नई दिल्ली: पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा बंगबंधु संग्रहालय के महत्व और विरासत पर एक लाइव वर्चुअल संबोधन देने के दौरान, छात्रों और प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने ढाका के धनमंडी इलाके में स्थित इस इमारत पर धावा बोल दिया, उसे आग के हवाले कर दिया और ध्वस्त कर दिया. इस विनाश की फुटेज तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जबकि एक भावुक हसीना बुधवार को अपने पूर्व निवास के इतिहास को याद कर रही थीं.
विध्वंस के दौरान उन्होंने कहा, “यह विध्वंस क्यों? मैं लोगों से पूछती हूं, मैंने आपको इतना नाराज़ करने के लिए क्या किया है? आप एक घर से इतना डरते क्यों हैं? अगर आप अपने इतिहास को भूल जाते हैं, तो आप कभी आगे नहीं बढ़ सकते.”
डेली स्टार के अनुसार, ध्वस्त करने की प्रक्रिया अब भी जारी है, और एक खुदाई मशीन (एक्सकेवेटर) सक्रिय रूप से इमारत को गिरा रही है.
इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत “बुलडोज़र मार्च” नाम के एक फेसबुक-आयोजित कार्यक्रम के बाद हुई, जिसमें बुधवार को शाम 7:30 बजे भारी भीड़ धनमंडी 32 पर जुटी। रात 9:30 बजे तक, इमारत आग की लपटों में घिर चुकी थी.
बुधवार को रात 9 से 10 बजे के बीच अपने संबोधन के दौरान, हसीना ने युवाओं को “इतिहास को याद रखने” के महत्व की याद दिलाई.
यह संग्रहालय, जो पहले बांग्लादेश के संस्थापक पिता शेख मुजीबुर रहमान का निवास था, देर शाम हमले की चपेट में आ गया। हमले से ठीक पहले, स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) के संयोजक हसनत अब्दुल्ला ने अपने सत्यापित फेसबुक पेज पर घोषणा की थी कि “बुधवार रात तक बांग्लादेश एक फासीवादी गढ़ से मुक्त हो जाएगा.”
तनाव बढ़ाने के लिए, स्थानीय सरकारी अधिकारी और युवा एवं खेल सलाहकार आसिफ महमूद साजिब भुइयां ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, “जश्न मनाने दो.”
यह घर इससे पहले भी अगस्त में एक उग्र भीड़ द्वारा हमला कर आग के हवाले किया जा चुका था, जब आवामी लीग सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी, और तब से यह इमारत परित्यक्त पड़ी थी.
यूनुस, पाकिस्तान और भुला दिया गया इतिहास
हसीना ने अपने संबोधन में—जो बांग्लादेश अवामी लीग चैनल पर प्रसारित किया गया—अपनी सत्ता से बेदखली के बाद दिए गए पिछले भाषणों से कुछ अलग नहीं कहा और अपनी पार्टी की उपलब्धियों और अपने पिता की विरासत पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर भी तीखा हमला किया, उन्हें “फासीवादी” कहकर छात्रों को अपने “सत्ता की लालसा” के लिए उकसाने का आरोप लगाया.
उन्होंने आगे कहा, “यह देश बंगबंधु के संघर्ष के कारण पाकिस्तान से मुक्त हुआ. अगर हम आज भी पाकिस्तान में होते, तो हमें न भाषा का अधिकार होता और न ही नौकरियों का. हम सभी बेरोजगार होते. पाकिस्तान में आज तक कोई बंगाली जनरल नहीं है. क्या आपने कभी किसी का नाम सुना है?”
युवाओं को संबोधित करते हुए, हसीना ने बांग्लादेशी युवाओं के बारे में अपनी राय यूनुस की राय से अलग बताई। जहां यूनुस ने दावोस फोरम में अपने एक भाषण में युवाओं को “मानव इतिहास में सबसे शक्तिशाली” बताया था, वहीं हसीना ने उन्हें “नरम” कहकर उनकी आलोचना की और कहा कि वे “उन्हें सत्ता से हटाने के लिए एक दुर्भावनापूर्ण अभियान में शामिल होने के लिए बहकाए गए हैं.”
हसीना ने कहा,“मैंने इस देश के युवाओं को संसाधन दिए और देश को डिजिटल बांग्लादेश में बदला ताकि वे सीख सकें, शिक्षित हों और खुद को रोजगार दे सकें. लेकिन इसके बजाय, युवा अपने शिक्षकों का अपमान कर रहे हैं और उन्हें जूतों की माला पहना रहे हैं. उन्हें इस व्यक्ति ने सत्ता की भूख में ब्रेनवॉश कर दिया है.”
हसीना ने यूनुस को “बेमान मुनाफिक” (एक बेईमान पाखंडी) कहते हुए उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने “निर्दोष नागरिकों की लाशों पर अवैध और असंवैधानिक रूप से सत्ता हासिल की.”
“उसने मुझसे ग्रामीण बैंक के लिए पैसे उधार देने की गुहार लगाई, यह वादा किया कि मुनाफा बैंक में वापस जाएगा. मैंने इसमें 400 करोड़ रुपये निवेश किए. लेकिन एक पैसा भी वापस नहीं आया। उसने सब कुछ अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए गबन कर लिया. एक व्यक्ति की लालच ने अब देश को विनाश के कगार पर पहुंचा दिया है.”
अपने भावनात्मक भाषण में, उन्होंने धनमंडी को “मेरे परिवार का आखिरी बचा हुआ हिस्सा” बताया जिससे वह और उनकी बहन जुड़े हुए थे.
“बांग्लादेश किसी पार्टी के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लोगों के लिए बनाया गया था. आखिरी बची हुई विरासत को नष्ट किया जा रहा है, लेकिन वे इतिहास को मिटा नहीं सकते. मैंने इसे निजी उपयोग के बजाय जनता को सौंप दिया.”
उन्होंने अपने देश में संभावित वापसी का भी संकेत दिया.
“मैं अक्सर सोचती हूं कि इतनी बार हत्या के प्रयासों के बावजूद मैं जीवित क्यों बची, शायद मेरा कोई बड़ा मकसद है. हम फिर से निर्माण करेंगे, और हम और अधिक मजबूत होकर लौटेंगे. 2041 तक, बांग्लादेश सबसे समृद्ध राष्ट्र होगा.” उन्होंने अपने भाषण का समापन किया.
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