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बुधवार, 25 जून, 2025
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लॉन्च से पहले अंतिम तैयारी पूरी, एक्सिओम-4 मिशन अब उड़ान को तैयार

इस मिशन में खास बात यह है कि, उज़्नान्स्की 1978 के बाद पोलैंड के पहले अंतरिक्ष यात्री होंगे, टिबोर कपू 1980 के बाद हंगरी के पहले अंतरिक्ष यात्री होंगे और शुभांशु शुक्ला ISRO से अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के पहले सरकारी प्रतिनिधि होंगे.

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फ्लोरिडा (अमेरिका): स्पेसएक्स ने कहा है कि एक्सिओम-4 मिशन के चारों अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरने को पूरी तरह तैयार हैं. उनके ड्रैगन कैप्सूल का दरवाजा बंद हो चुका है और सारे सूट और संचार उपकरणों की जांच पूरी हो गई है.

स्पेसएक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “ड्रैगन का हैच (दरवाजा) बंद कर दिया गया है, सारी जांचें पूरी हो चुकी हैं और एक्स-4 मिशन के अंतरिक्ष यात्री लॉन्च के लिए तैयार हैं.”

नासा, स्पेसएक्स और एक्सिओम स्पेस मिलकर इस मिशन को 25 जून को भारतीय समय के मुताबिक दोपहर करीब 2:31 बजे लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं. लॉन्च अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से किया जाएगा.

मिशन के तहत चारों यात्री स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट में बैठकर ड्रैगन नामक नया अंतरिक्ष यान लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक जाएंगे. स्पेस स्टेशन से जुड़ने (डॉकिंग) का समय 26 जून सुबह 7 बजे तय किया गया है.

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका में होंगे. उनके साथ पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की, हंगरी के टिबोर कपू और अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन भी हैं, जो इस मिशन की कमांडर होंगी.

पैगी व्हिटसन वह अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने अब तक सबसे ज्यादा समय अंतरिक्ष में बिताया है.

इस मिशन में खास बात यह है कि, उज़्नान्स्की 1978 के बाद पोलैंड के पहले अंतरिक्ष यात्री होंगे, टिबोर कपू 1980 के बाद हंगरी के पहले अंतरिक्ष यात्री होंगे और शुभांशु शुक्ला ISRO से अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के पहले सरकारी प्रतिनिधि होंगे.

Axiom-4 मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए अंतरिक्ष में एक ऐतिहासिक वापसी जैसा है. तीनों देश करीब 40 साल बाद फिर से अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेज रहे हैं और पहली बार ऐसा होगा कि ये तीनों किसी एक मिशन में मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन तक पहुंचेंगे.

इस मिशन के तहत 31 देशों के वैज्ञानिक शोध किए जाएंगे, जिनमें भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी, सऊदी अरब, ब्राज़ील, नाइजीरिया, यूएई और यूरोपीय देशों से जुड़े करीब 60 वैज्ञानिक प्रयोग शामिल हैं.

स्पेसएक्स और एक्सिओम स्पेस के अनुसार, अब तक के सभी निजी मिशनों में यह सबसे बड़ा और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मिशन होगा. यह मिशन दिखाता है कि कैसे निजी कंपनियां अब वैश्विक अंतरिक्ष कार्यक्रमों में बड़ी भूमिका निभा रही हैं और पृथ्वी की कक्षा तक पहुंच को और आसान बना रही हैं.

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