scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमविदेशदक्षिण अफ्रीका में नस्लीय समानता के लिए संघर्ष करने वाले डेसमंड टूटू का निधन

दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय समानता के लिए संघर्ष करने वाले डेसमंड टूटू का निधन

रंगभेद के कट्टर विरोधी, काले लोगों के दमन वाले दक्षिण अफ्रीका के क्रूर शासन के खात्मे के लिए टूटू ने अहिंसक रूप से अथक प्रयास किए.

Text Size:

नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय न्याय और एलजीबीटी अधिकारों के संघर्ष के लिए नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले सक्रिय कार्यकर्ता एवं केप टाउन के सेवानिवृत्त एंग्लिकन आर्चबिशप डेसमंड टूटू का निधन हो गया है. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने रविवार को यह जानकारी दी. टूटू 90 वर्ष के थे.

रंगभेद के कट्टर विरोधी, काले लोगों के दमन वाले दक्षिण अफ्रीका के क्रूर शासन के खात्मे के लिए टूटू ने अहिंसक रूप से अथक प्रयास किए.

उत्साही और मुखर पादरी ने जोहानिसबर्ग के पहले काले बिशप और बाद में केप टाउन के आर्चबिशप के रूप में अपने उपदेश-मंच का इस्तेमाल किया और साथ ही घर तथा विश्व स्तर पर नस्ली असमानता के खिलाफ जनता की राय को मजबूत करने के लिए लगातार सार्वजनिक प्रदर्शन किया.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘आर्कबिशप एमेरिटस डेसमंड टूटू विश्व स्तर पर अनगिनत लोगों के लिए एक मार्गदर्शक थे. मानवीय गरिमा और समानता पर उनका जोर हमेशा याद किया जाएगा. मैं उनके निधन से बहुत दुखी हूं और उनके सभी प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.’

नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने टूटू के निधन पर कहा, ‘मेरे प्यारे भाई और एक सच्चे नायक, आर्कबिशप डेसमंड टूटू के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ. मुझे आपकी स्नेही मुस्कान, गर्मजोशी और प्रेरक बातचीत हमेशा याद आएगी.’


यह भी पढ़ें: दत्ता पीठ-बाबाबुदानगिरी: कर्नाटक में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक धर्मस्थल कैसे ‘दक्षिण की अयोध्या’ बन गया


 

share & View comments