scorecardresearch
Monday, 4 November, 2024
होमविदेशकनाडा में 2018 के बाद से सबसे अधिक भारतीय छात्रों की मौत दर्ज की गई - ओटावा ने जताई चिंता

कनाडा में 2018 के बाद से सबसे अधिक भारतीय छात्रों की मौत दर्ज की गई – ओटावा ने जताई चिंता

कनाडा में 2018 के बाद से विदेश में सबसे ज्यादा भारतीय छात्रों की मौत दर्ज की गई. कनाडाई सरकार ने दिप्रिंट को बताया कि वह 2024 में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए स्थिति में सुधार के लिए फ्रेमवर्क लागू करेगी.

Text Size:

नई दिल्ली: कनाडा, वह देश है जहां 2018 के बाद से विदेशों में भारतीय छात्रों की मौतों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है, वह वहां पढ़ने वाले “अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की भेद्यता” के बारे में बेहद “चिंतित” है.

कनाडाई सरकार ने दिप्रिंट को बताया है कि वह अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए स्थिति में सुधार के लिए कदम उठा रही है, जिसका लक्ष्य 2024-25 शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत से पहले उन्हें लागू करना है.

एक लिखित संचार में, इमीग्रेशन, रेफुजीस और सिटिज़नशिप कनाडा (आईआरसीसी) के इमीग्रेशन मामलों के लिए जिम्मेदार सरकारी विभाग ने कहा, “आईआरसीसी अंतरराष्ट्रीय छात्रों की वल्नरेबिलिटी के बारे में बहुत चिंतित है. जबकि शिक्षा एक प्रांतीय/क्षेत्रीय ज़िम्मेदारी है, आईआरसीसी मानता है कि हमें स्टूडेंट वल्नरेबिलिटी से संबंधित चिंताओं को दूर करने के तरीके विकसित करने के लिए प्रांतों और क्षेत्रों के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है.”

पिछले पांच वर्षों में, कनाडा में विदेश में भारतीय छात्रों की सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं, 2018 के बाद से विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा दर्ज की गई 403 में से 91, जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट किया था.

विदेश मंत्रालय द्वारा राज्यसभा को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि इन मौतों के लिए प्राकृतिक कारणों, दुर्घटनाओं और चिकित्सा स्थितियों सहित कई कारणों को जिम्मेदार ठहराया गया है. विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने सदन को बताया कि कनाडा के बाद ब्रिटेन (48), रूस (40), अमेरिका (36) और ऑस्ट्रेलिया (35) में छात्रों की सबसे अधिक मौतें दर्ज की गईं.

आईआरसीसी ने दिप्रिंट को अपने संदेश में लिखा, “इमीग्रेशन, रेफुजीस और सिटिज़नशिप कनाडा (आईआरसीसी) उन परिवारों और प्रियजनों के प्रति गंभीर संवेदना व्यक्त करता है जो कनाडा में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की मौत से प्रभावित हुए हैं.”

फरवरी 2023 में विदेश मंत्रालय द्वारा राज्यसभा को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2018 और 2022 के बीच 5,67,607 भारतीय कनाडा में अध्ययन करने के लिए विदेश गए, जिससे देश भारतीय छात्रों के लिए दूसरा सबसे लोकप्रिय वैश्विक गंतव्य बन गया.

इस अवधि में सबसे लोकप्रिय गंतव्य अमेरिका था, जहां 6,21,336 भारतीय छात्र गए, जबकि 3,17,119 छात्रों के साथ यूके तीसरे स्थान पर रहा.


यह भी पढ़ें: क्या जारी है जातिगत भेदभाव? तमिलनाडु के स्कूलों में भेदभाव दिखाता है कि कानूनों को लागू करने की जरूरत है


‘मान्यता प्राप्त संस्थान’ 

आईआरसीसी ने लिखा है कि 2024 में, कनाडाई सरकार नामित शिक्षण संस्थानों (डीएलआई) की पहचान करने और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए एक ‘मान्यता प्राप्त संस्थानों’ ढांचे को अपनाएगी, जो अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए “असाधारण समर्थन और परिणाम प्रदान करके” एक “उच्च मानक” स्थापित करते हैं.

“नामित शिक्षण संस्थानों (डीएलआई) में आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय छात्र सलाहकार होते हैं जो सेवाओं की सुविधा प्रदान करते हैं और अपने छात्रों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जानकारी और आवश्यकतानुसार अन्य सहायता प्रदान करके उन्हें जोड़ने में मदद करते हैं.”

इसमें कहा गया है, “डीएलआई के पास अक्सर अपने स्वयं के आवास और सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाएं होती हैं जिनसे अंतर्राष्ट्रीय छात्र लाभ उठा सकते हैं.”

हालांकि, कनाडाई सरकारी विभाग ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षा एक प्रांतीय/क्षेत्रीय जिम्मेदारी है.

इसमें लिखा है, “प्रांत और क्षेत्र सामान्य मानकों के एक सेट पर सहमत हुए हैं जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मेजबानी के उद्देश्य से शैक्षणिक संस्थानों के डेजिगनेशन और डेजिगनेशन को रद्द करने का मार्गदर्शन करते हैं.”

आईआरसीसी ने कहा, प्रत्येक प्रांत के लिए विशिष्ट मानदंड अलग हो सकते हैं. हालांकि, “सामान्य तौर पर”, शिक्षण संस्थानों में छात्रों को अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अनुभव और अखंडता की रक्षा के उद्देश्य से एक स्थिर शिक्षा और सेवाएं प्रदान करने की “क्षमता” होनी चाहिए.

आईआरसीसी ने कहा, “एक मान्यता प्राप्त संस्थान को, उदाहरण के लिए, उन आवेदकों के लिए स्टडी परमिट की प्राथमिकता प्रसंस्करण से लाभ होगा जो संस्थान में अध्ययन करने की योजना बना रहे हैं. आईआरसीसी ने डीएलआई, प्रांतों, क्षेत्रों और राष्ट्रीय शिक्षा संघों के साथ परामर्श किया है, और नियोजित ढांचे को परिष्कृत करने के लिए फीडबैक का उपयोग करेगा क्योंकि हम इसे 2024 सेमेस्टर के लिए समय पर लागू करने की तैयारी कर रहे हैं.”

हालांकि, हरदीप सिंह निज्जर की मौत पर दोनों सरकारों के बीच राजनयिक खींचतान के बाद कनाडा में भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ गए हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इसने कम से कम एक विश्वविद्यालय – टोरंटो में यॉर्क विश्वविद्यालय को कनाडा में भारतीय छात्रों की सुरक्षा को दोहराते हुए एक बयान देने के लिए प्रेरित किया है.

18 सितंबर 2023 को, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घोषणा की कि कनाडाई सरकार भारत सरकार के एजेंटों और निज्जर की हत्या के बीच “संभावित संबंध” के “विश्वसनीय आरोपों” की जांच कर रही है. निज्जर, भारत में एक नामित आतंकवादी है, जिसे 18 जून 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी.

भारत सरकार ने आरोपों को “बेतुका और प्रेरित” बताते हुए खारिज कर दिया. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया, जबकि नई दिल्ली ने राजनयिक उपस्थिति में ‘समानता’ की मांग की. कनाडा ने भारत से 41 राजनयिकों और उनके आश्रितों को वापस बुला लिया.

आईआरसीसी ने कहा, “हम मानसिक स्वास्थ्य या अन्य मुद्दों से जूझ रहे किसी भी व्यक्ति से अपने शिक्षण संस्थान, या अपने समुदाय में कहीं और उपलब्ध सहायता सेवाओं या नेशनल हॉटलाइन से संपर्क करने का आग्रह करते हैं.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: कतर कोर्ट ने 8 भारतीय पूर्व नौसैनिकों की फांसी की सजा पर रोक लगाई, MEA बोली- फैसले की प्रतीक्षा है


 

share & View comments