काबुल (अफगानिस्तान): तालिबान ने बुधवार को पेशावर मस्जिद विस्फोट के लिए अफगानिस्तान को जिम्मेदार ठहराने पर पाकिस्तान सरकार की आलोचना की.
तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर मुत्ताकी ने पाकिस्तान से कहा कि वह आतंकी नरसंहार के लिए पड़ोसी अफगानिस्तान को दोष देने के बजाय पेशावर हमले की जांच करे. तालिबान ने कहा, ‘अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को दोष मत दो.’ 30 जनवरी को पेशावर पुलिस लाइन्स इलाके में एक मस्जिद में आत्मघाती बम विस्फोट में कम से कम 101 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पुलिस अधिकारी थे.
मुत्तकी ने पाकिस्तान से काबुल को दोष देने के बजाय पेशावर हमले की जांच करने का आह्वान किया और कहा कि अफगानिस्तान आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘अगर अफगानिस्तान आतंकवाद का केंद्र होता तो यह चीन, मध्य एशिया और ईरान में जाता.’
मुत्तकी ने राजधानी काबुल में एक सभा में कहा पाकिस्तानी अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर अपनी सुरक्षा चुनौतियों का समाधान खोजना चाहिए और दोनों देशों के बीच ‘दुश्मनी के बीज बोने’ से बचना चाहिए.
वॉइस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारियों ने तुरंत ही गैरकानूनी पाकिस्तानी तालिबान, जिसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) भी कहा जाता है, को एक आत्मघाती बम हमले के लिए दोषी ठहराया और अफगानिस्तान को इस हिंसा की वजह बताया.
मुत्तकी ने विस्फोट के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान के मद्देनजर पाकिस्तान में आलोचकों द्वारा उठाए जा रहे संदेह और सवालों के मद्देनजर कहा, ‘हमारा क्षेत्र में युद्ध और बम विस्फोट होते रहे हैं. लेकिन हमने पिछले 20 वर्षों में ऐसा नहीं देखा है कि आत्मघाती हमलावर ने मस्जिदों की छतों को उड़ा दिया और सैकड़ों लोग मारे गए.’
वीओए की रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका ने टीटीपी को एक वैश्विक आतंकवादी समूह घोषित किया है, यह लंबे समय से पाकिस्तान में घातक आतंकवादी हमले कर रहा है और कथित तौर पर इसे नेतृत्व अफगान पनाहगाहों मिल रहा है, लेकिन पाकिस्तानी तालिबान ने औपचारिक रूप से पेशावर मस्जिद बमबारी में शामिल होने से इनकार किया है.
प्रांतीय पुलिस प्रमुख मोअज्जम जाह अंसारी ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि एक आत्मघाती हमलावर मस्जिद में गेस्ट तौर पर घुसा था, जिसने 12 किलोग्राम तक विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल किया.
पाकिस्तान में हाल के आतंकवादी हमलों में इजाफा, जिसकी ज्यादातर जिम्मेदारी टीटीपी ने ली है, जिसने दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बना दिये हैं.
पाकिस्तान आतंकवाद के फिर से उभार से निपटने के लिए अपने विकल्पों पर विचार कर रहा है कि कैसे यह सुनिश्चित किया जाए कि अफगान की अंतरिम सरकार अपने वादों को पूरा करे.
पाकिस्तान प्रतिबंधित टीटीपी द्वारा बढ़ते खतरे से निपटने में अफगान तालिबान से सहयोग की कमी से निराश है.
इस बीच, खैबर पख्तूनख्वा में हताश पुलिस उस हालात में आ गई है कि जहां वह अपने अधिकारों के लिए विरोध कर रही है.
मोहसिन डावर, सदस्य नेशनल असेंबली, NA-48, उत्तरी वजीरिस्तान ने ट्वीट किया, ‘यह राज्य में विश्वास में पूरी तरह कमी का एक उदाहरण है. वे एस्टेब्लिशमेंट के दोहरे खेल में बेवजह मर रहे हैं, और इसे खत्म करने वाला कोई नहीं है.’
एक असामान्य विरोध में खैबर पख्तूनख्वा पुलिस ने पेशावर प्रेस क्लब के सामने नारे लगाए, ‘हम सभी अज्ञात लोगों को जानते हैं.’
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में पुलिस अधिकारियों का समूह को बढ़ते आतंकवाद के खिलाफ नारे लगाते हुए दिख रहा है.
इतिहास में यह पहली बार है कि सूबे की पुलिस ने आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया है.
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