वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से एकबार फिर से मदद की गुहार लगाई है. राष्ट्रपति ने भारत से मलेरिया की दवा जो कोरोनावायरस के इलाज में कारगर साबित हो रही है उसकी आपूर्ति करने को कहा है जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हामी भर दी है. मीडिया से बातचीत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी प्रधानमंत्री मोदी से रविवार सुबह इस मुद्दे पर बात हुई थी.
‘अगर वे दवा की आपूर्ति की अनुमति देंगे तो हम उनके इस कदम की सराहना करेंगे. अगर वे सहयोग नहीं करेंगे तो इसके बुरे परिणाम हो सकते हैं और होने भी चाहिए.’
राष्ट्रपति ने मीडिया से बातचीत में बताया कि अभी तक अमेरिका में करीब 1.79 मिलियन टेस्ट किए हैं, जिसकी वजह से हमारे यहां मरीजों की संख्या विश्व में बड़ी संख्या में देखी जा रही है क्योंकि हमने टेस्ट भी बड़ी संख्या में किए हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि किसी ने भी इतनी बड़ी संख्या में टेस्ट नहीं किए हैं, हमारे नंबर अधिक हैं क्योंकि हमने टेस्ट बहुत किए हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि हमने 3एम से सहायता मांगी है और हर महीने 55 मिलियन एन95 मास्क अमेरिका पहुंचेगा.
बता दें कि इटली और स्पेन के बाद अमेरिका में इस वायरस की चपेट में आने की वजह से तीन लाख से अधिक मामले सामने आए हैं जबकि 10,000 से अधिक अमेरिकी लोगों की जानें गई हैं. अमेरिका भी कोरोनावायरस से बुरी तरह से प्रभावित देश के तौर पर उभरा है. इस वायरस का अब तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है.
I spoke to him (PM Modi), Sunday morning & I said we appreciate it that you are allowing our supply (of Hydroxychloroquine) to come out, if he doesn't allow it to come out, that would be okay, but of course, there may be retaliation, why wouldn't there be?: US Pres Donald Trump pic.twitter.com/kntAqATp4J
— ANI (@ANI) April 6, 2020
अब अमेरिका और दुनिया के वैज्ञानिक दिन रात एक करके इस वायरस के खिलाफ कोई टीका और इलाज ढूंढने में लगे हुए हैं ताकि लोगों की जान बचाई जा सके. इस महामारी के कारण दुनिया में अब तक 70,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 11 लाख 53 हजार 142 संक्रमित हैं.
बता दें कि कुछ शुरुआती परिणामों के आधार पर ट्रंप प्रशासन भी कोरोनावायरस के इलाज के लिए हाइड्रोक्लोरोक्वीन के उपयोग पर जोर दे रहा है.
विरोध के बाद भी हाइड्रोक्लोरोक्वीन दवा पर है जोर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन के सदस्य मलेरिया रोधी दवा को बढ़ावा दे रहे हैं जबकि कोविड-19 से निपटने के लिये इसे आधिकारिक रूप से मंजूरी नहीं मिली है, यद्यपि वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के खिलाफ प्रभावी और सुरक्षित साबित करने के लिये इसका अभी और परीक्षण किये जाने की जरूरत है.
ट्रंप के कारोबार सलाहकार पीटर नवारो ने सोमवार को एक टीवी साक्षात्कार में इस दवा, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, के इस्तेमाल की वकालत की. इससे एक दिन पहले ट्रंप भी सार्वजनिक रूप से इस दवा को लेकर अपना भरोसा व्यक्त कर चुके हैं.
ट्रंप ने रविवार को संवाददाताओं से कहा था, “मैं क्या जानता हूं, मैं चिकित्सक नहीं हूं. लेकिन मेरे पास आम समझ है.” व्हाइट हाउस के कोरोना वायरस कार्यबल के ‘स्थिति कक्ष’ में बैठक के दौरान शनिवार को इस दवा को लेकर हुई तीखी बहस के बाद प्रशासन की तरफ से इस दवा की पुरजोर वकालत की जा रही है. माना जा रहा है कि इस बैठक में नवारो ने अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फाउसी द्वारा दवा की अनुशंसा सिर्फ अवैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित होने की दलील को चुनौती दी थी.
स्थिति कक्ष में हुई चर्चा के बारे में जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि कोई औपचारिक चिकित्सीय प्रशिक्षण हासिल नहीं करने वाला नवारो ने फाउसी को टोकते हुए ऊंची आवाज में दावा किया कि उनके द्वारा एकत्र की गई अध्ययनों की रिपोर्ट व्यापक रूप से इस दवा की अनुशंसा करने के लिये पर्याप्त हैं.
फाउसी का कहना है कि मौजूदा अध्ययन शोधपरक या तथ्यात्मक निष्कर्ष के बजाए व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित है कि यह दवा काम करती है.
डॉक्टरों द्वारा कोविड-19 के मरीजों को मलेरिया की दवा की अनुशंसा की जा रही है, हालांकि ऐसा ‘ऑफ-लेबल’ (अलिखित तौर पर) किया जा रहा.
Lockdown hatani chahiye .jahan h wahan sirf lockdown rahe or jahan nahi h wahan lockdown nahi rahna chahiye.chote chote gaon se lockdown hatani chahiye.