नई दिल्ली: जिस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में मौजूद थे, उसी समय फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का सोमवार को तियानजिन में आगमन इस बात को फिर से उजागर करता है कि इस्लामाबाद में असली सत्ता किसके पास है.
मुनीर, जो इस क्षमता में सम्मेलन में भाग लेने वाले पहले कार्यरत पाकिस्तानी सेना प्रमुख हैं, ऐसे समय में तियानजिन पहुंचे जब मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कुछ एससीओ सदस्य देशों द्वारा किनारे किए गए थे. बताया गया है कि मुनीर प्रोटोकॉल के अनुसार अलग से यात्रा कर रहे थे, क्योंकि प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख साथ में यात्रा नहीं करते हैं.
शरीफ, उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार और सूचना मंत्री अत्ताउल्लाह तारार के साथ शनिवार को तियानजिन पहुंचे थे. एक्स पर पाकिस्तान के पीएम ने अपनी यात्रा को ‘ऐतिहासिक’ बताया था.
मीडिया खबरों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना प्रमुख को चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बंद दरवाजे की बैठकों में शामिल किया गया और उन्हें संभावित रूप से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए तैयार किया गया. मुनीर बुधवार को चीन की सैन्य परेड में भी शामिल होने वाले हैं, जो बीजिंग और इस्लामाबाद के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग को दर्शाता है.
सूत्रों के अनुसार, मुनीर शरीफ के साथ निजी सत्रों में शामिल हुए, जिनमें ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियन और अज़रबैजान के प्रधानमंत्री अली असदोव के साथ बैठकें भी शामिल थीं.
शरीफ ने सम्मेलन में सावधानीपूर्वक शब्दों में भाषण दिया और संवाद तथा क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. उनके भाषण में पाकिस्तान की संवाद के प्रति प्रतिबद्धता और अंतरराष्ट्रीय संधियों के सम्मान को रेखांकित किया गया. उन्होंने भारत के सिंधु जल संधि निलंबन का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे एकतरफा कदम क्षेत्रीय सहयोग को कमजोर करते हैं.
नई दिल्ली ने 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु नदी के जल को रोक रखा था.
शरीफ ने कहा, “SCO सदस्यों के बीच मौजूदा संधियों के अनुसार पानी के उचित हिस्से तक अविरल पहुंच एससीओ को सुचारू रूप से काम करने में मदद करेगी और एससीओ के व्यापक लक्ष्यों की प्राप्ति का समर्थन करेगी.”
पाकिस्तानी पीएम ने एससीओ के भीतर “व्यापक और संरचनात्मक संवाद” की भी आवश्यकता बताई ताकि विवादों का समाधान हो सके और कहा कि उनका देश सभी पड़ोसियों के साथ “सामान्य और स्थिर” संबंध चाहता है. उन्होंने कहा, “एससीओ एक ऐसा मंच है जो पाकिस्तान की क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण के प्रति स्थायी प्रतिबद्धता का सर्वोत्तम प्रतिनिधित्व करता है.”
शरीफ ने आतंकवाद को भी चिंता का विषय बताया और जफर एक्सप्रेस ट्रेन के अपहरण में “विदेशी हाथों के अपरिवाद्य सबूत” होने का दावा किया. उन्होंने प्रतिनिधियों को बताया कि पाकिस्तान ने उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में 90,000 से अधिक जानें खोई और 152 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान झेला—ऐसे बलिदान, जिनका इतिहास में कोई मुकाबला नहीं है.
अफगानिस्तान के बारे में उन्होंने स्थिर काबुल के महत्व को रेखांकित किया और चीन के साथ त्रिपक्षीय संवाद को रचनात्मक सहभागिता का मार्ग बताया. उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को एससीओ की कनेक्टिविटी और एकीकरण की दृष्टि का व्यावहारिक उदाहरण बताया.
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