कोलंबो: चल रहे आर्थिक संकट और महीनों की उथल-पुथल के बाद पतन के कगार पर खड़ी सरकार के साथ श्रीलंका 2009 में गृह युद्ध खत्म होने के बाद से अपने आधुनिक इतिहास में सबसे गंभीर दौर से गुजर रहा है. जब प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास पर धावा बोला तो राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. बुधवार को उनके इस्तीफा देने की उम्मीद है.
सरकार के पास पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस जैसी जरूरी चीजें खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं. जो थोड़ा-बहुत उपलब्ध है वह काफी महंगा है. स्कूलों को बंद कर दिया गया है. बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही हैं. गैर-जरूरी क्षेत्रों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने और ईंधन के इस्तेमाल में कटौती करने के लिए कहा गया है.
संकट से बचने के लिए श्रीलंकाई नागरिक कुछ जुगाड़ के साथ आगे आए हैं, ताकि जो बचा है उसी से अपना काम चला सकें. दिप्रिंट ने ऐसी कुछ चीजों की लिस्ट तैयार की है.
नारियल के खोल से चलने वाले मेड-इन-श्रीलंका स्टोव
12.5 किलो के रसोई गैस सिलेंडर की कीमत इस महीने 50 श्रीलंकाई रुपये से बढ़कर 4,910 रुपये हो गई. इतनी ज्यादा कीमत के बाद भी इसे खरीदना आसान नहीं है. क्योंकि सिलेंडर मार्केट में उपलब्ध ही नहीं है. गैस खत्म होने की आशंका ने कई लोगों को ईंधन के वैकल्पिक स्रोतों की ओर देखने के लिए मजबूर कर दिया. अब लोग ऐसे स्टोव को बनाने में लगे हैं जिसमें ईंधन के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
कोलंबो के एक उपनगर थलवाथुगोडा में दिप्रिंट की नजर एक-चूल्हे वाले स्टोव पर पड़ी, जिसे चलाने के लिए गैस या मिट्टी के तेल की जरूरत नहीं है. बल्कि नारियल के खोल को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. एक महिला इन्हें बेच रही थी जिसे उनके पति ने अपने हाथों से बनाया था.
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नारियल के खोल को जलाने के लिए स्टोव एक पावर पैक के साथ आता है जिसे बिजली से चलाया जा सकता है. एक चूल्हे की कीमत 6,500 श्रीलंकाई रुपये है. महिला ने बताया कि उन्हें एक चूल्हा बनाने में एक सप्ताह का समय लग जाता है.
हालांकि वह पिछले सात महीने से इस स्टोव का इस्तेमाल कर रही थीं. लेकिन 3 जुलाई से ही उन्होंने इसे बेचना शुरू किया. उन्होंने 25 स्टोव के साथ शुरुआत की थी और 10 जुलाई तक आते-आते उनके पास सिर्फ छह स्टोव बेचने के लिए बचे थे.
कहीं भी जाने के लिए साइकिल और रोलर स्केट
दिप्रिंट ने रविवार को थलवाथुगोडा में साइकिल की दुकान पर काफी भीड़-भाड़ देखी. कोई साइकिल खरीद रहा था तो कोई अपनी पुरानी साइकिल को ठीक करवाने में लगा था.
ऑटोमोबाइल ईंधन की आपूर्ति कम होने की वजह से श्रीलंकाई लोग अब साइकिल को तरजीह देने लगे हैं.
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सोशल मीडिया बिक्री के लिए साइकिल के विज्ञापन करने वाले पोस्ट से भरा हुआ है. जाफना में पहले से लोग साइकिल पर आना-जाना पसंद करते थे लेकिन अब ईंधन की किल्लत के चलते ये और भी लोकप्रिय हो गई है.
कोलंबो हवाई अड्डे से यात्रियों को ले जा रहे एक टैक्सी चालक ने दावा किया कि साइकिलों की कीमत अब 60,000 श्रीलंकाई रुपये तक जा सकती है. सामान्य समय में इनकी कीमत लगभग 20,000-30,000 श्रीलंकाई रुपये के बीच थी.
जब दिप्रिंट ने सोमवार को श्रीलंका के एक लोकप्रिय बाइक ब्रांड लुमाला की वेबसाइट पर चेक किया तो अधिकांश साइकिल बिक चुकीं थी.
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कोलंबो की एक ट्रैवल कंसलटेंट अमांडा ने दिप्रिंट को बताया कि उनके देवर काम पर जाने के लिए रोजाना 3 किमी साइकिल चलाते हैं. एक वकील ने कहा कि जरूरत पड़ने पर वह कोलंबो तक 9 किमी तक साइकिल चला चुके हैं. जबकि कोलंबो में रहने वाली एक कानून की छात्रा ने दिप्रिंट को पूरी गंभीरता से बताया कि आने-जाने के लिए रोलर स्केट्स लेने के बारे में सोच रही है.

केरोसिन और लकड़ी से जलने वाला स्टोव, जहां भी मिट्टी का तेल मिले, खरीद लो
श्रीलंका में फेसबुक केरोसिन स्टोव के विज्ञापन वाले पोस्ट से भरा हुआ है. हालांकि, कोलंबो और उसके उपनगरों के कुछ हिस्सों में मिट्टी का तेल मिलना भी मुश्किल हो गया है.
श्रीलंका के एक निजी बैंक में काम करने वाली मंजुला (वह अपने पूरे नाम का खुलासा नहीं करना चाहती थी) ने दिप्रिंट को बताया कि जब उनके पिता काम के लिए पोलोन्नारुवा (कोलंबो से 225 किलोमीटर) गए थे, तो वहां से कुछ मिट्टी का तेल ले लाए. क्योंकि कोलंबो की तुलना में केरोसिन वहां आसानी से मिल जाता है.

कोलंबो के उपनगरों में जलाऊ लकड़ी भी करीब 80 श्रीलंकाई रुपये प्रति बंडल में बिक रही है.
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चेन्नई से इंडक्शन कुकर खरीदते हुए वापस आना
दिप्रिंट ने यह भी देखा कि जो श्रीलंकाई भारत से लौट रहे हैं वो अपने साथ इंडक्शन कुकर लेकर जा रहे हैं. ये कुकर बिजली से चलते हैं. मौजूदा समय में कोलंबो और उसके उपनगरों में कम आपूर्ति की वजह से इनका मिलना भी मुश्किल हो गया है.
रविवार को चेन्नई हवाई अड्डे पर दिप्रिंट ने देखा कि एक श्रीलंकाई एक नया इंडक्शन कुकर लेकर कोलंबो जा रहा था. भारत में अभी तक अनपैक्ड पिजन ब्रांड कुकर 2,000 रुपये (लगभग 9,165 श्रीलंकाई रुपये) में उपलब्ध है. श्रीलंका में इंडक्शन कुकर की कीमत 30,000 श्रीलंकाई रुपये तक हो सकती है.
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दिप्रिंट को पता चला कि श्रीलंका में लोग एयर फ्रायर, इलेक्ट्रिक ओवन, इलेक्ट्रिक केतली, राइस कुकर भी खरीद रहे हैं. यानी कुछ भी ऐसा जो रसोई गैस के बजाय बिजली से चलता हो.
इन्वर्टर की ओर रुख
जब श्रीलंका अप्रैल में सबसे खराब बिजली कटौती का सामना कर रहा था, तो कई लोगों ने इन्वर्टर बैटरी की ओर रुख किया. इन्वर्टर बिजली को स्टोर करता है और बिजली जाने के बाद इसे इस्तेमाल में लाया जाता है. कोलंबो में स्थित एक भारतीय पत्रकार ने दिप्रिंट को बताया कि वह 65,000 श्रीलंकाई रुपये में खरीदे गए एक छोटे इन्वर्टर पर निर्भर था. उससे दो सीलिंग फैन, दो बल्ब और एक डेस्कटॉप कंप्यूटर को डेढ़ घंटे तक चलाया जा सकता है.
बड़े इन्वर्टर की कीमत लगभग 10 लाख से 15 लाख श्रीलंकाई रुपये है. वहीं सोलर एनर्जी से चलने वाले इन्वर्टर की कीमत 20-25 लाख रुपये है.
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