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Friday, 15 November, 2024
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चीन की जीरो-कोविड नीति के बीच कैसे बनी पूर्वी एशिया में मानव उत्पत्ति पर केंद्रित फांसीसी-चीनी फिल्म

चीन के सरकारी स्वामित्व वाले चाइना मीडिया ग्रुप और फ्रांसीसी कंपनी 10.7 प्रोडक्शन की तरफ से बनाई गई डॉक्यू-फिक्शन फिल्म पेकिंग मैन—द लास्ट सीक्रेट ऑफ मैनकाइंड अगले साल रिलीज होगी.

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नई दिल्ली: जब हम पेकिंग मैन यानी सीधे तौर पर आधुनिक चीनी मानव के पूर्वज माने जाने वाले विलुप्त ह्यूमन प्राइमेट पर किसी फिल्म के बारे में सोचते हैं तो 1977 की एडवेंचर और हॉरर फिल्म द माइटी पेकिंग मैन की छवि ही दिमाग में उभरती है, जिसमें प्राइमेट को एक विशाल हिमालयी जानवर के रूप में चित्रित किया गया है. इस फिल्म में किंग कांग (1976) की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश करते हुए पेकिंग मैन का एक कैरिकेचर पेश किया गया था.

अब, सीधे बात करते हैं वर्ष 2022 और एक नई डॉक्यू-फिक्शन फिल्म पेकिंग मैन: द लास्ट सीक्रेट ऑफ मैनकाइंड की जो पूर्वी एशिया में मानव उत्पत्ति की कहानी दर्शाती है, यह खासकर पेकिंग मैन, युआनमौ मैन और लांटियन मैन जैसे छह आदिम जातीय समूहों के विकास पर केंद्रित है.

चीन सरकार के स्वामित्व वाले चाइना मीडिया ग्रुप (सीएमजी) और फ्रांसीसी कंपनी, 10.7 प्रोडक्शन की तरफ से बनाई गई यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म फ्रांसीसी निर्देशक जैक्स मालाटेरे की 2003 की बेहद सफल फिल्म ए स्पीशीज ओडिसी की ही अगली कड़ी बनाने का एक प्रयास है, जिसमें पहले इंसान के जन्म के बारे में दर्शाया गया है.

मालाटेरे ने दिप्रिंट को बताया, ‘प्रागैतिहासिककालीन मानवों पर साल 2000 से पहले बनाई गई सभी फिल्में अक्सर कैरिकेचरल होती हैं क्योंकि उस समय तक उनके बारे में हमारे पास जो ज्ञान था, वह उनकी झबरे बालों वाली, नासमझी भरी और एकदम आदिम प्राणि वाली छवि दर्शाता था. और आज भी इन फिल्मों को देखकर लोग इन पर हंसते ही हैं.’ साथ ही जोड़ा कि अपने नए प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने तमाम वैज्ञानिकों और जीवाश्म विज्ञानियों के साथ परामर्श किया था.

मालाटेरे ने फिल्म की स्क्रिप्ट प्रसिद्ध फ्रांसीसी मानवविज्ञानी यवेस कोपेन्स के साथ मिलकर लिखी थी. कोपेन्न की इस वर्ष की शुरुआत में मृत्यु हो गई थी. उन्होंने अपनी फिल्म के लिए फ्रांसीसी जीवाश्म विज्ञानी एंटोनी बल्ज़्यू से परामर्श लिया और साथ ही चीन में बीजिंग स्थित चाइनीज एडेकमीफ साइंसेज में प्रोफेसर गाओ जिंग और उनकी टीम के साथ मिलकर काम किया.

करीब 6 मिलियन डॉलर से निर्मित इस फिल्म के कुछ अंश 21 दिसंबर को चीन के हैनान प्रांत में हैनान आइसलैंड इंटरनेशनल फिल्म महोत्सव के दौरान दिखाए गए. यह फिल्म अगली गर्मियों में चीन में सीसीटीवी9 पर और 2023 की दूसरी छमाही में फ्रांस में फ्रांस-2 पर प्रसारित होगी.

फिल्म ऐसे समय आ रही है जब हाल ही में चीन के युनयांग काउंटी में एक प्राचीन खोपड़ी की खोज हुई है, जिसे विलुप्त हो चुके होमो इरेक्टस प्रजाति का माना जा रहा है.

चीन की जीरो कोविड नीति

जून 2020 में फ्रांस के संस्कृति मंत्री फ्रेंक रिस्टर और चाइना मीडिया ग्रुप के अध्यक्ष शेन हैक्सिओनग ने घोषणा की थी कि अपने पूर्वज पेकिंग मैन पर एक पुरातात्विक डॉक्यूमेंट्र बनाने की दिशा में काम करेंगे.

शेन ने उस समय कहा था, ‘चीन और फ्रांस को मानव संस्कृति की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए परस्पर आदान-प्रदान और सहयोग को प्रगाढ़ करना चाहिए, और मौजूदा महामारी का सामना करने वाली मानव सभ्यता की आध्यात्मिक जड़ों को तलाशना चाहिए.’

फिल्म निर्माता विक्टर रॉबर्ट के अनुसार, यह कोई अंतर-सरकारी प्रोजेक्ट नहीं है, हालांकि दोनों देशों की सरकारें इसमें काफी करीबी से जुड़ी हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या कोविड-19 ने इस फिल्म के निर्माण को प्रभावित किया, रॉबर्ट ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं आपसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहता. वास्तव में इस प्रोजेक्ट को शुरू करना और इसके लिए पैसों का इंतजाम करना बहुत ही मुश्किल काम था. निर्देशक जैक्स मालाटेरे को लगभग 20 लोगों के साथ चीन जाना था. वह आखिरकार नवंबर 2021 में अकेले ही विमान में चढ़े और मुझे नहीं लग रहा था कि वह फिल्म बनाने में सफल होकर लौटेंगे.’

इसका फिल्मांकन फरवरी में 40 दिनों की अवधि के लिए शुरू हुआ, जब तक कि शंघाई जैसे प्रमुख चीनी शहरों में कोविड-19 लॉकडाउन फिर से लागू नहीं हो गया.

रॉबर्ट ने बताया, ‘चीन में हमारे प्रोड्यूसर नताचा डी विलर्स ने जैक्स के साथ मिलकर जो काम किया, वो वाकई में किसी चमत्कार से कम नहीं है. हमने चीनी नववर्ष और देश में फिर से पाबंदियां लागू होने के बीच करीब 40 दिनों तक शूटिंग की. यह सब पता नहीं कैसे संभव हो पाया. हमारे लिए यह एक चमत्कार ही है, जिसके पहले हमने करीब तीन साल तक तैयारियां की थीं और हर रात एकदम बेचैनी से काटी थी.’

मालाटेरे के मुताबिक, फिल्मांकन के दौरान 200 लोगों की टीम 1,800 से अधिक कोविड-19 टेस्ट से गुजरी.

फिल्म को चीन के कई स्थानों पर शूट किया गया है, सुदूर उत्तर में मंगोलिया के पास बर्फीले मैदानों से लेकर हैनान द्वीप पर दक्षिणी चीन के उष्णकटिबंधीय जंगलों तक.

3डी वाले प्रागैतिहासिककालीन जानवर, और जंगलों के बीच शूटिंग

वैज्ञानिक तौर पर सटीक मानी जाने वाली एक काल्पनिक प्रागैतिहासिककालीन सेटिंग तैयार करने के लिए मालाटेरे ने 3 मीटर लंबे वानर और तेजधार-दांत वाले बाघ जैसे 3-डी जानवरों को बनाने के लिए ग्राफिक डिजाइनरों और स्पेशल इफेक्ट विशेषज्ञों के साथ पूरे एक साल तक काम किया था.

फिल्म की शूटिंग भी देशभर में कई जगहों पर की गई. साउंड डिजाइन, कास्ट्यूम, रंगमंच की सामग्री और खासकर प्रागैतिहासिक चेहरे बनाने के लिए मेकअप का इस्तेमाल करना एक बड़ी चुनौती थी.

मालाटेरे ने बताया, ‘शूटिंग से पहले हर कलाकार को खुद को आज के इंसान से प्रागैतिहासिककालीन मानव की शक्ल में ढालने में चार घंटे से अधिक का समय लगता और फिल्म के दृश्य शूट करने के बाद मेकअप उतारने में डेढ़ घंटे से अधिक समय लगता.’

उन्होंने कहा, ‘इन सभी बातों के अलावा जंगलों में शूट में किए दृश्य भी किसी वास्तविक चुनौती से कम नहीं साबित हुए.’

फिल्म के लिए 1,200 से अधिक चीनी कलाकारों ने ऑडिशन दिया, जिनमें करीब सौ का चयन किया गया. चुनिंदा कलाकारों ने शूटिंग से पहले ढाई महीने तक रिहर्सल की.

यह पूछे जाने पर कि दर्शकों को यह फिल्म कैसी लगेगी, मालाटेरे ने कहा, ‘हमारे पूर्वजों का इतिहास दर्शाने वाले काल्पनिक वृत्तचित्र दुनियाभर के विभिन्न दर्शकों के बीच और खासकर परिवारों के साथ देखने के लिहाज से बहुत लोकप्रिय होते हैं. दरअसल, चीन की प्री-हिस्ट्री भी यूरोपीय प्री-हिस्ट्री, अफ्रीकी प्री-हिस्ट्री आदि के साथ बहुत-सी समानताओं वाली है जो महज कुछ हजार सालों के अंतर के साथ एक ही कहानी बताती है.

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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