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Saturday, 23 November, 2024
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यूरोपीय सांसदों का दल कश्मीर का दौरा कर जानेगा ‘सच्चा हाल’

भारत सरकार पाक का झूठ सामने लाना चाहती है. प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का कहना है कि वे स्वयं स्थिति की जांच करेंगे और अपना मत खुद बनायेंगे.

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नई दिल्ली : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ मुलाकात की जो कि एक दिन की यात्रा के लिए कल जम्मू कश्मीर की यात्रा पर जाएंगे. इस दौरान दल ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात की. प्रतिनमंडल के सदस्य प्रशासन के अधिकारियों और राज्यपाल से भी मुलाकात कर सकते है. ईयू का दल मंगलवार को जम्मू कश्मीर का दौरा करने वाला है.

उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल को जम्मू कश्मीर की स्थिति और सीमा पार से पनपने वाले आतंकवाद के बारे में अवगत कराया गया.

प्रतिनिधिमंडल सोमवार की शाम उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात करेगा.

ये पहले विदेशी सांसद होंगे जिन्हें भारत ने अनुच्छेद 370 के ज़रिए कश्मीर के विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद वहां जाने की अनुमति दी है.

भारत का अभी तक कहना था कि सुरक्षा के मद्देनज़र किसी को भी अभी कश्मीर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है, पर अब ये लोग वहां जायेंगे और रात को वहा रुक कर बुधवार को वापस लौंटेंगे.

बता दें कि यहां तक कि भारतीय राजनेताओं को भी कश्मीर जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा था और बंदिशों के दायरे में वहा जाने की अनुमति दी गई थी. और राज्य की मुख्यधारा के लगभग सभी बड़े नेता अब भी नज़रबंद हैं.

मोदी ने यूरोपीय सांसदों से कहा, ‘जो लोग आतंकवाद का समर्थन करते हैं और आतंकवादियों का पोषण करते हैं या ऐसी गतिविधियों और संगठनों का समर्थन करते हैं, या आतंकवाद को राज्य की नीति के तौर पर अपनाते हैं उनके खिलाफ तुरंत कदम उठाएं जाने चाहिए. आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति होनी चाहिए.’

मोदी ने यूरोपीय संघ के भारत से रिश्तों की अहमियत पर जोर दिया और कहा कि आज के कठिन दौर में ये रिश्ता और भी अहम हो जाता है. यूरोपीय यूनियन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और देश में सीधे विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत्र भी.

मोदी का कहना था कि उनकी सरकार की प्राथमिकता है कि दोनों पक्षों के बीच एक समतापूर्ण द्विपक्षीय व्यापार और निवेश (बीटीआईए) उनकी सरकार की प्राथमिकता है.

कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल का कहना था कि अगर यूरोपीय डेलिगेशन पाकिस्तान के कश्मीर के काले कारनामों को दिखाता तो इसका स्वागत है. अगर दुनिया के सामने कश्मीर की सही तस्वीर पहुंचती है तो अच्छी बात है पर आखिर क्यों भारतीय नेताओं को वहां नहीं जाने नहीं दिया जा रहा.

सीपीआई के अतुल कुमार अंजान का आरोप था कि क्यों सरकार अपने देश के नेताओं को कश्मीर नहीं जाने दे रही जब वो ईयू के 28 सांसदों को वहा जाने की अनुमति दे रही है. उनका आरोप था कि सरकार स्वयं कश्मीर को, जो कि देश का आंतरिक मामला है, अंतर्राष्ट्रीयकरण कर रही है.

वहीं सुब्रह्मणयम स्वामी ने सरकार की इस फैसले के लिए कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए ट्वीट किया- मुझे आश्चर्य है कि एमईए ने यूरोपीय संघ के सांसदों के लिए, उनकी निजी क्षमता (यूरोपीय संघ के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं) पर, कश्मीर क्षेत्र का दौरा करने की व्यवस्था की है. यह हमारी राष्ट्रीय नीति की विकृति है. मैं सरकार से इस यात्रा को रद्द करने का आग्रह करता हूं क्योंकि यह अनैतिक है.

आपको याद होगा कि 31 अक्टूबर को जम्मू व कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन जायेंगे. उसके ठीक पहले ये यात्रा हो रही है.

सरकार चाहती है कि उसके कश्मीर पर उठाए कदम का सही आंकलन हो क्योंकि पाकिस्तान हर अंतर्राष्ट्रिय पटल पर ये मामला उठाता रहा है और विदेशी मीडिया में भी मोदी सरकार द्वारा कश्मीर में बंदिशों के खिलाफ सवाल उठते रहे हैं. भारत सरकार द्वारा कश्मीर की जनता के मानवाधिकार अधिकारों के हनन के आरोप लगते रहे हैं. अब इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का कहना है कि वे स्वयं स्थिति की जांच करेंगे और अपना मत खुद बनायेंगे.

युरोपीय पार्लियामेंट के एक सदस्य बीएन डन ने कहा, ‘हां हम जम्मू कश्मीर कल जा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने हमें अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बारे में बताया है. पर मैं खुद ज़मीन पर जा कर स्थिति की सच्चाई खुद देखना चाहता हूं और स्थानीय लोगों से बात करना चाहता हूं. हम सब चाहते हैं कि स्थिति सामान्य हो और सबके लिए शांति हो ‘

 

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