नई दिल्ली: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि पिछले साल छात्र विद्रोह के बाद पिछली सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद देश में अगले चुनाव 2025 के अंत या 2026 के मध्य में होने की संभावना है. गुरुवार को दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम पर बोलते हुए यूनुस ने इस बात पर जोर दिया कि यह समयसीमा देश की सुधार प्रक्रिया पर निर्भर करती है.
उन्होंने बताया, “इस साल के अंत तक हम एक संक्षिप्त सुधार एजेंडा को अंतिम रूप दे देंगे. अगर लोग सुधारों के बड़े लेवल पर फैसला लेते हैं, तो चुनाव 2026 के मध्य तक टाले जा सकते हैं.”
ये बदलाव संविधान से लेकर न्यायपालिका तक देश की संस्थाओं को नया स्वरूप देने के लिए स्थापित 15 सुधार आयोगों की मदद से किए जाएंगे. यूनुस ने देश की चुनाव प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया, जो उनके अनुसरा, पिछले 16 साल से भ्रष्टाचार और धांधली वाले नतीजों से ग्रस्त रही है.
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के तहत, वास्तविक मतदान के बिना ही चुनाव कराए गए, जिससे लाखों युवा मताधिकार से वंचित रह गए. उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में स्वच्छ और निष्पक्ष मतदान होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रत्येक नागरिक बिना किसी डर या धोखाधड़ी के अपना वोट डाल सके. “हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से मतदान करने का मौका मिले. यह पीढ़ी हमारा भविष्य है और आगे क्या होता है, इसमें उनकी भूमिका होनी चाहिए.”
यूनुस 2024 में बांग्लादेश विद्रोह के दौरान पेरिस में थे, उन्होंने स्पष्ट किया कि हालांकि, वे सीधे तौर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए, लेकिन युवाओं द्वारा दिखाई गई सहज एकता से वे बहुत प्रभावित हुए. छात्रों के साथ सड़कों पर शुरू हुआ यह आंदोलन तेज़ी से गति पकड़ता गया और आखिरकार शेख हसीना की सरकार के पतन का कारण बना.
यूनुस ने कहा, “कोई केंद्रीय योजना नहीं थी, कोई नेता नहीं था. यह वर्षों के उत्पीड़न के लिए एक सहज प्रतिक्रिया थी और इसने सरकार को अंदर तक हिला दिया.”
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश के लोग पुराने बांग्लादेश में वापस नहीं जाना चाहते. हम एक नया बांग्लादेश बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं — जो वास्तव में लोकतांत्रिक और समावेशी हो.”
उन्होंने कहा कि उनका प्राथमिक काम व्यवस्था को बहाल करना और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना था, जिसे हसीना के शासन में “लूटा” गया था. सरकार द्वारा कमीशन किए गए श्वेत पत्र की रिपोर्टों के अनुसार, देश से अनुमानित 17 बिलियन डॉलर की लूट हुई, जिसमें “चुकाने योग्य” होने की आड़ में कर्ज़ दिए गए, लेकिन वापस करने का कोई इरादा नहीं था.
यूनुस ने कहा, “जिस तरह से उन्होंने यह किया वह सड़क पर लूट थी. हसीना के शासन में शासन ने न्यायपालिका को दमन के साधन में बदल दिया था, जिसमें हज़ारों लोगों को सरकार का विरोध करने के लिए जेल में डाल दिया गया था या गायब होने के लिए मजबूर किया गया. उन्होंने स्थिति को “आत्म-विनाशकारी सभ्यता” करार दिया, जहां भ्रष्टाचार और दमन ने अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था.”
उन्होंने सुधार प्रक्रिया को एक बड़ी चुनौती और देश के लिए नए सिरे से शुरुआत करने का मौका दोनों के रूप में वर्णित किया. “हम बुनियादी बातों से शुरुआत कर रहे हैं: अर्थव्यवस्था को बहाल करना, बैंकिंग प्रणाली का पुनर्निर्माण करना और सरकार द्वारा दोबारा से काम शुरू करना.”
लेकिन यूनुस केवल शासन के तत्काल कार्यों पर ही ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका दृष्टिकोण बड़े बदलावों तक फैला हुआ है.
उन्होंने जलवायु परिवर्तन के ज्वलंत मुद्दे पर प्रकाश डाला, जो पहले से ही बांग्लादेश को प्रभावित कर रहा है, जो बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित होने और हिमालय के ग्लेशियरों पर निर्भरता के कारण बाढ़ और पर्यावरणीय गिरावट के प्रति अत्यधिक संवेदनशील देश है. “हम पर्यावरणीय चुनौतियों के सबसे अधिक संपर्क में रहने वाले देशों में से एक हैं और यह हमारे काम को और भी अधिक ज़रूरी बनाता है.”
यूनुस ने उन बातों पर भी बात की जिन्हें वे सबसे आशाजनक विकास मानते हैं — युवा लोग, जिन्होंने पुरानी सरकार को उखाड़ फेंकने में नेतृत्व किया.
उन्होंने कहा, “यह पीढ़ी मानव इतिहास में सबसे शक्तिशाली है. प्रौद्योगिकी के माध्यम से आज के युवाओं की ग्लोबल कनेक्टिविटी उन्हें दुनिया को बदलने की अद्वितीय शक्ति देती है. ये युवा अब केवल बांग्लादेशी नहीं हैं. वह ग्लोबल सिटीजन हैं और जब वह तय कर लेते हैं कि अब बहुत हो गया, तो कोई भी उन्हें रोक नहीं सकता.”
यूनुस ने बांग्लादेश के अनुभव पर अधिक ध्यान देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करते हुए कहा कि ग्लोबल इंस्टीट्यूट्स को देश के हालिया उथल-पुथल को समझना चाहिए, जो युवाओं के नेतृत्व वाले आंदोलनों और ज़मीनी स्तर पर बदलाव की क्षमता में एक शक्तिशाली सबक है.
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश को समझा जाना चाहिए. यह एक झलक देता है कि जब एक पीढ़ी उठ खड़ी होती है और नज़रअंदाज़ किए जाने से इनकार करती है, तो क्या हो सकता है.”
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