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Friday, 11 July, 2025
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महिला अधिकारियों के लिए ‘सर’ पर रोक, बांग्लादेश में हसीना सरकार के प्रोटोकॉल्स की दोबारा जांच

एक कमिटी बनाई गई है, जो एक महीने में सिफारिशें देगी. इसमें सम्मान सूचक शब्दों और प्रोटोकॉल से जुड़ी पुरानी परंपराओं में बदलाव के सुझाव शामिल होंगे, जिन्हें सलाहकार परिषद की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.

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नई दिल्ली: बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने देश में दशकों पुराने उस नियम को खत्म करने का आदेश दिया है, जिसके तहत पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और अन्य महिला अधिकारियों को भी सरकारी अफसर ‘सर’ कहकर संबोधित करते थे.

सरकार ने ऐसे और भी ‘अजीब’ प्रोटोकॉल और संबोधनों को हटाने के लिए एक कमिटी बनाई है.

सरकार की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा गया कि शेख हसीना के करीब 16 साल के शासनकाल में ऐसा आदेश जारी हुआ था, जिसमें उन्हें ‘सर’ कहकर संबोधित करना अनिवार्य था.

बयान के मुताबिक, ‘‘शेख हसीना के करीब 16 साल लंबे तानाशाही शासन के दौरान यह आदेश जारी किया गया था, जिसमें सभी सरकारी अफसरों को उन्हें ‘सर’ कहने का निर्देश दिया गया था. यही परंपरा अन्य महिला अधिकारियों के लिए भी जारी रही, जिन्हें अब तक ‘सर’ कहा जा रहा है, जो बिल्कुल अजीब है.’’

गुरुवार, 10 जुलाई 2025 को, सलाहकार परिषद ने आधिकारिक रूप से इस आदेश को रद्द कर दिया.

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना 5 अगस्त 2024 को छात्र आंदोलन के कारण सत्ता से हटाए जाने के बाद देश छोड़कर भारत आ गई थीं और तब से यहां रह रही हैं.

बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार, इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने गुरुवार को शेख हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप तय किए.

यह वही ट्रिब्यूनल है जिसे खुद हसीना सरकार ने 2010 में बनाया था, ताकि 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान का साथ देने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके.

यह मामला जुलाई-अगस्त 2024 में हसीना सरकार के खिलाफ चले बड़े विरोध प्रदर्शनों पर हुई हिंसा से जुड़ा है. इन्हीं प्रदर्शनों के चलते हसीना को सत्ता से हटना पड़ा था.

ट्रिब्यूनल के मुताबिक, उस समय हसीना ने खुद विरोधकारियों की हत्या, यातना और जबरन गायब करने जैसे आदेश दिए थे. पिछले महीने भी ट्रिब्यूनल ने हसीना पर एक अन्य मामले में मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप तय किया था, जिसमें ‘‘प्रदर्शनकारियों को खत्म करने’’ का आदेश देने सहित कई गंभीर आरोप शामिल हैं.

1 जून को इन आरोपों को सार्वजनिक किया गया था, जब ट्रिब्यूनल की सुनवाई का सीधा प्रसारण हुआ था. ट्रिब्यूनल ने हसीना को 16 जून को कोर्ट में पेश करने का आदेश भी दिया था.

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन प्रदर्शनों पर की गई कार्रवाई में कम से कम 1,400 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 12 से 13 फीसदी बच्चे थे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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