ होने पर बदले में दी जाने संपत्ति या प्रतिभूति का विवरण प्रकाशित दस्तावेजों से गायब है.

इस साल की शुरुआत में क्वार्ट्ज ने रिपोर्ट की थी, ‘दो कार्यकर्ताओं द्वारा अदालत की याचिका के जवाब में केन्या ने चीन-निर्मित रेलवे लाइन के लोन कॉन्टैक्ट को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है. सरकार ने यह कहते हुए इंकार किया कि उनके पास नॉन-डिस्क्लोजर क्लॉज का अधिकार है और करार को सार्वजनिक करना द्विपक्षीय समझौता का उल्लंघन होगा. इससे केन्या और चीन के बीच संबंधों पर असर पड़ सकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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