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Friday, 7 November, 2025
होमविदेशमॉस्को के भारत से भर्ती रोकने के वादे के बावजूद '44 भारतीय' अब भी रूस की सेना सेवा दे रहे हैं

मॉस्को के भारत से भर्ती रोकने के वादे के बावजूद ’44 भारतीय’ अब भी रूस की सेना सेवा दे रहे हैं

राजदूत डेनिस अलीपोव ने पिछले सप्ताह कहा था कि मास्को ने मार्च 2025 से सशस्त्र बलों में भारतीयों की भर्ती बंद कर दी है. हालांकि, 27 भारतीय परिवारों का दावा है कि उनके परिजनों को धोखा दिया गया और हाल ही में भर्ती किया गया.

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नई दिल्ली: भारत ने कम से कम 44 ऐसे नागरिकों की पहचान की है, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जो हाल ही में गए थे और जो अब भी रूस की सेना का हिस्सा बने हुए हैं, जबकि मॉस्को ने वादा किया था कि वह अब और भारतीयों की भर्ती नहीं करेगा और जो भारतीय वहां हैं उन्हें वापस भेजेगा. यह जानकारी दिप्रिंट को मिली है.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले, ऐसे कई नागरिकों के परिवारों ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शन किया. उनका आरोप है कि उनके परिजनों को एजेंटों ने धोखा देकर रूस ले जाया गया और वहां नियमित नौकरी के नाम पर उन्हें रूसी सेना में शामिल कर दिया गया.

सरकारी सूत्रों ने पुष्टि की कि कम से कम 44 व्यक्तियों की पहचान नई दिल्ली ने कर ली है, जो अब भी रूसी सशस्त्र बलों में मौजूद हैं. रूस के भारत में राजदूत डेनिस आलिपोव ने पिछले हफ्ते दिप्रिंट को बताया था कि मार्च 2025 से भारतीयों की भर्ती नहीं की गई है.

हालांकि, 27 परिवारों ने सोमवार को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि उनके परिजनों को हाल ही में “गलत वादों” के आधार पर रूसी सेना के अनुबंधों पर साइन करने के लिए मजबूर किया गया. उन्होंने भारत सरकार से उनके परिजनों की वापसी सुनिश्चित करने की अपील की.

इनमें से एक परिवार, हरियाणा के हिसार जिले के 29 वर्षीय अमन का था. वे इसलिए ज़्यादा सदमे में थे क्योंकि उसी गांव के एक युवक, सोनू, की युद्ध में मौत हो चुकी है.

“मेरे भाई को रूस से ज़िंदा वापस लाओ, तिरंगे में लिपटा हुआ नहीं,” अमन के भाई आशीष ने प्रदर्शन में कहा.

दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, सोनू को कथित तौर पर अगस्त 2025 में रूसी सेना में शामिल होने के लिए बहलाया गया था, जबकि मॉस्को द्वारा भर्ती बंद करने की बात कही जा चुकी थी. वह वहां भाषा कोर्स करने गया था, लेकिन एक अच्छी नौकरी का वादा किया गया. बाद में उसे मोर्चे पर भेज दिया गया और 6 सितंबर को यूक्रेनी ड्रोन हमले में उसकी मौत हो गई.

परिजनों ने 23 अक्टूबर को विदेश मंत्री एस. जयशंकर को लिखे एक पत्र में विदेश मंत्रालय को औपचारिक रूप से इसकी सूचना दी. इसमें हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और पंजाब के कम से कम 16 युवाओं का विवरण था, जो छात्र वीजा पर रूस गए थे और वहां सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किए गए.

यह स्पष्ट नहीं है कि मंत्रालय द्वारा सत्यापित 44 व्यक्तियों की सूची में पिछले महीने परिवारों द्वारा भेजे गए नाम शामिल हैं या नहीं.

“रूस पहुंचने के बाद, कुछ एजेंटों ने इन्हें धोखे से ले जाकर युद्ध प्रशिक्षण और तैनाती के लिए मजबूर कर दिया. परिवारों का उनसे सीधा संपर्क टूट गया है और उनकी सुरक्षा को लेकर डर बढ़ता जा रहा है,” पत्र में लिखा है.

“अगर भारत सरकार तुरंत हस्तक्षेप कर इन 16 युवाओं को वापस ला दे तो हम आभारी रहेंगे,” पत्र में कहा गया है.

रूसी सेना में भारतीय

2023 के अंत से अब तक 100 से अधिक भारतीय रूसी सेना में शामिल हुए हैं. रूस में विदेशी नागरिकों का सेना में शामिल होना कानूनी है. वहां के नियम विदेशियों को सेना की विभिन्न इकाइयों में शामिल होने की अनुमति देते हैं.

भारत ने इस मुद्दे को रूस सरकार के साथ कई उच्च स्तर की बैठकों में उठाया है. जुलाई 2024 में, मॉस्को में वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह मुद्दा पुतिन के सामने रखा था.

पुतिन अगले महीने भारत आने वाले हैं.

राजदूत आलिपोव ने कहा कि रूस खासतौर पर भारतीयों की भर्ती नहीं करता और “अगर कोई विदेशी भर्ती केंद्र में आता है और अपनी मर्जी से अनुबंध पर हस्ताक्षर करता है… तो कोई उसे मजबूर नहीं करता.”

इसके अलावा कई भारतीयों ने अब रूसी नागरिकता भी ले ली है. ऐसे भारतीय मूल के रूसी नागरिकों की स्थिति पर दोनों देश समाधान खोज रहे हैं, आलिपोव ने कहा.

लेकिन सोमवार को प्रदर्शन कर रहे परिवारों का कहना है कि पुरुषों को ऐसे अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने पर मजबूर किया गया जिन्हें वे समझ भी नहीं पाए. इसके अलावा, मोर्चे पर उचित भोजन नहीं मिल रहा और चोट लगने के बाद भी लड़ने को मजबूर किया जा रहा है.

“मेरे भाई के पैर में गोली लगी है. उसे सिर्फ प्राथमिक उपचार मिला और फिर दोबारा युद्ध में भेज दिया गया,” हरियाणा के अनूप कुमार के चचेरे भाई संदीप ने कहा, जिन्हें तीन महीने पहले रूसी सेना में भर्ती किया गया था.

एक अन्य भारतीय, जो हाल ही में रूसी सेना में शामिल हुआ था, ने पिछले महीने यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.

भारत ने मजोटी साहिल मोहम्मद हुसैन के लिए कांसुलर ऐक्सेस की मांग की है. उसने यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण करते समय खुद को भारतीय बताया था. उसका मामला इसलिए और जटिल है क्योंकि उसका दावा है कि रूस में अपनी जेल की सजा घटाने के लिए उसने सेना में भर्ती ली. यह दावा उसने यूक्रेनी सेना द्वारा जारी एक वीडियो में किया था.

चूंकि उसे रूसी सेना से जुड़े युद्धबंदी के रूप में देखा जा रहा है, इसलिए उसका भारत लौटना तभी संभव है जब मॉस्को उसके बदले में कीव से आदान-प्रदान का अनुरोध करे.

भारत के मॉस्को स्थित दूतावास ने उसकी नागरिकता की पुष्टि कर दी है और कीव स्थित दूतावास ने कांसुलर ऐक्सेस की मांग की है. उसकी वापसी इस बात पर निर्भर है कि रूस कब यूक्रेन से युद्धबंदियों के आदान-प्रदान का अनुरोध करता है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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